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horticulture: बागवानी में है अपार संभावनाएं, जानिए बागवानी के लाभ

आज कहीं न कहीं बागवानी (horticulture) किसानों के लिए एक अवसर बनकर सामने आया है। सरकार भी लोगों की इसमें मदद कर रही है।

horticulture farming in india: फल उत्पादन (Fruit production) में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। विश्व के कुल फल उत्पादन में भारत की लगभग 10 प्रतिशत भागीदारी है। हमारा देश आम, केला, चीकू तथा नीम्बू प्रजाति के फलों के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है।

हमारे देश को कृषि और बागवानी (Agriculture and Horticulture) अपनी विरासत में मिली है।

भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कृषि (Agriculture) और बागवानी (horticulture) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 

बागवानी फसलों में सबसे ज्यादा उत्पादन सब्जी का होता आ रहा है। कुछ कारणों से किसान आज फलों, फूलों तथा वनस्पतियों की बागवानी करने के बजाय उनका ध्यान अन्य व्यापार की ओर जा रहा है। जिससे वह इन कार्यों को छोड़कर अन्य रोजगार पर ध्यान दे रहे हैं। 

आज कहीं न कहीं बागवानी (horticulture) किसानों के लिए एक अवसर बनकर सामने आया है। सरकार भी लोगों की इसमें मदद कर रही हैं, बागवानी करके किसान कहीं और रोजगार करने के बजाय अपना खुद का रोजगार कर सकते है। बागवानी से रोजगार सृजन में बहुत मदद मिलती है। बागवानी में फसल तथा फलवृक्ष दोनों के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर मिलते हैं। 

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में बागवानी से होने वाले लाभ (benefits of gardening) के बारे में विस्तार से जानें। 

बागवानी से स्वरोजगार में मिलती है मदद (Horticulture helps in self employment)

बागवानी के कई लाभ हैं। बागवानी के विभिन्न चरणों में हम अलग-अलग वस्तुओं से अपना व्यापार शुरु कर सकते हैं। हम बागवानी करके फल, फल वृक्षों,चारे वाली फसलों, मसाले, फूलों, सब्जियां, जड़ी बूटियों, आदि का प्रयोग करके हम अलग अलग तरह के उद्योग कर सकते है।

जैसे-

लकड़ी का उद्योग (woodworking industry)

बागवानी करके हम अलग-अलग तरह के पेड़ों को प्रयोग में ला सकते हैं। जिससे हम महंगी लकड़ियों के रुप में प्रयोग किया जा सकता है। कागज के लिए हम बांस, युकेलिप्टस, शीशम की पौधे रोपण कर के 5 से 10 साल में उपयोग में लिया जा सकता है। जिसका प्रयोग हम कागज बनाने, प्लाईवुड बनाने के लिए कर सकते है पापुलर की लकड़ी का प्रयोग करके आप माचिस उद्योग शुरू कर सकते हैं। जिसका प्रयोग दैनिक जीवन में अधिक मात्रा में हो रहा है। 

बागवानी में है अपार संभावनाएं, यहां जानें बागवानी करने के लाभ

औषधीय उद्योग (pharmaceutical industry)

आज लोगों का ध्यान अंग्रेजी दवाइयों से इतर आयुर्वेदिक तथा नेचुरलपैथी की ओर ज्यादा है। इसका साइड इफैक्ट भी कम होता है तथा बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज भी किया जा रहा है। जिससे रोजगार के साथ साथ काम के अवसर भी अधिक देखने को मिल रहा है तथा व्यापार के क्षेत्र में यह बड़ा रोजगार बनकर सामने आया है। गिलोय, नीम, आवला, अश्वगन्धा, शतावर, एलोवेरा, अरंड, तुलसी, अदि  जड़ीं बूटियों की बागवानी करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

फूलों की बागवानी (flower gardening)

धार्मिक कार्यो में फूल तथा फलों का बहुत प्रयोग होता है। फूल का प्रयोग करके हम इत्र बनाते है जो बाजार में अच्छे दामों में बिकता है। शहरों तथा गावों क्षेत्रों में इसकी मांग हमेशा रहती है। पुष्पीय फसले जैसे गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी तथा फूलों का प्रयोग करके हम इत्र तथा तेल बनाने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।

फलों में आम , अमरुद, आवला आदि  फलों का प्रयोग करके हम मुरब्बा, आचार, जैंम, जैली, आमरस आदि चीजों का लघु उद्योग बना कर के रोजगार शुरु कर सकते है तथा अपने साथ अन्य लोगो को भी रोजगार दे सकते है तथा इन पौधों की बागवानी करके अच्छे पैसा भी कमाये जा सकता है।  

गिलोय की बागवानी (Gardening of Giloy)

गिलोय (Giloy) एक ऐसा पौधा है जिसका प्रयोग हम अधिकतर बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसका प्रयोग हम पेट से संबंधित अधिकतर बीमारीयों में किया जा सकता है तथा इसकी बागवानी करके अच्छा पैसा कमाया भी जा सकता है। आर्युर्वेदिक दवाइयों में इसका प्रयोग काफी मात्रा में किया जा रहा है। इस पौधे को बलुई दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है। 

इसको आप जून जूलाई के मौसम में अपने घरों के बाहर तथा कम जगहों पर लगा सकते हैं। बेहतर उपज के लिए हम इसे 3 मीटर की दूरी पर लगा सकते है इस पौधे में किसी भी किट संक्रमण का ज्यादा खतरा नही होता है इसे हम पतझड के मौसम में कटाई करके पतंजलि तथा डॉबर तथा आर्युर्वेदिक कंपनी को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते है इस पौधें को लगाने में हमे ज्यादा खर्च नहीं पड़ता तथा बाजारों में अच्छे दामों मे बिकता है।

बागवानी फसलों के होने वाले वाले नुकसान

किसान भाइयों को सही जानकारी नहीं होने की वजह से कई प्रकार की समस्यों से होकर गुजरना पड़ता है जिससे वे हताश व उदास होकर हार मान जाते है।  बागवानी के दौरान होने वाले कटाई के दौरान काफी मात्रा में फल और सब्जियां खराब हो जाती है। जिससे उन्हें बाजार में अच्छा पैसा भी नहीं मिलता है। 

कोल्ड स्टोरेज का अधिक मात्रा में नहीं होना भी फसलों के खराब होने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है भारत में मौजूदा कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 37-39 मिलियन टन है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 7,645 कोल्ड स्टोरेज है जिनमें से 68 प्रतिशत क्षमता आलू की है जबकि 30 प्रतिशत अन्य वस्तुओं के लिए है। देश में बागवानी फसलों को बचाने के लिए कोल्ड स्टोरेज कि संख्या बढ़ानी चाहिए जिससे किसानों और आम व्यक्तियों का इसका फायदा मिल सके और उनके फसलों का अच्छा मूल्य बाजार में मिल सके।

बागवानी के लिए रखें इन बातों का ध्यान (Keep these things in mind for gardening)

  • आज किसान शहरी क्षेत्रों में ताजी हरी सब्जियों तथा विभिन्न फलों की तेजी से मांग को देखते हुए अब फसलों का ज्यादा उत्पादन कर रहे हैं।
  • आज बदलते दौर में किसानों का अधिक फायदा के लिए परंपरागत खेती की जगह आधुनिक बागवानी पर जोर देना होगा, जिसमें वो फसलों की अलग अलग किस्मों का उत्पादन करके अच्छा पैसा कमा सकता है।
  • आज के दौर में किसानो को वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करके फलों की कई किस्मों पर विभिन्न प्रयोग किया गया और सफल भी हुए हैं। बागवानी फसलों की मांग भी बढ़ी है। जैसे- अमरुद (इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ 49) केले,( बसरई) आम (आम्रपाली,अर्का) आदि, कुछ गांव का शहरों तक तक पहुच नहीं होने की वजह से उन्हें की समस्यों से होकर गुजरना पड़ता था आज सूचना तकनीक के इस दौर में किसान भाई अपने मोबाइल के द्वारा ही उत्पाद को बेच सकता है और अच्छा लाभ कमा सकता है।

बागवानी के लिए इन योजनाओं का लें लाभ (Take advantage of these schemes for gardening)

भारत सरकार ने बागवानी और कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं का लाभ भी कई लोग ले रहे हैं।  इसका लाभ लेने के लिए आप अपने नजदीकी कृषि सहायता केन्द्र से संपर्क कर सकते हैं। 

  • फसल कटाई के बाद खराब होने वाले फसलों को बचाने के लिए वेयरहाउसिंग और ग्रामीण भंड़ारण योजना
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
  • राष्ट्रीय कृषि योजना
  • स्टार्टअप इंडिया पहल
  • मेरा गांव, मेरा गौरव
  • मेक इन इंडिया
  • फार्मर फस्ट
  • ग्रामिण उद्यमिता जागरुकता विकास योजना आदि।

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