काम की खबरपंचायती राज

पंचायत चुनाव में आरक्षण और लॉटरी व्यवस्था | Reservation of Seats in Gram Panchayats

सभी वर्गों का पंचायतों में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 73वें संविधान संशोधन में अनुच्छेद- 243(D) में आरक्षण का प्रावधान किया है।

पंचायत चुनाव में आरक्षण और लॉटरी प्रणाली: जैसा कि आप सभी जानते हैं प्राचीन भारत में पंचायतों पर जमींदार और साहूकारों का अधिकार था। परन्तु भारत के 73वें संविधान संशोधन के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपनी गाँव की सरकार (ग्राम पंचायत) बनाने के लिए खुद से चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ है।
 

वर्तमान समय में पंचायत चुनाव के माध्यम से जनता अपने मनपसंद लोगों को सरपंच (sarpanch) चुनते हैं। लोकतंत्र की यही विशेषता भारत को विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र पहचान दिलाती है।

भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, धर्म, वर्ग, रंग या लिंग के भेदभाव के बिना वोट देने का अधिकार देती है। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांत पर आधारित है जो सभी के लिए समान है।

पंचायत चुनाव (panchayat chunav)

देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन स्थापित कराने के लिए कराई जाने वाले चुनाव पंचायत चुनाव कहलाता है। 73वें संविधान संशोधन से पहले तक पंचायतों के लिए कई स्थानों पर चुनावों की कोई भी प्रत्यक्ष एवं औपचारिक व्यवस्था नहीं थी, परंतु इस संशोधन के बाद पंचायतों के सभी स्तरों पर प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था है। जिसमें जनता सीधे अपने प्रतिनिधि को चुनती है।

इस चुनाव की जिम्मेदारी राज्यों की निर्वाचन आयोग की होती है। राज्य निर्वाचन आयोग ही प्रत्येक 5 वर्ष के अन्तराल पर वार्ड पंच, सरपंच, पंचायत समिति और जिला परिषद के सदस्यों के निर्वाचन के लिए पंचायत चुनाव आयोजित करती है।

आपको बता दें, 73वें संविधान संशोधन के बाद स्थानीय स्वशासन में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाया गया है। उसमें आरक्षण व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण है।

पंचायतीराज में आरक्षण प्रणाली क्या है (Reservation of Seats in Gram Panchayats)

यहाँ यह भी जिक्र करना आवश्यक है कि पंचायती राज अधिनियम-1992 से पहले पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं की सहभागिता की गुंजाइश नहीं थी।

इसीलिए भारत सरकार ने सभी वर्गों का पंचायतों में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 73वें संविधान संशोधन-1992 में अनुच्छेद- 243(D) में आरक्षण का प्रावधान किया है।

आरक्षण की प्रक्रिया (reservation process)

वर्तमान में किसी ग्राम पंचायत में प्रत्येक निर्वाचन से पहले चुनाव आयोग निर्वाचन नियमावली के प्रावधानों के अनुसार नवीनतम जनगणना आंकड़ो के आधार पर सामान्य वर्ग, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या के अनुपात में उस निर्वाचन क्षेत्र में उनकी सीट आरक्षित की जाती है।

वर्तमान में पंचायती राज की तीनों स्तर की संस्थाओं में आरक्षण व्यवस्था की गई है।

महिला आरक्षण (women reservation)

कमजोर वर्गों की भाँति महिलाओं को भी स्थानीय शासन में कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं था। 73वाँ संविधान संशोधन में महिलाओं को भी उचित दिया गया। पंचायतों में सभी सीटों पर महिलाओं के लिए (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं सहित) एक तिहाई स्थान आरक्षित किए गए हैं।

यह आरक्षण प्रणाली चक्रानुक्रम/रोस्टर के अनुसार आवंटित किए जाते हैं।

वर्तमान समय में कई राज्यों ने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाकर उनके लिए सभी सीटों पर 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दिया है। इन राज्यों में पंचायतों के प्रत्येक दूसरा पद महिलाओं के लिए आरक्षित है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण

अनुच्छेद 243(D) यह प्रदान करता है कि सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी। प्रत्येक पंचायत में, सीटों का आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा। आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई से कम आरक्षित नहीं होंगी, जो क्रमशः अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

पिछड़े वर्गों हेतु आरक्षण

पंचायती राज में पिछड़े वर्गों हेतु भी राज्य सरकार ने जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण रखा है, जो वर्तमान में 21 प्रतिशत है।

लॉटरी सिस्टम क्या है (what is lottery system)

लॉटरी व्यवस्था एक प्रकार का रोस्टर सिस्टम है जिसमें प्रत्येक पाँच साल के बाद वहाँ की सीट जनसंख्या की आनुपात को देखते हुए सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सीटों का आरक्षण बदल दी जाती है।

जैसे

जहाँ SC/ST और पिछड़ी जातियों या महिलाओं के लिए सीट आरक्षित है। वहाँ अगले 5 साल बाद निर्वाचन आयोग द्वारा लॉटरी द्वारा चक्रानुक्रम (Rotational) कर दिया जाता है। बशर्ते किसी खास वर्ग के लिए किसी पंचायत क्षेत्र में आरक्षण को दोहराया नहीं जा सकता, जब तक कि अन्य सभी को समुचित प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया गया हो।

रोस्टर की व्यवस्था आप निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते हैं।

मान लिजिए किसी जिले में 90 ग्राम पंचायतें हैं। वहाँ पहले 5 साल में किन्हीं 30 ग्राम पंचायतों की सरपंच महिलाएं होंगी। दूसरे अन्य 30 ग्राम पंचायतों में अगले 5 वर्ष के लिए वहाँ महिला सरपंच होंगी। इसके बाद अगले 5 के लिए बचे हुए 30 ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच होंगी। इस प्रकार से रोस्टर के हिसाब से महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित रहेंगी और रोस्टर से अन्य को भी भागीदारी करने का मौका मिलता रहेगा।

इस रोस्टर प्रणाली की प्रक्रिया राज्य सरकार के निर्वाचन आयोग द्वारा की जाती है। इसी प्रकार SC/ST के लिए भी आरक्षण का तरीका अपनाया जाता है।

पंचायत चुनाव का महत्व

लोकतंत्र में पंचायत एक पर्व की तरह है। यह लोकतांत्रिक पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह 5 वर्ष में एक बार आता है। जहाँ लोगों को अपने मनपसंद लोगों को चुनने का अधिकार मिलता है। सत्ता के विकेंद्रीकरण को निचले स्तर पर स्थापित करने में ग्राम पंचायत भारत में शासन व्यवस्था की सशक्त इकाईयाँ है।

संक्षेप में कहें, पंचायत चुनाव में आरक्षण भी एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है जिसमें सभी वर्ग के लोगों को शासन में भागीदारी करने का मौका मिलता है। पंचायती राज अधिनियम में मिली आरक्षण व्यवस्था सभी वर्गों की भागीदारी में मील का पत्थर साबित हुआ है। सभी वर्गों की भागीदारी से साफ है कि जिस उद्देश्य से आरक्षण व्यवस्था का ताना-बाना बुना गया था, आज वह अपने लक्ष्य को साध रही है।

Related Articles

Back to top button