Panchayat samiti: ग्राम पंचायत समिति क्या है, यहां जानें
पंचायत समितियां (panchayat samiti) ग्राम पंचायतों की हाथ, कान, आँख व दिमाग है।‘ जो पंचायत के काम-काज की निगरानी का कार्य करती है।
panchayat samiti: स्थानीय स्वशासन में पंचायती राज व्यवस्था सामूहिक निर्णय की अवधारणा पर आधारित है। इसलिए गाँव के विकास हेतु पंचायत स्तर पर विभिन्न समितियाँ बनाई जाती है जो पूरी तरह सक्रिय होकर आवंटित विषय और कार्यक्रमों की सतत निगरानी करती हैं।
पंचायत समिति क्या है? (What is Panchayat Samiti?)
अक्सर देखा जाता है कि ग्राम पंचायत में काफी मतभेद रहता है। पंचायत में निर्बाध गति से काम करने के लिए ऐसे लोगों की समूह की जरूरत होती है जो विशेष प्रकार की कार्यों को सौंपा जा सके।
इसीलिए संबंधित विषय के लोगों की समितियाँ गठित की जाती है। ये पंचायत समितियां (panchayat samiti) अपने विषय संबंधित कार्यों का निर्वाहन करती है। जिससे ग्राम पंचायत का काम सुचारू रुप से होता रहता है। इन्हीं समितियों के माध्यम से पंचायतें अपने दायित्वों का निर्वहन करती है।
दूसरे शब्दों में कहें तो
‘पंचायत समितियां (panchayat samiti) ग्राम पंचायतों की हाथ, कान, आँख व दिमाग है।‘ जो पंचायत के काम-काज की निगरानी कर भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगाने का कार्य करती है। इन समिति में अनुभवी और विषय से संबंधित लोगों को शामिल किया जाता है।
आपको बता दें, इन समितियों का गठन भी प्रत्येक 5 वर्ष बाद पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव के बाद किया जाता है। इनका गठन पंचायतों के सदस्यों और विषय संबधित लोगों को शामिल करके किया जाता है।
पंचायत राज अधिनियम में समितियों में एक अध्यक्ष और अन्य 5-6 सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। इन समितियों में महिला सदस्यों को भी होना अनिवार्य होता है। इसके अलावा समितियों में SC/ST वर्ग के लोगों को भी शामिल करने का प्रावधान है।
पंचायत समितियों की आवश्यकता
- समितियों का गठन ग्रामपंचायतों के विभिन्न कार्यों के सफल संचालन हेतु बहुत जरूरी है। समितियों के माध्यम से कार्य करने से जवाबदेही बढ़ती है व सदस्यों की सक्रियता भी बढ़ती है।
- यह सिर्फ पंचायतों के कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए ही नहीं अपितु पंचायत सदस्यों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए भी आवश्यक हैं ताकि शीघ्र और समयानुसार निर्णय लिए जा सकें।
- ये समितियां पंचायतों द्वारा संम्पादित किए गए विभिन्न कार्यों के निरीक्षण और मूल्यांकन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।
- समितियों से निरन्तर कार्य करने और विचार करने से सदस्यों की दक्षता भी बढ़ती है जिससे वे कुशल नेतृत्व देने में सक्षम होते हैं।
- समितियों में महिला व पिछड़े वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समिति में उनकी सदस्यता अनिवार्य की गई है। अत: समिति के माध्यम से इन सदस्यों को भागीदारी के बेहतर अवसर मिलते हैं।
ग्राम पंचायत की विभिन्न समितियां और कार्य (Gram Panchayat and functions)
ग्राम नियोजन एवं विकास समिति
इस समिति का अध्यक्ष सरपंच होता है। इसके अलावा इस समिति में 6 अन्य सदस्य होते हैं। लेकिन समिति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य का होना अनिवार्य है।
Ø ग्राम पंचायत की योजना का तैयार करना
Ø कृषि, पशुपालन और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन करना।
ग्राम शिक्षा समिति
इस समिति का अध्यक्ष उप सरपंच या वरिष्ठ सदस्य होता है। इस समिति का सचिव ग्राम पंचायत में स्थित सरकारी विद्यालय का प्राधानाध्यापक होता है। इस समिति में भी नियोजन और विकास समिति की तरह 6 अन्य सदस्य होते हैं।
ग्राम शिक्षा समिति के कार्य
Ø प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा तथा साक्षरता आदि सम्बंधी कार्यों को देखना।
Ø मध्याह्न भोजन की निगरानी करना।
Ø पुस्तकालय एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों से संबंधित कार्यों का पर्यवेक्षण।
ग्राम निर्माण कार्य समिति
इस समिति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य अध्यक्ष होता है। इसके अलावा अन्य समितियों की तरह इस समिति में भी 5-6 सदस्य होते हैं।
ग्राम निर्माण समिति के कार्य
Ø समस्त निर्माण कार्य करना तथा गुणवत्ता निश्चित करना।
Ø ग्रामीण आवास, जलापूर्ति, सड़क और ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित कार्यों का पर्यवेक्षण।
ग्राम प्रशासनिक समिति
इस समिति का अध्यक्ष सरपंच होता है। 6 अन्य सदस्य भी सभी वर्गों से लिए जाते हैं। यह समिति प्रशासन के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण समिति है।
ग्राम प्रशासनिक समिति के कार्य
Ø ग्राम पंचायत की प्रशासनिक व्यवस्था देखना।
Ø राशन की दुकान संबंधी कार्य
स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
इस समिति का अध्यक्ष ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य होता है। इस समिति में गाँव की आशा या एएनएम सचिव होती है। 6 अन्य सदस्य में अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक सदस्य अवश्य होना अनिवार्य है।.
स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति के कार्य
Ø चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बंधी कार्य।
Ø महिला एवं बाल विकास योजनाओं का संचालन।
ग्राम जल प्रबंधन समिति
इस समिति का प्रमुख ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य होता है। इसके अलावा 6 अन्य सदस्यों का चयन भी दूसरे समितियों की तरह होता है।
जल प्रबंधन समिति के कार्य
Ø राजकीय नलकूपों का संचालन।
Ø पेयजल सम्बंधी कार्य देखना।
ग्राम सामाजिक न्याय समिति
इस समिति का गठन ग्राम पंचायत में सामाजिक सौहार्द के लिए किया जाता है। इस समिति का अध्यक्ष सरपंच या अन्य वरिष्ठ सदस्य होता है। इस समिति के सदस्यों में सभी वर्गों के सदस्यों को शामिल किया जाता है।
ग्राम सामाजिक न्याय समिति के कार्य
Ø अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा कमजोर वर्गो के शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य हितों का संवर्धन।
Ø सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से बचाने संबंधी कार्य।
पंचायत समितियों की बैठक
प्रत्येक समिति की माह में एक बार बैठक अनिवार्य है। आवश्यकता पड़ने पर बैठकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। बैठक बुलाने की पूरी जिम्मेदारी समिति के अध्यक्ष की होती है। बैठक में हुई बातचीत समिति की कार्यवाही रजिस्टर में लिखी जानी चाहिए। समिति की बैठक के लिए 4 सदस्यों का कोरम पूरा होना चाहिए।
समितियों की बैठक एवं कार्य-योजना
बैठकों में पंचायत में चल रहे कार्यो की स्थिति के बारे में चर्चा के साथ बेहतर कार्य की योजना बनाई जाएगी। साथ ही समिति अपने-अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए विकास के लिए कार्य करेगी।
अब तक आप जान गए होंगे कि पंचायतों में समितियों (panchayat samiti) का कितना महत्व व आवश्यकता है। वास्तव में देखा जाए तो इन्हीं समितियों की सक्रियता पर स्थानीय स्वशासन मजबूत हो सकता है। ग्रामीण विकास के समस्त कार्यों का सम्पादन इन्हीं समितियों के माध्यम से किया जाना है।
अत: समितियों का गठन व उनको कार्यशील करना पंचायती राज की सफलता का एक महत्वपूर्ण बिन्दु है।
ग्राम पंचायत की समितियों को यह अधिकार है कि उन बिंदुओं पर निर्णय लें, जो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। पंचायत की विभिन्न समितियाँ ग्रामसभा और ग्राम पंचायत के साथ मिलकर काम करें तभी ग्राम्य विकास के कार्यों में पारदर्शिता आ सकेगी।
पंचायत समितियों का महत्व (Importance of Panchayat Samitis)
आपने भी देखा होगा कि पंचायत में समितियों का गठन तो हो जाता है लेकिन वे अपने कार्यों व जिम्मेदारियों के प्रति सक्रिय नहीं हो पाती हैं। समितियों की निष्क्रियता से पंचायत में कुछ ही लोगों के प्रभुत्व को बढ़ती है। जिससे पंचायती राज की मूल भावना को भी धक्का लगता है।
संक्षेप में कहें, तो यदि पंचायती राज की व्यवस्था को वास्तव में सफल बनाना है तो पंचायत की समितियों (panchayat samiti) का निर्माण हर स्तर पर आवश्यक है। साथ ही इन समितियों के सदस्यों की क्षमताओं का विकास भी आवश्यक है ताकि वे अपने कार्यों व जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हो सकें और अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाकर स्थानीय स्वशासन की जड़ें मजबूत कर सकें।