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लाल भिंडी की खेती | lal bhindi ki kheti

लाल भिंडी (Red lady finger) की बात करें तो यह एक विदेशी फसल है। लाल भिंडी की खेती अब भारत में भी होने लगी है। 

लाल भिंडी की खेतीlal bhindi ki kheti: भिंडी तो सभी ने देखी और खाई होगी, लेकिन क्या किसी ने लाल रंग की भिंडी देखी है?

इन दिनों लाल भिंडी खूब चर्चा में है। लाल भिंडी (Red lady finger) की बात करें तो यह एक विदेशी फसल है। गौरतलब है कि इसकी खेती अभी तक यूरोपीय देशों में होती रही है। लेकिन भारत में भी लाल भिंडी की खेती होने लगी है। 

सेहत के मामले में लाल भिंडी किसी रामबाण से कम नहीं है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें फॉलिक एसिड पाया जाता है जो बच्चों के मानसिक विकास में सहायक होता है। 

लाल भिंडी में हार्ट की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज को कंट्रोल करने की क्षमता होती है। लाल भिंडी में मौजूद आयरन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट तत्व इसे हार्ट के लिए उपयोगी बना रहे हैं। इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल को रोकने में मदद मिलती है हरी भिंडी की तुलना में लाल भिंडी को काटने पर चिपचिपा पन कम होता है।

लाल भिंडी में औषधीय गुण के साथ-साथ इसकी खेती से किसानों को खूब आमदनी होती है। हरी भिंडी की तुलना में बाजार में इसकी मांग भी ज्यादा है। इससे किसानों को तीन गुना ज्यादा आमदनी होती है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने लाल भिंडी को काशी लालिमा के नाम से तैयार किया है।

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में लाल भिंडी की खेती (lal bhindi ki kheti) को विस्तार से जानें।

सबसे पहले लाल भिंडी की खेती के लिए आवश्यक जलवायु के बारे में जानते हैं। 

लाल भिंडी की खेती के लिए ज़रूरी जलवायु

लाल भिंडी की खेती (lal bhindi ki kheti) के लिए गर्म और आद्र कम जलवायु उपयुक्त होती है सामान्य तौर पर हरी भिंडी के जैसे ही लाल भिंडी के पौधे की लंबाई लगभग एक से डेढ़ मीटर तक होती है 

लाल भिंडी खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है। इसके पौधे को बारिश की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। सामान्य बारिश इसकी खेती के लिए काफी होती है। अधिक गर्मी और अधिक सर्दी इसकी खेती के लिए अच्छी नहीं होती। सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसकी खेती को अधिक नुकसान पहुंचाता है। पौधों को विकास के लिए दिन में लगभग 6 घंटे तक धूप की आवश्यकता होती है।

खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

लाल भिंडी की खेती (lal bhindi ki kheti) के लिए जीवांश कार्बनिक पदार्थ युक्त बलुई दोमट मिट्टी सबसे सर्वोत्तम होती है। अच्छी पैदावार गुणत्तापूर्ण फल हेतु उचित जल निकास भूमि पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। देश भर में लगभग सभी जगह लाल भिंडी की खेती की जा सकती है।

लाल भिंडी की खेती का सही समय

लाल भिंडी की खेती हरी भिंडी के जैसे ही साल में दो बार की जा सकती है। फरवरी के पहले सप्ताह से मार्च अंत तक और जून से जुलाई माह तक इसकी खेती की जा सकती है।

लाल भिंडी की खेती की तैयारी कैसे करें

लाल भिंडी की खेती (lal bhindi ki kheti) के लिए शुरुआत में खेत की अच्छे से जुताई कर उसे खुला छोड़ दें। उसके बाद खेत में 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद को डालकर खेत की अच्छे से जुताई कर दें. जिससे गोबर की खाद मिट्टी में अच्छे से मिल जाती है। उसके बाद खेत में पानी छोड़कर खेत का पलेव कर दें। पलेवा करने के दो से तीन दिन बाद जब भूमि उपर से सूखने लगे तब खेत की फिर से जुताई कर उसमें पाटा चला दें ताकि खेत समतल हो जाए।

उन्नत किस्में

लाल भिंडी की दो उन्नत किस्में हैं

1. आजाद कृष्णा

2. काशी लालिमा 

इस प्रजाति के विकास के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों में 1995-96 से कार्य शुरू किया। 23 साल बाद वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान ने लाल भिंडी की इस किस्म के विकास में सफलता प्राप्त की। इस किस्म का रंग बैगनी लाल होता है। 10-15 सेंटीमीटर लम्बी, और 1.5 से 1.6 सेमीo की मोटाई वाली यह भिंडी में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इन दोनों किस्मों के फल लाल रंग के होते हैं।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

लाल भिंडी की सिंचाई सामान्य भिंडी की तरह ही होती है। इसके पौधे की सिंचाई मौसम के आधार पर की जाती है।  मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून में 4-5 दिन के अंतर पर करें। बरसात में यदि बराबर बारिश होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

लाल भिंडी की खेती में खाद ऊर्वरक की मात्रा

लाल भिण्डी की बुवाई से पहले खेत की तैयारी के अंतर्गत 20-30 टन अच्छी तरह गली और सड़ी हुई गोबर की खाद खेत माह भर पहले किसान भाई डाल दें

  • 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन
  • 60 कि.ग्रा. फास्फोरस
  • 50 कि.ग्रा. पोटाश

प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में डालनी चाहिए।

उर्वरक डालने की विधि

बुआई के पहले ही नाइट्रोजन खाद की एक तिहाई मात्रा तथा फॉस्फोरस पोटाश की पूरी मात्रा खेत में मिला दें। शेष बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा दो बार खड़ी फसल में एक समान रुप से टॉप ड्रेसिंग कर दें।

लाल भिंडी की खेती में लागत और कमाई

लाल भिंडी का उत्पादन सामान्य भिंडी की अपेक्षा तीन गुना अधिक होता है। कृषि वज्ञानिकों ने इसकी भारतीय किस्म भी
ईजाद कर ली हैं। यह भिंडी बाजार में सामान्य भिंडी से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिकती है। लागत आदि मिलाकर कुल खर्चों के बाद भी किसान लाल भिंडी से डेढ़ से दोगुना ज्यादा कमाई कर सकता है। बाजार में अमूमन एक किलोग्राम लाल भिंडी 100 से 500 रु की कीमत पर मिल जाती है।

यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा हो, तो इसे दूसरे किसानों तक जरूर पहुंचाए। इससे उन्हें भी लाल भिंडी की खेती (lal bhindi ki kheti) की पूरी जानकारी मिल सके। 

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