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Madhumakhi palan: मधुमक्खी पालन कैसे करें? यहां जानें

मधुमक्खी पालन (bee farming) एक ऐसा ही व्यवसाय है जो कम लागत के साथ शुरू किया जा सकता है। यह किसानों की आय बढ़ाने का एक अच्छा स्रोत बन गया है।

Madhumakhi palan in hindi: मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan) के उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। कृषि अब सिर्फ खेतीबाड़ी तक ही सीमित नहीं रह गया है। अतिरिक्त आय कमाने के लिए किसान खुद को लघु व कुटीर उद्योगों से जोड़ते हैं और उन्हें बड़े व्यवसायों में बदलते हैं। मधुमक्खी पालन (bee farming) एक ऐसा ही व्यवसाय है जो कम लागत के साथ शुरू किया जा सकता है। यह किसानों की आय बढ़ाने का एक अच्छा स्रोत बन गया है।

मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan) एक ऐसा व्यवसाय है जो कृषि व बागवानी उत्पादन बढ़ाने की क्षमता भी रखता है। शहद एवं मोम के अतिरिक्त अन्य पदार्थ, जैसे गोंद (प्रोपोलिस, रायल जेली, डंक-विष) भी प्राप्त होते है। साथ ही मधुमक्खियों से फूलों में परागण होने के कारण फसलों की उपज में लगभग एक चौथाई अतिरिक्त बढ़ोतरी हो जाती है।

आज कल मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan) ने कम लगत वाला कुटीर उद्योग का दर्जा ले लिया है। ग्रामीण भूमिहीन बेरोजगार किसानो के लिए आमदनी का एक साधन बन गया है।

आज The Rural India के इस लेख में हम मधुमक्खी पालन के फायदे और उसकी प्रजातियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगें।

 

आइए सबसे पहले जानते हैं कि मधुमक्खी पालन क्या है?

मधुमक्खी पालन क्या है (madhumakhi palan kya hai)

फलों से रस निकालकर मधुमक्खी अपने छत्ते में शहद बनाती है। ठीक उसी तरह मधुमक्खियों को पालकर शहद का उत्पादन किया जाता है। शहद की बढ़ती मांग के कारण इसका उत्पादन करने के लिए मधुमक्खी पालन शुरू किया गया है। मधुमक्खियां फसलों की उपज बढ़ाने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

 

आपको बता दें, लीची नीबू प्रजातीय फलों और अन्य दलहनी एवं तिलहनी फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। इसके अलावा, यह न सिर्फ शहद का उत्पादन करती है बल्कि बड़ी मात्रा में मोम और गोंद का भी उत्पादन करती है। 

 

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मधुमक्खी पालन के फायदे (benefits of beekeeping) 

आय में वृद्धि- मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में अच्छी वृद्धि
होती है। उन्हें अतिरिक्त आय का अन्य स्रोत मिल जाता है।

  • फसल उत्पादन में वृद्धि- मधुमक्खियों द्वारा विभिन्न फसलों के परागण से फसल
    की पैदावार में वृद्धि होती है। फलों
    , और बीजों की गुणवत्ता में सुधार होता है। मधुमक्खियों
    द्वारा औसतन
    15 से 30 प्रतिशत तक फसलें
    उगाई जाती हैं।
  • शहद उत्पादन- मधुक्खियां फलों का रस लेकर उसे शहद मे तब्दील कर
    देती हैं और अपने छत्तों में उसे एकत्रित करती है। इसके बाद उस शहद को मशीन की
    सहायता से निकाला जाता है।
     
  • रायल जेली का उत्पादन- रायल जेली का उत्पादन मधुमक्खी के छत्तों में से
    किया जाता है। यह सबसे उत्तम पौष्टिक पदार्थ माना जाता है। यह मानव शरीर के लिए
    बेहद लाभदायक होता है।
     
  • मोम का उत्पादन- मधुमक्खी पालन के माध्यम से मोम का उत्पादन किया
    जात है। यह शुद्ध और प्राकृतिक मोम होती है
    , जिसका उपयोग कॉस्मेटिक सामग्री तैयार करने और मधुमक्खी
    पालन के लिए मोमी बेस शीट तैयार करने में किया जाता है।

अब जानते हैं, भारत में पाई जाने वाली प्रमुख मधुमक्खियों के बारे में। 

मधुमक्खियों की प्रमुख प्रजातियां (major species of bees)

भारत में मुख्यतः चार प्रकार की प्रजातियां पाई
जाती है।
 

1.   एपिस डोरसेटा (भंवर मधुमक्खी)

2.   एपिस फलोरिया (उरम्बी मधुमक्खी)

3.   एपिस सेराना इण्डिका (भारतीय मधुमक्खी)

4.   एपिस मेलिफेरा (इटालियन मधुमक्खी)

  • एपिस डोरसेटा
    (भंवर मधुमक्खी)-
     यह आकार में बड़ी होती है व स्वभाव से गुस्सैल होती है। भंवर मधुमक्खी औसतम 20 से 25 किलो शहद सालाना देती है।
  • एपिस फलोरिया
    (उरम्बी मधुमक्खी)-
    आकार में सबसे छोटी मधुमक्खी उरम्बी मधुमक्खी होती है। यह अक्सर छत के कोनो में छत्ता
    बनाती है। इस प्रजाति की मधुमक्खी साल में
    2 किलो तक शहद देती है।
  • एपिस सेराना
    इण्डिका (भारतीय मधुमक्खी)-
    मधुमक्खियों की यह प्रजाति पहाड़ी व मैदानी क्षेत्र में पाई जाती है। यह खंडर स्थान जैसे पेडों व गुफाओं में छत्ते बनाती है। यह साल में 6 किलो तक शहद देती है। 
  • एपिस मेलिफेरा
    (इटालियन मधुमक्खी)-
    आकार व स्वभाव में यह मधुमक्खी भंवर मधुमक्खी की तरह ही होती है। लेकिन इस प्रजाति की रानी मक्खी में अण्डे देने की क्षमता बहुत अधिक होती है। यह सबसे अधिक शहद भी देती है। साल में दो खण्ड के बस्सों से 60 से 80 किलो तक शहद प्राप्त होता है। 

मधुमक्खी पालन का उपयुक्त समय (madhumakhi palan ka samay)

मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan) के लिए सबसे उचित समय अक्टूबर व नवंबर का होता है क्योंकि इस समय फूल की संख्या अधिक होती है। मधुमक्खियां फूलों से वह मकरंद व पराग एकत्रित करती हैं जो आगे जाकर शहद बनता है। 

 

मधुमक्खी पालन की चुनौतियां (beekeeping challenges)  

·  जलवायु परिवर्तन मधुमक्खी पालन के समक्ष आने वाली एक अहम समस्या है, जिसके कारण मधुमक्खी की मृत्यु दर भी बढ़ जाती है।

·   जलवायु परिवर्तन होते ही महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में मधुमक्खी खाने वाली जीव पहुंच जाते है, जिस कारण यह भी मधुमक्खी की मृत्यु का कारण बनता है।

ये तो थी मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan kaise kare) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर करें।

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