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मशरूम की खेती की संपूर्ण जानकारी | Mushroom Farming in Hindi

मशरूम की डिमांड बढ़ते हुए देखकर अब कई लोग मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) से जुड़ने के तरीके तलाश रहे हैं।

mushroom ki kheti: मशरूम की खेती

mushroom ki kheti: प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में जाना जाने वाला मशरूम अब आम लोगों की थाली में जगह बनाने लगा है। सुपर फूड (superfood) के नाम मशहूर मशरूम (mushroom) की कोरोना काल के बाद से काफी डिमांड बढ़ गई है। मशरूम में मांस से ज्यादा प्रोटीन और पोषक तत्व होते हैं। खास बात यह है कि इसका 90 फीसदी हिस्सा पच जाता है। जबकि दाल और अन्य प्रोटीन स्रोत का बड़ा हिस्सा पच नहीं पाता है।

बाजार में मशरूम की डिमांड बढ़ते हुए देखकर अब कई लोग मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) से जुड़ने के तरीके तलाश रहे हैं। लेकिन अधिकतर किसानों के सामने यहीं प्रश्न होता है कि मशरूम की खेती कैसे करें (mushroom ki kheti kaise kare)? तो आइए इस लेख में जानते है।

  • मशरूम क्या है (Mushroom Farming in Hindi)
  • मशरूम की खेती की ट्रेनिंग कहां से लें?(Mushroom ki kheti ki training kaise kare)?
  • मशरूम की खेती के लिए जरूरी जलवायु
  • मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार करने की विधि 
  • मशरूम का बीज कहां से खरीदें? (mushroom ka beej kaha se kharide)
  • मशरूम की उन्नत किस्में (Types of Mushroom)
  • मशरूम की खेती में लागत और कमाई (mushroom ki kheti me lagat aur kamai)
  • मशरूम के प्रसंस्कृत उत्पाद (mushroom by products demand)

तो आइए सबसे पहले जानते हैं, मशरूम क्या है? 

मशरूम (Definition of Mushroom) 

मशरूम एक तरह का कवक पौधा है, लेकिन इसको मांस की तरह देखा जाता है। यह फफूंद से बनता है। इसको शाकाहारी पौधा नहीं कह सकते। इसमें सर्वाधिक मात्रा में प्रोटीन और पोषक तत्व मौजूद होते हैं।

मशरूम की खेती की ट्रेनिंग कहां से लें? (Mushroom ki kheti ki training kaise kare)? 

मशरूम की खेती की ट्रेनिंग (Mushroom Farming in Hindi)

सभी कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं जैसे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों के लिए पूरे वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मशरूम की खेती के लिए महिलाओं को अधिक प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को मशरूम की खेती के लिए लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी देती है।

मशरूम की खेती

मशरूम की खेती के लिए जरूरी तैयारी और जलवायु

मशरुम की खेती के लिए स्थाई और अस्थाई दोनों ही प्रकार के शेड का प्रयोग किया जा सकता है। जिन किसानों के पास धन की कमी है, वह बांस व धान की पुआल से बने अस्थाई शेड का प्रयोग कर सकते हैं। बांस व धान की पराली से 30 Χ22Χ12 (लम्बाई Χचौड़ाई Χऊंचाई) फीट आकार के शेड बनाने का खर्च लगभग 30 हजार रुपए आता है। जिसमें मशरूम उगाने के लिए 4 Χ 25 फीट आकार के 12 से 16 स्लैब तैयार की जा सकती हैं। 

मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार करने की विधि

कम्पोस्ट बनाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला नया भूसा जो बारिश में भीगा हुआ न हो प्रयोग में लाया जाना चाहिए। धान की पराली अथवा गेहूं के भूसे के स्थान पर सरसों का भूसा भी प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन सरसों के भूसे के साथ मुर्गी खाद का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। अधिक कम्पोस्ट बनाने के लिए सभी सामग्रियों की मात्रा अनुपात में बढ़ाई जा सकती हैं। किसान खाद (कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट) उपलब्ध न होने की अवस्था में यूरिया की मात्रा अनुपात के अनुसार बढ़ा सकते हैं। लेकिन ताजे या कच्चे कम्पोस्ट में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 1.6-1.7 प्रतिशत होनी चाहिए। 100 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद की बीजाई के लिए 500-750 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है।   

मशरूम का बीज कहां से खरीदें (mushroom ka beej kaha se kharide) 

मशरूम की अधिक पैदावार लेने के लिए बीज शुद्ध व अच्छी किस्म का होना चाहिए। उन्नत किस्म के बीज को सुविधा अनुसार निम्नलिखित प्रयोगशालाओं से प्राप्त किया जा सकता है।

  • खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हिमाचल प्रदेश
  • डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन (हिमाचल प्रदेश)
  • पादप रोग विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (हरियाणा)
  • बागवानी निदेशालय, मशरूम स्पॉन प्रयोगशाला, कोहिमा
  • कृषि विभाग, मणिपुर, इम्फाल, 
  • विज्ञान समिति, उदयपुर (राजस्थान)
  • क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला, सीएसआईआर, श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर),
  • जवाहर लाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (मध्य प्रदेश)

इन सरकारी केन्द्रों के अलावा बहुत से निजी व्यक्ति भी मशरूम बीज उत्पादन से जुड़े हैं जो सोलन, हिसार, सोनीपत, कुरूक्षेत्र (हरियाणा), दिल्ली, पटना (बिहार), मुम्बई (महाराष्ट्र) इत्यादि जगहों पर स्थित हैं। इस सफल किसानों से भी मशरूम के बीज ले सकते हैं। 

मशरूम की उन्नत किस्में (Types of Mushroom) 

देश के कई राज्यों में मशरूम को कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता हैं। यह एक तरह का कवकीय क्यूब होता है। भारत में मशरूम की तीन प्रजातियां प्रचलित है, जिन्हें खाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। 

ढिंगरी मशरूम  (Dhingri Mushroom)

इस किस्म की मशरूम की खेती को करने के लिए सर्दियों के मौसम को उचित माना जाता है। सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में ऊगा सकते है, किन्तु सर्दियों के मौसम में समुद्रीय तटीय क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि ऐसी जगहों पर हवाओ में नमी की 80% मात्रा पाई जाती है। मशरूम की इस किस्म को तैयार होने में 45 से 60 दिन का समय लगता है।

दूधिया मशरूम (milky mushroom)

दूधिया मशरूम की इस प्रजाति को केवल मैदानी इलाको में उगाया जाता है। मशरूम की इस किस्म के बीजों के अंकुरण के समय 25 से 30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा मशरूम के फलन के समय इसी वक्त 30 से 35 तापमान की आवश्यकता होती है। इस किस्म की फसल को तैयार होने के लिए 80 प्रतिशत हवा में नमी होनी चाहिए।

बटन मशरूम (button mushroom)

मशरूम की इस किस्म का इस्तेमाल खाने में सबसे अधिक किया जाता है। श्वेत बटन मशरूम की फसल को तैयार होने के लिए आरम्भ में 20 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। मशरूम फलन के दौरान उन्हें 14 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी खेती को अधिकतर सर्दियों के मौसम में किया जाता है, क्योंकि इसके क्यूब को 80 से 85% वायु नमी की आवश्यकता होती है। इसके क्यूब सफेद रंग के दिखाई देते है, जो कि आरम्भ में अर्धगोलाकार होते है।

मशरूम की खेती में लागत और कमाई (mushroom ki kheti me lagat aur kamai) 

मशरूम की खेती (How to do mushroom farming) का बिजनेस काफी बढ़िया मुनाफे वाला है। इसमें लागत का 10 गुना तक का फायदा (Profit in mushroom Farming) हो सकता है। मतलब 1 लाख रुपए लगाकर शुरू किए गए बिजनेस से 10 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है। पिछले कुछ सालों में मशरूम की डिमांड में भी तेजी आई है। ऐसे में मशरूम की खेती का बिजनेस काफी फायदेमंद हो सकता है। 

मशरूम के प्रसंस्कृत उत्पाद (mushroom by products demand) 

मशरूम की खेती के साथ ही इसके बाई प्रोडक्ट्स बनाकर भी मुनाफा कमाया जा सकता है। (mushroom by products demand) ताजी मशरूम को पैक करके बाजार में पहुंचाने के अलावा किसान मशरूम के पापड़, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कूकीज, नूडल्स, जैम, सॉस, सूप, खीर, ब्रेड, चिप्स, सेव, चकली आदि बनाकर भी बाजार में बेच सकते है। हमेशा देखा गया है कि प्रसंस्कृत उत्पादों को बाजार में बेचने पर ज्यादा पैसे कमाए जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न- मशरूम की खेती कब और कैसे की जाती है?

उत्तर- मशरूम की खेती 22 डिग्री से लेकर 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी खेती स्पान यानी घास या भूसे में की जाती है। 

प्रश्न- मशरूम कितने दिन में तैयार होती है?

उत्तर- मशरूम 40 से 50 दिनों में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है।

प्रश्न- मशरूम की खेती करने में कितना खर्च आता है?

उत्तर- मशरूम की खेती बेड के आकार पर निर्भर करती है। 10 बाय 10 फीट के कमरे में खेती के लिए 10 हजार रुपए तक का खर्च आ जाता है। 

प्रश्न- मशरूम का बीज कहाँ से मिलेगा?

उत्तर- मशरूम का बीज आप कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालयों या किसी निजी विक्रेता से खरीद सकते हैं। 

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