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Papita ki kheti: पपीता की खेती की संपूर्ण जानकारी

यदि आप खेती से जुड़कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पपीता की खेती (papita ki kheti) आपके लिए अच्छा ऑप्शन है। 

papita ki kheti: पपीता औषधीय गुणों से भरपूर फल है। शायद ही ऐसा कोई हो जिसे पपीता खाना पसंद ना हो। पपीता का उपयोग फल और सब्जी दोनों रूपों में होता है।

पपीता में विटामिन और खनिज-लवण भरपूर मात्रा में पाया जाता है। पपीता की खेती (Papita ki kheti) भारत के अधिकांश राज्यों में की जाती है। 

यदि आप भी खेती से जुड़कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पपीता की खेती (papita ki kheti) आपके लिए बेहतर ऑप्शन है। 

पपीता की खेती पूरी जानकारी

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग पपीता की खेती (papita ki kheti) के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

पपीता की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

पपीता की खेती (Papaya farming) के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 तक होना चाहिए। इसके अलावा पपीता को कम पानी वाली जगह में लाल पीली और काली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है।

पपीता की खेती (papita ki kheti) के लिए गर्म और नमीयुक्त जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। पपीता की खेती के लिए फरवरी-मार्च और अक्टूबर के मध्य का समय सबसे अच्छा होता है। 

खेत की तैयारी

पपीता की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह जोत लें। जिससे मिट्टी अच्छी तरह समतल हो जाए। इसके बाद पपीते के बीज को दवाइयों में कुछ घंटे भिगोकर रखें। उसके बाद समान दूरी पर बीज को बोयें।

पपीता की उन्नत किस्में

वैसे तो पपीता के कई प्रकार हैं। लेकिन संकर किस्मों के पपीते की खेती (papita ki kheti) हमारे देश अधिक होती है। इसके अलावा पपीता की अन्य प्रजातियां निम्नलिखित है।-

  • पूसा 
  • ताइवान
  • डोलसियरा
  • पूसा मेजेस्टी
  • रेड लेडी-786
  • सोलो
  • सिलोन
  • कयोम्बटूर-4
  • वाशिंगटन

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

पपीता की खेती (papita ki kheti) के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। जमीन में नमी बरकरार रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करना आवश्यक होता है। अगर आप पपीता की खेती सर्दी में करते हैं तो लगभग 12 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। यदि गर्मी में करते हैं तो लगभग 5 से 8 दिन के अंतराल पर सिंचाई का काम करना चाहिए। इससे फल अच्छे आते हैं।

पपीता में लगने वाले रोग और रोकथाम

अधिकांश पपीता में कोई रोग या कीड़े नहीं लगते हैं। पपीता के पौधों को नुकसान सिर्फ लो या पाला से पहुंचता है। इसके लिए समय-समय पर पुआल या पेड़ के पत्ते इकट्ठा करके जलाकर धुआं कर देना चाहिए। इससे हानिकारक वायरस मर जाते हैं। कभी यदि पेड़ पेड़ मुरझाने लगे तो पौधों में पोटाश, नाइट्रोजन और फास्फोरस का छिड़काव करें, इससे फसल अच्छी होती है।

पपीता की खेती में लागत और कमाई

सामान्य तौर पर पपीते का एक स्वास्थ्य पौधा 40-50 किलो पपीते देता है। अगर किसान अच्छे पपीते की फसल लगाते हैं तो प्रति हेक्टेयर जमीन से साल में लगभग 6 से 8 लाख रूपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं। बाजार में एक किलो पपीते की कीमत 10 रूपये से 40 रुपए तक होती है। इस हिसाब से एक क्विंटल पर 1000-4000 रूपये तक मिल सकता है। अगर किसान मेहनत और लगन से पपीते की खेती (papita ki kheti) करते हैं तो प्रति हेक्टेयर 2 से 3 लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं।

ये तो थी, पपीता की खेती (papita ki kheti) की जानकारी। ऐसे ही खेती की उन्नत जानकारी के लिए द रूरल इंडिया वेबसाइट को विजिट करें।

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