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Kiwi ki kheti: बंपर कमाई के लिए करें कीवी की खेती, यहां जानें संपूर्ण जानकारी

कीवी (kiwi fruit) देखने में भूरा और काटने पर सफेद और हरा होता है। यह एक औषधीय फल है। इसमें इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता अधिक होती है।

kiwi ki kheti: इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हम सभी अपने खान-पान में ऐसी चीज़ों को शामिल कर रहे हैं, जो हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करें। ऐसे में एक फल है, जिसका नाम है- कीवी (kiwi)

कीवी (kiwi fruit) देखने में भूरा और काटने पर सफेद और हरा होता है। यह एक औषधीय फल है। इसमें इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता अधिक होती है। इसे खाने के हमारे शरीर में प्लेट्लेट्स की संख्या बढ़ती है। इसमें काफी मात्रा में विटामिन सी, विटामिन ई, कॉपर, सेडियम, पोटैशियम, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है।

कीवी इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत करने के साथ ही कई और बीमारियों में भी फायदेमंद होता है। प्रसव के बाद महिलाओं में शक्ति बढ़ाने के लिए भी कीवी का इस्तेमाल किया जाता है। 

यही कारण है कि डॉक्टर भी प्रतिदिन एक कीवी खाने की सलाह देते हैं। अगर आपने अभी तक अपनी डाइट में मीठे-तीखे स्वाद वाली कीवी को शामिल नहीं किया है, तो जल्द कर लें। 

सेहत के लिए इतना लाभकारी होने की वजह से भारत में भी इस फल की मांग बढ़ गई है। ऐसे में कीवी की खेती (kiwi ki kheti) करना फायदे का सौदा हो सकता है। इसकी खेती से किसान प्रति एकड़ 5-8 लाख रुपए तक आसानी से कमा सकते हैं। 

तो आइए, इस ब्लॉग में कीवी की खेती (kiwi ki kheti in hindi) को विस्तार से जानें।

सबसे पहले कीवी की खेती के लिए जरूरी जलवायु को जान लेते हैं। 

कीवी की खेती के लिए जरूरी जलवायु

कीवी (kiwi) एक विदेशी फल है। इसका मूल उत्पादक चीन है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मात्रा में कीवी की खेती चीन में ही होती है। चीनी फल होने की वजह से ही इसे चाइनीज़ गूज़बेरी भी कहा जाता है। 

कीवी की खेती (Kiwi ki kheti)

भारत में प्रमुख रूप से इसकी खेती जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश राज्यों में की जाती है।

कीवी (kiwi) ठंडी जलवायु का पौधा है। इसकी खेती ज्यादतर ठंडे स्थानों पर की जाती है। जहां पर सर्दियों के मौसम में 6 से 7 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है। वहीं गर्मियों में भी 35 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं हो। ज्यादा गर्म स्थान कीवी की खेती के लिए सही नहीं माना जाता है। 

कीवी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

कीवी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। जिसका पीएच मान 5 से 6 के बीच में हो। कीवी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि होनी चाहिए। जैविक और कार्बनिक खाद युक्त मिट्टी कीवी की खेती के लिए काफी लाभदायक होता है। 

कीवी की खेती के लिए सही समय

जैसे कि हम पहले भी बात कर चुके हैं कि कीवी की खेती (kiwi ki kheti) ज्यादातर ठंडी जगहों पर की जाती है। इस हिसाब से देखा जाए तो किवी की खेती करने का सबसे सही समय जनवरी माह है। इस समय लगभग सभी प्रदेशों में ठंड रहती है।

कीवी के पौधे में फूल मार्च से अप्रैल के माह तक आते हैं, वहीं जून से जुलाई माह के बीच फल बनता है। इसके बाद अक्टूबर से दिसम्बर के बीच फल पक जाते हैं। 

कीवी के लिए खेत की तैयारी 

कीवी की खेती के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाना बेहद जरूरी होता है। कीवी की खेती के लिए तैयारी 2 महीने पहले से कर लेनी चाहिए।

कीवी की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें 

  • कीवी की खेती के दौरान एक हेक्टेयर जमीन पर करीब 400 पौधे लगाने चाहिए। 
  • कीवी की खेती के लिए भूमि की अच्छे से जुताई करने के बाद निश्चित दूरी पर गड्ढे खोदना चाहिए। 
  • गड्ढों के बीच में दूरी करीब 6 मीटर की रखें।

ध्यान रखें- कीवी की खेती में पौधे से पौधे के बीच की दूरी करीब 6 मीटर होती है जबकि पंक्तियों के बीच की दूरी 4 मीटर होती है।

  • खोदे गए गड्ढों को कुछ समय के लिए छोड़ दें।
  • जब गड्ढों में अच्छी तरह से हवा और धूप लग जाए तो गड्ढों में सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट को गड्ढे में भर कर ढक दें। 
  • इसके बाद गड्ढों की सिंचाई करके कुछ समय के लिए छोड़ दें। 
  • कीवी के पौधों की पंक्ति को उत्तर से दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए, जिससे कि पौधों पर धूप सीधे न पड़े।
  • कीवी में नर और मादा दोनों पौधे होते हैं। इसलिए ध्यान रखें कि 10 कीवी के पौधों में से 9 मादा पौधों के लिए 1 नर पौधे को अवश्य लगाएं।

कीवी की पौध तैयार करने की विधियां

कीवी की पौध 3 विधियों से तैयार की जाती है।

  1. बडिंग विधि
  2. ग्राफ्टिंग
  3. लेयरिंग विधि

कीवी की उन्नत किस्में

भारत में मुख्य रूप से कीवी की हेवर्ड, एलीसन, टुमयूरी, एबॉट, मोंटी, ब्रूनो नाम की प्रजातियां उगाई जाती हैं। इनमें से सबसे ज्यादा मांग हेवर्ड की होती है। 

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

कीवी के पौधों को गर्मियों में पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है, इस दौरान हर 10 से 15 दिन के अंतर पर सिचाई की जानी चाहिए। वहीं सर्दियों में भी जरूरत के हिसाब से सिचाई करनी चाहिए। कीवी को करीब 150 सेंटीमीटर की औसत बारिश वाले क्षेत्र में लगाया जाना चाहिए। 

कीवी के उर्वरक प्रबंधन की बात करें तो इसकी खेती के लिए जैविक और रासायनिक दोनों ही तरह की खाद की आवश्यकता होती है। पौधे को लगाते वक्त करीब 15 किलो गोबर की सधी हुई खाद और 50 ग्राम NPK को गड्ढे में भर देना चाहिए। 

ध्यान रखें- कीवी के पौधे की कलम लगाते समय बालू, सड़ी खाद, मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और कोयले का चूरा 2:2:1:1 के अनुपात में सही रहता है। 
  

कीवी की खेती में लागत और कमाई

एक एकड़ कीवी की फसल में 3-4 लाख की लागत आती है। कीवी की खेती से कमाई, खर्च निकालकर 10-12 लाख का मुनाफा हो जाता है। औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग बाजार में बहुत ज्यादा है।

 

यह बहुत जल्दी बिक जाने वाला फल होता है क्यों की इसकी मांग अधिक है व पूर्ति कम है। यह तीन सौ रुपए किलो से लेकर पांच सौ रुपए किलो तक बिक जाती है।

 

कीवी की पैकिंग और ब्रांडिंग भी मुनाफे को बढ़ा सकती है। पैकिंग करके आप इसे बड़े महानगरों में बिक्री के लिए भेज सकते हैं। 

 

ये तो थी कीवी की खेती (kiwi ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए शेयर कर सकते हैं। 

 

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