पशुपालन

खेती के साथ पशुपालन के लाभ | Integrated farming in hindi

खेती के साथ पशुपालन के कई लाभ हैं। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है। यह एक प्रकार से इंटीग्रेटेड खेती (Integrated farming) है।

खेती के साथ पशुपालन

Integrated farming in hindi: प्राचीन समय में पशुओं की सहायता के बिना खेती संभव नहीं थी। खेती के अधिकांश कामों में जानवरों का सहारा लिया जाता था। लेकिन आज पशुपालन की ओर किसानों का रूझान कम होता जा रहा है। जिसके वजह से उनकी आय में भी कमी आई है।

आज भी खेती के साथ पशुपालन के कई लाभ हैं। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है। यह एक प्रकार से इंटीग्रेटेड खेती (Integrated farming) है, जिसमें फसलों और जानवरों दोनों को लाभ मिलता है। 

पशुपालन के लाभ (benefits of animal husbandry)

  • पशुओं से मिलने वाले गोबर और मूत्र से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। 
  • खेती से हमें वर्ष भर आमदनी नहीं हो पाती है।
  • पशुपालन से हमें वर्ष भर नियमित रूप से आय प्राप्त होती रहती है। 

पशुपालन के हैं कई आयाम (dimensions of animal husbandry)

पशुपालन को भले ही अलग माना जाता रहा है जबकि सच तो यह है कि पशुपालन पूरी तरह से खेती का ही एक भाग है। पशुपालन का अर्थ सिर्फ़ दुग्ध उत्पादन से नहीं बल्कि दूध के अलावा, अंडे, मांस, जैविक खाद आदि से भी है। 

पशुपालन में गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, मुर्गा, बटेर, बतख जैसे कई पशु और पक्षियों का पालन किया जाता है। इसके लिए आप आधुनिक तकनीक और तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन दिनों तो ऐसी तकनीक भी आ गई है, जिससे गाय सिर्फ़ बछिया को ही जन्म देगी। 

डेयरी खोलने से पहले करें रिसर्च (Do research before opening a dairy)

यह पशुपालन सामान्य तरीके से न करके सोची-समझी रणनीति के तहत वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो खेती सहित यह पशुपालन अच्छा सौदा साबित हो सकता है। पशुपालन के तहत किसी भी पशु या पक्षी को खरीदते समय उसकी नस्ल का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। यह पशुपालन की श्रेणी में पहली सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर ही आप ऊपर पहुंचते हैं। 

पशुपालन के लिए टिप्स (tips for animal husbandry)

मवेशी की खरीदारी करते समय आपको किसी पशु चिकित्सक से बात करने के साथ ही उसकी वंशावली के बारे में भी पता करना चाहिए। अब जब आप पशु-पक्षी खरीदकर घर ली आते हैं तो उन्हें अच्छे किस्म का चारा खिलाने की ज़रूरत पड़ती है। अच्छा पोषण देंगे तो ही परिणाम भी अच्छा मिलेगा। अच्छा और पौष्टिक चारा पशु-पक्षियों को सेहतमंद करता है और उनकी उत्पादक क्षमता बेहतर होती है। इसके लिए भी आप किसी पशु चिकित्सक की सलाह ले सकते हैं।

मौसम के अनुसार जिस तरह आप अपना ध्यान रखते हैं, वैसे ही उनका ध्यान रखना भी ज़रूरी है। जैसे गर्मी हो तो उन्हें पर्याप्त पानी पिलाएं, उनके रहने की जगह को ठंडा रखें। उन्हें रोजाना नहलाएं। उनके रहने की जगह को साफ़ रखने और खुला वातावरण देने से उनको बीमारी का खतरा कम रहेगा। सफाई के लिए आप किसी कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ताजा हवा और पर्याप्त रोशनी भी उतनी ही ज़रूरी है। 

इसी तरह मौसम के अनुसार खेती करने से आप न सिर्फ़ फसल को बेच पाएंगे, बल्कि उससे पशुओं के लिए चारा भी बना सकते हैं। गाय से मिलने वाले गोबर का इस्तेमाल वर्मी कम्पोज्ट और गोबर गैस बनाने के लिए भी किया जा सकता है। अपने खेत का मृदा परीक्षण करके उसके अनुसार जैविक खादों का इस्तेमाल और फसल भी की जा सकती है। परम्परागत फसलों के अलावा उन फसलों पर भी ध्यान दिया जा सकता है, जिनसे आमदनी अच्छी होती है।

स्वस्थ और दुधारू पशु के लक्षण (Characteristics of a healthy and milch animal)

  • दुधारू पशु पहली नजर में स्वस्थ, फुर्तीला होती है।
  • चमड़ी पतली हो,ज्यादा मांस न हो, मोटी चमड़ी के पशु अधिक दूध नहीं देते हैं।
  • मोटी चमड़ी और चर्बी वाले पशु में प्रजनन की समस्या आती है।
  • पशु की सिर की तरफ पतला और पीछे से चौड़ा हो
  • चौड़ी छाती हो हड्डियां दिखाई नहीं दें।
  • पशु के पैर सीधे,चलने पर लगड़ाता न हो।
  • आंखें चमकदार साफ स्वच्छ हो।
  • कान चौकन्ने हो और बहते न हो।
  • मुंह से लार न  गिरती हो।
  • पशु सामान्य स्वभाव से खाता और जुगाली करता हो।

नया मॉडल, बेहतर कमाई (New Model, Better Earnings)

एक जैसी फसल न करके अपने खेत में चार- पांच तरह की फसलें उगाना कमाई का बढ़िया और सुरक्षित स्रोत साबित हो सकता है। जैसे अगर एक फसल अच्छी न हो तो अन्य फसलें तो अच्छी होंगी। एक पर घाटा हो तो उसकी भरपाई दूसरी फसलों से की जा सके। इसी तरह पशुपालन के तहत भी आप अलग- अलग नस्ल के पशु रखें। उदाहरण के लिए, अगर आप गाय पाल रहे हैं तो एक ही नस्ल की गाय के बजाय अलग-अलग नस्ल की गायें रखें। इससे यदि एक में कोई खामी आती है तो बाकी तो ठीक रहेंगी। 

पशुपालन के लिए हैं कई सरकारी योजना (government schemes for animal husbandry)

हमारे देश की सरकार सहित विभिन्न राज्यों की सरकारें खेती के साथ ही पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की स्कीम लेकर आई हैं। इसका नाम किसान क्रेडिट कार्ड है। इसके तहत न सिर्फ़ गाय- भैंस पालन बल्कि भेड़-बकरी पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन आदि के लिए भी किसानों को कर्ज दिया जाता है। यह कर्ज 10 लाख रुपये तक का लिया जा सकता है। 

इन योजनाओं में ब्याज दर पर सरकार सब्सिडी भी देती है। यानी कि इन योजनाओं के तहत लिए गए कर्ज पर ब्याज बहुत कम चुकाना पड़ता है। इस तरह के कर्ज के लिए किसान को पशुपालन और डेयरी विभाग के उपनिदेशक का एफिडेविट देने की ज़रूरत पड़ती है। साथ ही अपने पशु का बीमा भी करना पड़ता है, जिसके लिए बहुत कम खर्च करने पड़ते हैं। साथ ही कर्ज लेने वाले को एनओसी, बिजली का बिल, आधार कार्ड जैसे कागजात भी जमा कराने होते हैं। 

खेती के साथ पशुपालन में संभावनाएं लगातार बढ़ रही है। पढ़-लिखकर ज़रूरी नहीं कि युवा नौकरी के लिए शहरों में पलायन करे। बल्कि अपनी शिक्षा का लाभ उठाकर नित नई तकनीक के साथ स्व-रोजगार किया जा सकता है। अपनी जड़ों तक लौटकर विकसित भारत का सपना साकार किया जा सकता है।

ये तो थी पशुपालन की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न- खेती में पशुपालन का क्या महत्व है?

प्राचीन काल से ही खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक रहे हैं। आज भी जैविक खेती पशुपालन किए बिना संभव नहीं है। 

प्रश्न- खेती और पालतू पशुओं में क्या संबंध है?

उत्तर- खेती और पालतू पशु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जैविक खेती में एक ओर जहां पशुओं की सहायता से खेती की जाती है, तो दूसरी ओर पशुओं को चारा खेती से ही मिल पाता है। 

प्रश्न- पशुपालन से हमें क्या लाभ है?

उत्तर- पशुपालन से हमें दूध, चमड़ा, अंडा, मांस के अलावा खेती के कार्य हेतु बैल की शक्ति प्राप्त होता है। 

प्रश्न- कृषि और पशुपालन एक साथ क्यों विकसित हुए?

उत्तर- मानव जाति को सभ्यता के आरंभ से ही खेती से अनाज से लेकर दूध और मांस जैसी मूलभूत चीजें प्राप्त होती रही। ये सभी चीजें पशुपालन के बिना संभव नहीं था। प्राचीन समय से ही खेती के कार्य पशुओं की सहायता से होती रही है। 

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