ग्रामसभा और ग्राम पंचायत में अंतर | gram sabha and gram panchayat
स्थानीय स्वशासन में ग्रामसभा और ग्राम पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान है। ग्रामसभा और ग्राम पंचायत दोनों मिलकर 'गांव की सरकार' को चलाते हैं।
gram sabha and gram panchayat: क्या आप ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में अंतर (gram sabha aur gram panchayat mein kya antar hai) जानते हैं?
यदि नहीं… तो आज का यह लेख आपके लिए है। स्थानीय स्वशासन में ग्रामसभा और ग्राम पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान है। ग्राम और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है। यूं कहें तो ग्रामसभा और ग्राम पंचायत दोनों मिलकर ‘गांव की सरकार’ को चलाते हैं।
तो आइए, आज हम लोग द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के अंतर (gram sabha and gram panchayat mein antar) को आसान भाषा में जानें।
सबसे पहले जान लेते हैं, ग्राम सभा क्या है (gram sabha kya hai)?
ग्रामसभा (Gram Sabha)
ग्रामसभा पंचायती राज की सबसे छोटी है। इसका विघटन कभी नहीं होता है। इसे ग्राम पंचायत की निगरानी इकाई भी कहते हैं।
गांव में रहने वाले सभी मतदाता इसके सदस्य होते हैं। इन्हें अपने गांव में पंचायत के सदस्यों, ग्राम प्रधान (Sarpanch) चुनने का पूरा अधिकार होता है। ग्रामसभा के मुखिया ग्रामप्रधान होते हैं।
आसान भाषा में कहें तो 18 साल से ऊपर के सभी मतदाता ग्रामसभा के सदस्य होते हैं। और इनके समूह को ही ग्रामसभा (Gram Sabha) कहते हैं।
ग्रामसभा की विशेषताएं
- ग्रामसभा(Gram sabha) एक निगरानी निकाय है, जो ग्राम पंचायत के कामों पर नज़र रखती है।
- इसके सदस्यों को पंचायत के प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार होता है।
- ग्रामसभा एक स्थाई निकाय है, जो कभी भंग नहीं होती है।
- सभी मतदाता इसके आजीवन सदस्य होते हैं।
- ग्रामसभा में स्वयं जनता की उपस्थिति होती है।
- यह कभी विघटित नहीं होती है।
- यह अखंड और स्थाई होती है।
- इनके सदस्यों का चुनाव नहीं होता है।
- ग्रामसभा के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्राम विकास अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। जो ग्रामसभा के सदस्यों के प्रति उत्तरदाई होता है।
ग्रामसभा के कार्य (gram sabha ke karya)
सही मायनों में ग्रामसभा गांव की सभी कामों की निगरानी करती है। गांव की हर छोटी-बड़ी कामों को करती है। पंचायती राज अधिनियम-1992 में ग्राम सभा को मान्यता दी गई है। स्थानीय स्वशासन में ग्राम सभा को गांव को विकास के पथ पर ले जाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसीलिए ग्रामसभा को ‘गांव की सरकार’ कहते हैं।
ग्रामसभा के मुख्य कार्य
- विकास योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए लाभार्थी की पहचान करना।
- योग्य लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ दिलाना।
- ग्राम पंचायत के सदस्यों से ग्राम पंचायतों के कामों, आमदनी और खर्चों के बारे में जानकारी लेना
- ग्रामीण विकास कार्यों में सहायता करना।
- विकास संबंधित कार्यों की योजना बनाना और उसे पारित कराना।
- ग्राम पंचायत क्षेत्र में श्रमदान करके विकास योजनाओं को गति प्रदान करना।
- निगरानी समिति बनाना, उसकी रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करना और उसके लिए सिफ़ारिश करना
- शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यक्रमों में सभी तरह के सहयोग देना।
आइए अब जानते हैं ग्राम पंचायत क्या है (gram panchayat kya hai)?
ग्रामपंचायत (Gram panchayat)
ग्राम पंचायत (Gram panchayat) पंचायती राज की सबसे छोटी और निर्वाचित इकाई है। ग्रामपंचायत के सदस्यों का चुनाव ग्रामसभा के सदस्यों यानी मतदाता करते है। गौरतलब है कि यह चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष के बाद राज्य चुनाव आयोग द्वारा संपन्न कराई जाती है।
ग्राम पंचायत का प्रमुख भी सरपंच (ग्राम प्रधान) होता है। सरपंच के अलावा प्रत्येक वार्ड से वार्ड पंच भी चुने जाते होते हैं। जो अपने वार्ड को प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वार्ड पंचों की संख्या गांव की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
- वर्तमान में लगभग पांच सौ की आबादी पर एक वार्ड के गठन का प्रावधान है, जो अलग-अलग राज्यों के लिए अलग हो सकती है।
- इन्हीं वार्ड से एक पंचायत सदस्य(वार्डपंच) निर्वाचित किया जाता है।
- सरपंच और इसके वार्ड सदस्यों के निर्वाचन के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ग्राम पंचायत को गठित घोषित कर देता है।
इस प्रकार सरपंच, उपसरपंच और सभी वार्ड पंचों को मिलाकर ग्राम पंचायत का गठन होता है।
ग्राम पंचायत की विशेताएं
- ग्राम पंचायत पंचायती राज की निर्वाचित संस्था है।
- इसके सदस्यों का निर्वाचन आम मतदाता करते हैं।
- इसके सदस्यों की ग्रामसभा के प्रति जवाबदेही होती है।
- ग्राम पंचायत के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
- इसमें केवल निर्वाचित सदस्य ही शामिल होते हैं।
- ग्राम पंचायत गांव के विकास की योजनाओं को क्रियान्वयन करती है।
- ग्राम पंचायत के लिए पंचायती राज विभाग द्वारा ग्राम पंचायत अधिकारी/पंचायत सचिव नियुक्त किए जाते हैं। जो ग्राम पंचायत के प्रति जवाबदेह होता है।
ग्राम पंचायत के कार्य (gram panchayat ke karya)
स्थानीय स्वशासन में वित्तीय अधिकार ग्राम पंचायत (gram panchayat) के पास होता है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बजट का उपयोग ग्राम पंचायत ही करती है। गांव में विकास के कार्य ग्राम पंचायत ही करती है।
आसान शब्दों में कहें तो ग्राम पंचायत के ग्रामसभा की तुलना में वित्तीय रूप से अधिक मजबूत होती है। ग्राम पंचायत कार्यकारी संस्था के रूप में काम करती है।
ग्राम पंचायत की कामों पर एक नज़र
- पंचायती राज अधिनियम-1992 के तहत पंचायतों को 29 कार्य सौपें गए हैं।
- पंचायतों को सौपें गए 29 कार्यों में से वार्षिक बजट बनाना
- गांव के सड़को को पक्का करना, उनका रख-रखाव करना
- गंदे पानी की नालियों की व्यवस्था करना
- घरेलू उपयोग के लिए पानी और पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना
- तालाबों का रख-रखाव करना और सिचाई के साधन की व्यवस्था करने में ग्रामीणों की मदद करना
- गांव में मेले, दंगल, कबड्डी, और बाजार के लिए सार्वजनिक जगहों की व्यवस्था करना
- पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दूध बिक्री केंद्र की व्यवस्था करना
- गांव के सार्वजनिक जगहों जैसे- ग्राम-चौपाल, गली व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाश का प्रबंध करना
- गांव में सार्वजनिक शौचालय बनवाना और शौचालय बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना
- जन्म-मृत्यु, विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना गांव की भलाई के लिए सरकार से अनुदान और गरीबों के मदद के रास्ते तलाशना
- आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करना
- गरीबों के लिए ग्राम पंचायत की जमीन को पट्टे पर देना
- प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना और जरुरी हो तो उच्च स्तर के स्कूल की स्थापना के लिए जरुरी कार्यवाही करना
- बच्चों और युवाओं के लिए खेल के मैदान का इंतजाम करना और खेल कूद से सम्बंधित सामान की व्यवस्था करना
संक्षेप में कहें तो ग्रामसभा और ग्राम पंचायत (gram sabha and gram panchayat) में तमाम अंतर होने के बावजूद अटूट संबंध हैं। दोनों संस्थाएं एक सिक्के के दो पहलू हैं, जो साथ मिलकर काम करती हैं।
एक ओर ग्रामसभा निगरानी की भूमिका में होती है तो वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत कार्यपालिका की भूमिका में होती है।
अब तो आप ग्रामसभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है (gram sabha aur gram panchayat mein kya antar hai)? अच्छी तरह समझ चुके होंगे। अगर आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा हो, तो इसे दूसरे ग्रामवासियों तक जरूर पहुंचाए। इससे वे भी ग्राम पंचायत व्यवस्था को जान सकें।