आंवला की खेती की संपूर्ण जानकारी | amla ki kheti
आंवला की बागवानी से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आंवले की खेती उसर जमीन में भी की जा सकती है।
amla ki kheti: सर्दी, खांसी, वायरल बुखार, मधुमेह, त्वचा से जुड़े रोग, एसिडिटी, पथरी, बालों को सफ़ेद होने से बचाने के लिए, याददाश्त मज़बूत करने के लिए, आँखों की रोशनी बढाने के लिए अगर कोई आपको कहे कि आंवला(Amla) इन सब में कारगर साबित होता है तो हैरान होने की आवश्यकता नहीं है। वह व्यक्ति आपको सही सलाह दे रहा है।
अब बात आती है कि जब आंवला (Amla) इतना फायदेमंद है तो क्या आप उसको घर पर उगा सकते हैं, जवाब है बिल्कुल उगा सकते हैं। आंवला की बागवानी से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आंवले की खेती उसर जमीन में भी की जा सकती है।
तो आइए, द रुरल इंडिया के इस ब्लॉग में आंवला की खेती (gooseberry cultivation in hindi) को विस्तार से जानें।
सबसे पहले आंवला की खेती (Amla ki kheti) के लिए जरूरी जलवायु के बारे में जानते हैं।
आंवला की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
आमतौर पर आंवला की बागवानी उन इलाकों में होती है जहां गर्मी और सर्दी के तापमान में अधिक अंतर नहीं होता है। शुरुआत में इसके पौधे को सामान्य तापमान की ज़रूरत होती है मगर बड़ा होने के बाद वो 0 से 45 डिग्री तक का तापमान सह सकता है। आंवले के पौधे को विकास के लिए गर्मी की ज़रूरत होती है, लम्बे समय तक ठंड पड़ने से इसमें नुकसान होने की आशंका बढ़ जाती है।
आंवला की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
आंवले का पौधा सख्त होता है इसलिए इसको हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 9.5 के बीच हो, जलभराव वाली मिट्टी में आंवले की खेती न करें क्योंकि जल निकासी न होने के कारण इसके पौधे नष्ट हो जाते हैं।
आंवला की खेती का सही समय
आंवले के पौधे को शुरू में सामान्य तापमान की ज़रूरत होती है इसलिए आमतौर पर इसकी पौधारोपण जुलाई से सितम्बर माह के बीच की जाती है। हालांकि कई जगहों पर इसकी खेती जनवरी से फरवरी माह के बीच भी की जाती है।
ऐसे करें खेती की तैयारी
आंवले की पौधे लगाने से पहले मिट्टी को तैयार करना होता है। मिट्टी तैयार करने के लिए उसको अच्छे से जुतवाए, हो सके तो रोटावेटर का इस्तेमाल ज़रूर करें। ध्यान रहे कि मिट्टी में पिछली फ़सल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो चुके हो ताकि वो आगे चल कर किसी तरह का अवरुद्ध न बने।
पौधा लगाने के लिए लगभग 1 मीटर गहरा वर्गाकार गड्ढा खोदे और बीज लगाने के बाद इसको 15-20 दिनों के लिए खुला छोड़ दे ताकि सूरज की धूप निरंतर में लगती रहे। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 4.5 मीटर होनी चाहिए।
आंवला की उन्नत किस्में
बनारसी, कृष्णा- ये दोनों जल्दी पकने वाली किस्में है और इनकी औसतन पैदावार 120 किलो प्रति पेड़ होती है।
इसके अलावा कुछ अन्य किस्में हैं जिनकी प्रति पेड़ पैदावार भी अधिक होती है। इनका इस्तेमाल मुख्यतः जैम, कैंडीज, जैली आदि बनाने में किया जाता है। इसमें NA-9, NA-10, NA-7 आदि प्रमुख किस्में हैं।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
गर्मी के मौसम में 15 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करें और मानसून के मौसम में सिंचाई न करें। सर्दी के मौसम में रोजाना 25-30 लीटर पानी प्रति पेड़ दें।
एक बात का विशेष ध्यान रखे कि फल आते समय सिंचाई जरूर करें।
खेत तैयार करते समय देसी गोबर की खाद रोटावेटर के माध्यम से अच्छी तरह पूरे खेत में मिला दें। साल में एक बार प्रति पौधा 100 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम पोटास, 50 ग्राम फासफोरस डालें। साल दर साल खाद की मात्रा बढ़ाते रहें।
आंवला की खेती में लागत और कमाई
जैसा कि हमने आपको शुरुआत में बताया है कि आंवला कई रोगों का इलाज़ करने में सक्षम है। तो जाहिर है कि इसकी बाज़ार में मांग भी ख़ूब होती है।
यदि आप एक एकड़ में आंवले की खेती (Amla ki kheti) करते हैं तो आपकी औसतन लागत 25-30 हज़ार प्रति एकड़ के हिसाब से लगेगी।
दूसरी ओर अगर बात करें पैदावार की तो सही वैज्ञानिक विधि अपनाकर आप एक एकड़ से साल में 50 क्विंटल से भी अधिक आंवला प्राप्त कर सकते हैं। इस औसत की पैदावार से आपको एक एकड़ में साल भर के अंदर 1 से 1.5 लाख रूपए तक की कमाई हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न- आंवला कितने साल के बाद फल देता है?
उत्तर- आंवला का पौधा 4 से 6 साल के बाद फल देने लगता है। हालांकि यह आंवले की किस्म और फसल प्रबंधन पर भी निर्भर करता है।
प्रश्न- आंवला कौन से महीने में लगता है?
उत्तर- आंवला की खेती (amla ki kheti) जुलाई से लेकर सितंबर महीने तक की जा सकती है। पानी की सुविधा होने पर इसे आप वर्ष में कभी भी लगा सकते हैं।
प्रश्न- आंवले की सबसे अच्छी प्रजाति कौन सी है?
उत्तर- भारत में आंवले की कई किस्में उपलब्ध हैं। उन्नत किस्मों में बनारसी, चकइया, कृष्णा, कंचन, आंवला 7, बलवंत आदि प्रमुख हैं।
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