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BDC: क्षेत्र पंचायत सदस्य के कार्य और सैलरी, यहां जानें

बीडीसी को कुछ राज्यों में इसे “प्रखंड विकास समिति” या क्षेत्र पंचायत सदस्य भी कहते हैं। आइए, इस ब्लॉग में BDC को विस्तार से जानते हैं।

क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) के कार्य और सैलरी: भारत गांवों का देश है। हमारे देश में साढ़े छह लाख से अधिक गांव हैं। भारत में इन गांवों के लिए स्थानीय स्वशासन प्रणाली लागू है। हमारे देश में 73वें संविधान संशोधन के तहत स्थानीय स्वशासन को 3 स्तरों पर बांटा गया है। 

  1. ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत
  2. ब्लाक स्तर पर क्षेत्र पंचायत(पंचायत समिति)
  3. जिला स्तर पर जिला पंचायत (जिला परिषद)

पिछले लेख में हम आपको सरपंच के कार्य और अधिकार के बारे बताया था। आज हम आपको इस लेख में क्षेत्र पंचायत सदस्य यानि बीडीसी सदस्य (BDC) के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस लेख में हम आपको
बीडीसी का कार्य क्या होता है? यह बताएंगे।

सबसे पहले बीडीसी का फुलफार्म जाना बहुत जरूरी है क्योंकि बहुत से राज्यों में इसे केवल बीडीसी सदस्य के रूप में जानते हैं। 

बीडीसी का फुलफार्म (BDC)-  Block Development Council होता है।

इसे ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल कहते हैं। कुछ राज्यों में इसे “प्रखंड विकास समिति” या क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) भी कहते हैं। 

तो आइए, अब क्षेत्र पंचायत समिति (BDC) को विस्तार से जानते हैं। 

क्षेत्र पंचायत समिति (Block Development Council)

हमारे देश में लगभग सभी राज्यों में क्षेत्र पंचायत समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र पंचायत समिति ग्राम पंचायत से थोड़ा अलग होता है। इसके सदस्यों का चुनाव भी ग्राम पंचायत के प्रधान (सरपंच) के साथ ही कराया जाता है।

पंचायत राज अधिनियम-1992 के तहत ब्लॉक स्तर पर उस क्षेत्र को कई वार्डों में बांट दिया जाता है। इन वार्डों का क्षेत्र जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। बड़े ग्राम पंचायतों में ये क्षेत्र पंचायत के वार्ड एक से अधिक भी हो सकते हैं। इन वार्डों के चुने हुए प्रतिनिधियों को क्षेत्र पंचायत सदस्य यानी बीडीसी कहते हैं। 

क्षेत्र पंचायत सदस्य- बीडीसी का चुनाव

क्षेत्र पंचायत के सदस्यों (बीडीसी) का चुनाव प्रत्येक 5 साल में ग्रामीण मतदाताओं द्वारा किया जाता है। इसका चुनाव भी पंचायत चुनाव के साथ ही कराया जाता है। बीडीसी के सदस्यों का निर्वाचन की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है। क्षेत्र पंचायत के चुनाव में जिन उम्मीद्वारों को सबसे अधिक वोट मिलता है। उन्हें क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) चुन लिया जाता है। 

बीडीसी सदस्य बनने की योग्यता

  • बीडीसी उम्मीद्वार को उस क्षेत्र पंचायत का सदस्य होना चाहिए
  • उम्मीद्ववार की उम्र 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए
  • किसी-किसी राज्य में कुछ शैक्षिक योग्यता भी निर्धारित की गई है
  • बीडीसी उम्मीद्ववार के पास मतदाता पहचान पत्र होना चाहिए

बीडीसी सदस्य के कार्य  

बीडीसी सदस्यों (BDC) की भी गांव में विकास की जिम्मेदारी होती है। इनके लिए फंड की व्यवस्था ब्लाक प्रमुख(क्षेत्र पंचायत समिति) द्वारा की जाती है। गौरतलब है कि पंचायती राज अधिनियम में क्षेत्र पंचायत को भी वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। जिसका उपयोग वे अपने वार्ड में कर सकते हैं। 

  • क्षेत्र पंचायत द्वारा सौपे गए कार्यों को अपने वार्ड में कराना
  • गांव में पानी, सिंचाई की व्यवस्था करना 
  • सरकारी योजनाओं को क्रियान्वयन करवाना
  • वे सभी कार्य जो सरकार द्वारा उनके वार्ड में सौपें गए हैं, उनका क्रियान्वयन करवाना

बीडीसी सदस्य की वेतन

अभी तक बीडीसी सदस्यों (BDC) के लिए कोई सैलरी निर्धारित नहीं किया गया है। कुछ राज्यों में बीडीसी सदस्यों को मानदेय दी जाती है। जैसे- मध्य प्रदेश में जनपद प्रतिनिधियों को मानदेय दिया जाता है। 

ब्लाक प्रमुख (क्षेत्र पंचायत समिति अध्यक्ष) का चुनाव

क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष को क्षेत्र पंचायत समिति अध्यक्ष या ब्लाक प्रमुख कहा जाता है। इनका चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा न होकर बीडीसी सदस्यों (BDC) द्वारा होता है। क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्य ही ब्लाक प्रमुख का चुनाव करते हैं। पूरे क्षेत्र पंचायत यानि ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों की विकास की जिम्मेदारी ब्लाक प्रमुख की होती है। इनके सहायता के लिए सरकार द्वारा बीडीओ (Block Development officer) की नियुक्ति की जाती है।

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