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ग्राम न्यायालय के अधिकार | gram nyayalaya kya hai

ग्राम न्यायालय का मुख्य उद्देश्य है कि गांव का कोई भी व्यक्ति सामाजिक आर्थिक या अन्य किसी कारणों से न्याय से वंचित न रहें।

ग्राम न्यायालय क्या है? जानें ग्राम न्यायालय के अधिकार और विशेषताएं | gram nyayalaya kya hai

gram nyayalaya: जहां लोग रहते हैं वहां पर कभी-कभी लोगों के बीच आपसी विवाद होना साधारण बात है। जैसा कि इस शब्द सही समझ रहे होंगे कि ग्राम न्यायालय (gram nyayalaya) का मतलब है गांव की अदालत। इसे आम बोलचाल की भाषा में ग्रामीण न्यायालय भी कहा जाता है।

गांव के लोगों का अपने अधिकार या फिर आपसी विवाद के फैसले के लिए कोर्ट के चक्कर काटना संभव नहीं हो पाता है। गांव के लोगों के इन्हीं समस्याओं के निदान के लिए सरकार ने गांव में ही उनके लिए न्यायालय की स्थापना की है। जिसे ग्राम न्यायालय (gram nyayalaya) कहा जाता है। 

ग्राम न्यायालय की स्थापना अधिनियम 2008 के तहत की गई है। अब तक 11 राज्यों में ग्राम न्यायालय का कानून लागू किया गया है 2 अक्टूबर 2009 को इस कानून की शुरुआत की गई।

तो आइए, इस ब्लॉग में जानें

  • ग्राम न्यायालय क्या है?
  • ग्राम न्यायालय के उद्देश्य
  • ग्राम न्यायालय के  पदाधिकारी
  • ग्राम न्यायालय के कार्य और शक्तियां
  • ग्राम न्यायालय की विशेषताएं
  • ग्राम न्यायालय के फैसले की अपील
  • किस तरह के फैसले की अपील नहीं की जा सकती है
  • ग्राम न्यायालय से लाभ

ग्राम न्यायालय क्या है? (gram nyayalaya kya hai)

ग्राम न्यायालय एक ऐसी जगह है जहां पर गांव के लोगों के छोटे-मोटे विवाद या अधिकारों के गुत्थी को सुलझाया जाता है। साधारण भाषा में कहें तो ग्राम न्यायलय गांव के लोगों को त्वरित न्याय दिलाने की जगह है।

ग्राम न्यायालय का उद्देश्य (Objective of Gram Nyayalaya)

ग्राम न्यायालय का मुख्य उद्देश्य है कि गांव का कोई भी व्यक्ति सामाजिक आर्थिक या अन्य किसी कारणों से न्याय से वंचित न रहें। लोगों को उचित समय पर त्वरित इंसाफ दिलाना भी ग्राम न्यायालय का उद्देश्य है।

ग्राम न्यायालय के पदाधिकारी (village court officials) 

  • ग्राम न्यायालय में प्रथम श्रेणी के अधिकारी न्यायाधीश (magistrate) या न्यायाधिकारी होते हैं ।
  •  न्यायाधिकारी (presiding officer) की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय की सहमति से की जाती है।
  • उनकी शक्तियां, वेतन व भत्ते उच्च न्यायालय के अधीन काम करने वाले प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश के बराबर होती है।

ग्राम न्यायालय के कार्य (gram nyayalaya ke karya)

  • लोगों के बीच चल रहे आपसी विवाद को सुलझाना।
  • समय-समय पर गांव में जाकर वातावरण और व्यवस्था को समझना।
  • निष्पक्ष फैसला सुनाना जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हो।
  • आपसी समझौते से विवाद का निपटारा करना।

ग्राम न्यायालय की विशेषताएं

  • ग्राम न्यायालय में दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का हर संभव प्रयास किया जाता है। ताकि विवाद का आसानी  से निपटारा किया जा सके।
  • अन्य न्यायालयों की जटिल कानूनी प्रक्रियाओं से हटकर यह बहुत आसान प्रक्रिया द्वारा लोगों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराया जाता है।
  • मुकदमों की सुनवाई करके त्वरित कार्रवाई इसकी मुख्य विशेषता है।

ग्राम न्यायालय की शक्तियां

  • ग्राम न्यायालय को आपराधिक (criminal) और दीवानी (civil) दोनों के न्यायालयों की सुनवाई करने की शक्ति प्राप्त है।
  • ग्राम न्यायालयों में सिर्फ उन्हीं मामलों की सुनवाई की जाती है। जिसमें अधिकतम सजा 2 वर्ष या उससे कम हो।
  • दीवानी मामलों में आपसी समझौते और फौजदारी मामलों में ‘प्ली बार्गेनिंग’ (Plea Bargaining) के माध्यम से समस्या का समाधान करने की शक्ति दी गई है।
  • आपराधिक मामलों में भी आरोपी को सलाह दी जाती है कि गुनाह कबूल कर ले और पीड़ित पक्ष से माफी मांग ले। 
  • ग्राम न्यायालय का भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में मौजूद “साक्ष्य नियमावली” से कोई संबंध नहीं है।

ग्राम न्यायालय के फैसलों की अपील

ग्राम न्यायालय द्वारा पारित किए गए किसी आदेश को उसके जारी होने के 30 दिनों के अंदर संबंधित जिला न्यायालय  में चुनौती दी जा सकती है।

दीवानी मामले- ग्राम न्यायालय द्वारा दीवानी मामले में दिये गए किसी आदेश को संबंधित जिला न्यायालय (District Court) में चुनौती दी जा सकती है।

फौजदारी मामले– ग्राम न्यायालय द्वारा फौजदारी मामले में दिए गये किसी आदेश को संबंधित सत्र न्यायालय (Session Court) में चुनौती दी जा सकती है।

जिला और सत्र न्यायालयों को ग्राम न्यायालय के आदेश के खिलाफ यदि अपील की जाती है तो 6 माह के अंदर फैसला देना अनिवार्य है।

किस तरह के फैसलों में अपील नहीं की जा सकती है 

  • वैसे मामले जो आपसी समझौते के माध्यम से सुलझाए जा चुके हैं। 
  • वैसे सिविल मामले जिसमें जुर्माने की राशि 1000 से कम हो। 
  • यदि अपराधी ने अपनी गलतियां जो मान ली है तो उसके लिए भी ग्राम न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।

ग्राम न्यायालय के लाभ (Benefits of Gram Nyayalaya)

  • ग्राम न्यायालय की स्थापना से लोगों के धन और समय दोनों की बचत होती है।
  • उच्च न्यायालय की तुलना में कम समय में लोगों को त्वरित न्याय मिल जाता है।
  • ग्राम न्यायालय की स्थापना हो जाने से उच्च न्यायालय में बहुत कम सुलह समझौते के मामले आते हैं।
  • लोगों को न्याय पाने के लिए बार-बार उच्च न्यायालय का चक्कर नहीं काटना पड़ता।

ग्राम न्यायालय में आने वाली चुनौतियां (Challenges in Gram Nyayalaya)

  • गांव में 24 घंटे बिजली और पानी तथा इंटरनेट के उपयोग की व्यवस्था न होने के कारण काम करने में कई बार बाधाएं आती हैं।
  • कई बार पीड़ित पक्ष ग्राम न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं होता है।
  • ग्राम न्यायालय में पक्षपाती फैसले होने की संभावना बनी रहती हैं।

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