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देसी मुर्गी पालन कैसे करें, यहां जानें | desi murgi palan

ग्रामीण क्षेत्रों में देसी मुर्गी पालन (desi murgi palan) एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। आमदनी बढ़ाने में यह व्यवसाय काफी कारगर है।

देसी मुर्गी पालन - desi murgi palan

desi murgi palan: ग्रामीण क्षेत्रों में देसी मुर्गी पालन (desi murgi palan) एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। किसानों की आमदनी बढ़ाने में यह व्यवसाय काफी कारगर है। देसी मुर्गी (desi murgi) पालन व्यवसाय खेती के साथ आसानी से किया जा सकता है। 

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में देसी मुर्गी पालन का तरीका (desi murgi palan ka tarika) विस्तार से जानें।

पोल्ट्री फार्म (poultry farming in hindi) पर एक नजर

  • पोल्ट्री में देशी मुर्गी का मांस सबसे लोकप्रिय और स्वादिष्ट मांस में से एक है।
  • इसकी मांग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में खूब हैं।
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तकरीबन 70 से 80 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं।
  • इसकी शुरूआत आप बैकयार्ड मुर्गी पालन के रूप में भी कर सकते हैं।
  • ऐसे में हमारे किसान भाई देसी मुर्गी पालन (desi murgi palan) करके कम लागत में लगाकर लाखों रूपए कमा सकते हैं।
 

मुर्गी पालन का इतिहास (history of poultry)

भारत में मुर्गी पालन (poultry farming) बहुत प्राचीन व्यवसाय है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर पता चलता है कि हमारे देश में पोल्ट्री व्यवसाय (poultry business) की शुरूआत 5000 वर्ष पूर्व ही शुरू हो चुकी थी। मुर्गी पालन मौर्य साम्राज्य का एक प्रमुख उद्योग था। खेती के साथ-साथ देसी मुर्गी पालन (Desi murgi palan) उनका प्रमुख व्यवसाय था। 19वीं शताब्दी से इसे बिज़नेस के रूप में देखा जाने लगा। तब से आज तक यह बिज़नेस कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा है।

आज पोल्ट्री फार्म में कई प्रकार के मुर्गियों को पाला जाने लगा है।

जैसे-

  • देसी मुर्गी पालन
  • ब्रायलर मुर्गी पालन
  • अंडे देने वाले मुर्गी पालन

मुर्गी पालन का महत्व (importance of poultry farming)

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर लोग खेती एवं पशुपालन करके अपना जीवन यापन करते हैं। आजकल लोग पशुपालन की तरफ ज्यादा अग्रसर हो रहे हैं जिसमें मुर्गी पालन (poultry farming) को भी एक बहुत अच्छा व्यवसाय माना जा रहा है। पहले के समय में भी लोग गाय, भैंस, भेड़ आदि जानवरों को पालते थे और इनसे लाभ कमाते थे। परंतु आजकल के समय में देसी मुर्गी का पालन (desi murgi palan) भी एक ऐसा व्यवसाय बन गया है जो व्यक्ति को एक अतिरिक्त आय का साधन प्रदान करता है। भारत में भी दिन-प्रतिदिन देसी मुर्गी पालन के व्यवसाय का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

 

देसी मुर्गी पालन के फायदे (Benefits of domestic poultry farming)

  • देसी मुर्गा की मांस बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
  • इसकी बाजार में अन्य मांस की तुलना में सबसे अधिक डिमांड है।
  • ये बाजार में महंगे दाम पर बिकते हैं।
  • किसान इसे बैकयार्ड मुर्गी पालन के रूप में भी कर सकते हैं।
  • गरीब किसानों के कमाई का जरिया बन सकता है।
  • देसी मुर्गियों को कम लागत में पाल सकते हैं।
  • किसानों की आमदनी बढ़ाने का अतिरिक्त साधन बन सकता है।

देशी मुर्गी पालन के लाभदायक पहलू (Beneficial aspects of indigenous poultry farming)

किसान भाईयों की हमेशा यही समस्या रहती है कि फॉर्म यानी ब्यॉलर मुर्गी पालन में बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। बर्ड फ्लू रोग का होना तो आज सामान्य बीमारी हो गई है। जिसके कारण किसान मुर्गी पालन से बचता है। कई बार बीमारियों की फैलने की अफ़वाहों की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जिससे किसान मुर्गी पालन को छोड़ देता है। 

 

देशी मुर्गी पालन (desi murgi palan) में सबसे अच्छी बात यह है कि देशी मुर्गों में बीमारी का खतरा कम होता है क्योंकि इनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है साथ ही देशी मुर्गों के माँस में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। गरीब लोगों को कुपोषण जैसी खतरनाक बिमारियों से भी बचाया जा सकता है।

 

देशी मुर्गियों में ही ऐसा गुण होता है जिनसे एक ही चूजे से मांस और अंडा दोनों मिलता है जिससे यह हमारे किसान भाइयों को ज्यादा लाभदायक हो सकता है। देशी मुर्गे की मल-मूत्र से मिट्टी की क्षमता भी बढ़ती है।

 

एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत देश में मुर्गियों की संख्या तकरीबन 648 मिलियन से भी अधिक है। जिसमें हमारे किसान भाई इनमें से सबसे अधिक 45% देशी मुर्गी पालन करते हैं। आज लगातार बढ़ते महंगाई के दौर में जिस तरह से हर एक व्यापार में लोगों में प्रतिस्पर्धा है उस समय भी देसी मुर्गी पालन व्यापार में मुर्गों का दाम नहीं घटता है।

बाजार में देशी मुर्गे के मांस 300 से 350 रु किलों मे बिकता है जबकि जब हम इनके अंडो कि बात करें तो वह प्रति 10 रुपये की हिसाब से बिकता जाता है। इसे हम छोटे स्तर पर भी शुरु कर सकते है।

 

देशी मुर्गी की नस्लें (native chicken breeds)

देसी मुर्गी (desi murgi) की कई प्रजातियां होती हैं। इनमें से हम मुख्य प्रजातियों की जानकारी यहां दे रहे हैं।

 

ग्रामप्रिया- ग्रामप्रिया मुर्गीयों से हमे अंड़ा और मांस दोनों मिलता है। इसका वजन 1500 ग्राम से 2000 ग्राम तक हो सकता है। इनके मीट का प्रयोग तंदूरी चिकन बनाने में अधिक किया जाता है। ग्रामप्रिया एक साल में औसतन 210 से 225 अण्डे देती है। इनके अण्डों का रंग भूरा होता है और उसका वज़न 57 से 60 ग्राम होता है।

 

श्रीनिधि- श्रीनीधि मुर्गियों का वजन 2500 से 5000 ग्राम तक हो सकता है। यह गाँव के मुर्गियों की तुलना अधिक वजनी होता है। इस प्रजाति की भी मुर्गियां दोहरी उपयोगिता वाली होती हैं। इनसे अधिक मात्रा में मांस और अंडे दोनों के जरिए अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। आपको बता दें, इस प्रजाति की मुर्गियों का विकास काफी तेजी से होता है।

वनराजा- वनराजा देशी मुर्गों में अच्छी मानी जाती है। ये मुर्गियां 120 से 140 अंडे देती है। हांलाकि यह प्रजाति अन्य प्रजाति से थोडा कम सक्रिय रहते हैं।

आप तीनों देशी नस्लों ग्रामप्रिया, वनराजा, श्रीनीधि मुर्गियों का पालन कर सकते हैं और उनके मांस और अंडों को बेच कर अच्छा पैसा कमा सकते है। आप इन तीनों प्रजाति की मुर्गियों का पालन करके अच्छा लाभ ले सकते हैं।

ऐसे करें देसी मुर्गी पालन की शुरूआत (desi murgi palan ka tarika)

मुर्गी पालन करने के लिए सबसे पहले हमें इसके बारे में एक अच्छी जानकारी होना बहुत जरुरी है। अन्यथा आपको घाटा उठाना पड़ सकता है। यदि आप इसे व्यवसायिक स्तर पर करना चाहते हैं, तो जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या पशुपालन विभाग से जरूर संपर्क करें।  

मुर्गी पालन हम दैनिक जीवन में मांस का उपयोग करने के साथ-साथ व्यवसाय के लिए भी कर सकते है। देशी मुर्गी पालन के लिए हमें बहुत ज्यादा जगह की जरुरत नहीं होती हैl इस व्यवसाय को हम घर के खाली जगह, आंगन या खेतों में शुरु कर सकते हैं। 

आपको बता दें, इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा भी कई योजनाए चलाई जाती हैं जिसके लिए आप पशुधन विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए आप देसी मुर्गी पालन योजना के तहत लोन भी ले सकते हैं, जिसके लिए सरकार सब्सिडी भी प्रदान करती है।  

 

मुर्गी पालन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

आमतौर पर देशी मुर्गी का पालन (desi murgi palan) यदि हम छोटे पैमाने पर करते है तो उसके लिए शेड बनाने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यदि बड़े पैमाने पर व्यवसायिक दृष्टि से करना चाहते है तो हमें मुर्गी घर के अलावा अन्य वैज्ञानिक पद्धति अपनानी होगी।

 

यदि योजनाबद्ध तरीके से मुर्गी पालन (murgi palan) किया जाए तो कम खर्च में अधिक आय की जा सकती है। बस तकनीकी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। मुर्गियों को तभी हानि होती है या वो मरती हैं जब उनके रख-रखाव में लापरवाही बरती जाए। 

मुर्गीपालन में हमें कुछ तकनीकी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। फार्म बनाते समय यह ध्यान दें कि यह गाँव या शहर से बाहर मेन रोड से दूर हो, पानी व बिजली की पर्याप्त व्यवस्था हो।  फार्म हमेशा ऊंचाई वाले स्थान पर बनाएं ताकि आस-पास जल जमाव न हो।

दो पोल्ट्री फार्म एक-दूसरे के करीब न हों और फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम हो। मध्य में ऊंचाई 12 फीट व साइड में 8 फीट हो। चौड़ाई अधिकतम 25 फीट हो तथा शेड का अंतर कम से कम 20 फीट होना चाहिए और फर्श पक्का होना चाहिए। 

एक शेड में हमेशा एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए। आल-इन-आल आउट पद्धति का पालन करें और शेड तथा बर्तनों की साफ-सफाई पर ध्यान दें। शेड में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रखना चाहिए और इसके साथ ही कुत्ता, चूहा, गिलहरी, आदि से मुर्गियों का देखभाल करते रहना चाहिए। मरे हुए चूजे, वैक्सीन के खाली बोतल को जलाकर नष्ट कर दें।

समय-समय पर शेड के बाहर दवाओं का छिड़काव व टीकाकरण नियमों का पालन करना चाहिए। समय पर सही दवा का प्रयोग करें और पीने के पानी का उचित मात्रा में प्रयोग करें।

कड़कनाथ मुर्गा पालन है, मुनाफे का सौदा

desi murgi palan : देसी मुर्गी पालन

इन दिनों कड़कनाथ मुर्गा पालन (Kadaknath murgi palan) फायदे का कारोबार कहा जा रहा है। इसकी कई वजह हैं, एक तो ये महंगा बिकता है। इसके रखरखाव में लागत कम है, दूसरा ये खाने वाले को कई बीमारियों में फायदा पहुंचाता है। इसका मीट कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोगियों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है।

 

आजकल स्वाद और औषधीय गुणों के चलते कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath murgi) की मांग पूरे देश में होने लगी है। कड़कनाथ मुर्गों की खासियत यह है कि इसका खून और मांस काले रंग का होता है। मध्य प्रदेश का झबुआ जिले की ये प्रजाति अब यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा-पंजाब समेत कई राज्यों में पाली जाने लगी है। 

कड़कनाथ के चूजों की है भारी मांग

कड़कनाथ(Kadaknath) नस्ल के चिकन की संख्या हमारे देश में काफी कम है, इसलिए कड़कनाथ चिकन का पोल्ट्री फार्म खोलना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही अगर आप ऊपर बताई गई जानकारियों का सही से पालन करेंगे, तो आप कम समय में अपने कुक्कुट फॉर्म को अच्छे से स्थापित कर सकें और मुनाफा कमा सकते हैं।

 

ये तो थी देसी मुर्गी पालन (desi murgi palan) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

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