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अनानास की खेती की संपूर्ण जानकारी | Ananas ki kheti

अनानास औषधीय गुणों से भरपूर फल है। कम लागत में अनानास की खेती (ananas ki kheti) से किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त होता है।

अनानास की खेती (ananas ki kheti)


Ananas ki kheti: अनानास औषधीय गुणों से भरपूर फल है। पाइनएप्पल के नाम से मशहूर इस फल में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। अनानास (Pineapple) एक ऐसा फल है जिसको आप कभी भी ताजा काटकर खा सकते है। यह फल पेट के रोगों में रामबाण दवा की तरह काम करता है। अनानास की खेती (ananas ki kheti) में भी किसानों को भरपूर लाभ मिलता है। 

लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत कम किसान ही इसकी खेती करते हैं। यदि आप पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं, तो अनानास की खेती (ananas ki kheti) से कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 

तो आइए, आज द रुरल इंडिया के इस ब्लॉग में अनानास की खेती कैसे करें? (ananas ki kheti kaise hoti hai) विस्तार से जानें।

अनानास की खेती (ananas ki kheti)

इस ब्लॉग में आप जानेंगे

  • अनानास के खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
  • उपयोगी मिट्टी
  • खेत की तैयारी
  • पौध लगाने समय और तरीका
  • अनानास की उन्नत किस्में
  • सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
  • लगने वाले रोग और उसका प्रबंधन
  • अनानास के खेती में लागत और कमाई 
  • और जानेंगे एक्सपर्ट की सलाह 

अनानास के खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

Ananas ki kheti: अनानास की खेती कैसे करें? भारत में इसकी सबसे अधिक खेती छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों में होती है।

अनानास की खेती (ananas ki kheti) के लिए 15 से 32 सेंटीग्रेड का तापमान सही होता है। इसके लिए 100-150 सेंटीमीटर बारिश की ज़रूरत होती है। ज्यादा ठंड वाले इलाकों में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए।

अनानास के खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

अनानास के लिए जीवांशयुक्त मिट्टी का ही चयन करें। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से अधिक और 5 से कम नहीं होना चाहिए। जलभराव वाले जमीन में अनानास की खेती नहीं करें। 

खेत की तैयारी

  • अनानास की रोपाई से पहले ग्रीष्मकाल में ही खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें। 
  • खेत से खरपतवार नष्टकर मिट्टी पलटने वाले से खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
  • उसके बाद गोबर की सड़ी हुई खाद मिट्टी में मिलाकर 1 से 2 बार जुताई कल्टीवेटर से जुताई कर लें।
  • खेत की उपरी सतह सूखने के बाद रोटावेटर लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाकर समतल कर लें। 

पौध लगाने समय और तरीका

अनानास की खेती के लिए बरसात का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा होने पर जनवरी से मार्च और मई से अगस्त के बीच इसकी खेती की जा सकती है।

अनानास के रोपाई इसके कलम यानी फल के कलम(स्टेम) से की जाती है। इसके लिए स्वस्थ फल के कलम के उपयोग करें।  

अनानास खाने के फायदे

अनानास की उन्नत किस्में

अनानास की खेती (Pineapple cultivation) के लिए हमारे देश में कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं। आइए यहां कुछ उन्नत किस्मों को जानते हैं। 

क्वीन 

अनानास (Pineapple) की यह किस्म असम, मिजोरम, मेघालय आदि राज्यों में मुख्य रूप से उगाया जाता है।  यह बहुत जल्द पकने वाली किस्म है।  इसके पौधे आकर में छोटे होते है। फलों को रंग पकने के बाद पीला हो जाता है। यह किस्म खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। इस किस्म का वजन 1.5 से 2 किलो तक होता है। 

रैड स्पैनिश 

अनानास (Pineapple) की इस किस्म को असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और मेघालय में  सबसे अधिक उगाई जाती है। इस किस्म में रोगों का प्रकोप कम होता है। इसके फलो का वजन 1- 1.5 किलो तक होता है। फल का बाहरी आवरण कठोर, खुरदरा और पीला होता है। इस फल का उपयोग ताजे फल के रूप में किया जाता है। यह किस्म बाजार में सबसे अधिक बिकने वाली किस्म है।

जाइंट क्यू 

अनानास (Pineapple) की इस किस्म को त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम और मिजोरम में मुख्य रूप से उगाया जाता है। इस किस्म के पौधों की पत्तियां चिकनी एवं लम्बी होती है। फलों का आकार बड़ा होता है।  इसके अलावा फल का वजन लगभग 3 किलोग्राम तक होता है। अनानास की इस किस्म को पछेती किस्म के रूप में उगाया जाता है। 

मॉरिशस

अनानास (Pineapple) की इस किस्म का उत्पादन लगभग सभी राज्यों में की जा सकती है। यह एक विदेशी किस्म है। इसकी पत्तियां दातेदार होती है।  इसका फल लगभग 2किलो तक होता है। इस किस्म को पकने में एक साल के ऊपर का समय लगता है।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

इसके पौधे को पर्याप्त नमी की जरूरत होती है। 15 दिन के बाद सिंचाई करते रहें। धीमे बहाव से पौधे की सिंचाई करें, इससे पौधों की जड़ें नहीं उखड़ती हैं। वहीं उर्वरक प्रबंधन की बात करें तो गोबर या कंपोस्ट खाद पौधों की रोपाई के पहले ही कर दें। पौधों की बढ़वार के समय यूरिया की उचित मात्रा दें।

रासायनिक खाद के रुप में प्रति हेक्टेयर 680 किलो अमोनियम सल्फेट, 340 किलो फास्फोरस और 680 किलो पोटाश साल में दो बार पौधों को ज़रूर दें।   

अनानास की खेती में लगने वाले रोग और उसका प्रबंधन

अनानास की खेती (ananas ki kheti) में रोग न लगे इसके लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत ही जरूरी है। खरपतवार को फसल से निकाल दें। इसके लिए 2 से 3 निराई-गुड़ाई कर सकते है। गुड़ाई के दौरान खरपतवार हटाकर मिट्टी को चढ़ा दें। 

अनानास की खेती (ananas ki kheti) में ज्यादा कीट एवं रोग का प्रकोप नहीं होता है। अनानास की खेती में लगने वाले कीटों में अनानास का चूर्णी बग, स्लग कीट प्रमुख हैं।

इसकी रोकथाम के लिए स्वस्थ कलम ही लगानी चाहिए। कलम लगाने से पहले कलम(स्टेम) को एल्ड्रिन के घोल में डूबोकर उपचारित कर लें। पत्तियों पर जमीन से उपरी भागों में इसका प्रकोप होने पर डायजिनान या मोनोक्रोटोफ़ॉस के 0.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।

जड़ गलन 

अनानास के पौधों में जड़ गलन जल भराव की वजह से होता है। इस रोग की रोकथाम के लिए खेत में जल भराव नहीं होने दें और रोग लगने पर बोर्डों मिश्रण का छिड़काव खेत में करना चाहिए।  

काला धब्बा 

इस रोग के लगने पर पौधों की पत्तियों पर काले भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इसके प्रकोप से पौधे का  विकास रुक जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर मैंकोजेब या नीम के तेल की उचित मात्रा का छिड़काव करें।

अनानास की खेती (Pineapple cultivation) में लागत और कमाई

इसकी खेती अभी भारत में कम प्रचलित है। कम उत्पादन की वजह से बाजार में ज्यादा कम्पटीशन नहीं है। इसकी प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज़ में भी काफी अच्छी मांग है। अनानास (Pineapple) का उपयोग जूस, डिब्बा बंद स्लाइस आदि के रूप में होता है।

बात लागत की करें, तो अनानास की खेती (ananas ki kheti) में  प्रति हेक्टेयर 2 लाख रुपये की लागत आती है। इससे 3 से 4 टन अनानास का उत्पादन होता है। एक किलो फल का दाम 150 से 200 रुपये तक आराम से मिल जाता है। इससे किसानों को 3 लाख रुपये तक मुनाफा हो सकता है। 

अनानास की खेती (Pineapple cultivation) पर जानें एक्सपर्ट की राय

अनानास की खेती (ananas ki kheti)

ये तो थी, अनानास की खेती (ananas ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजना और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए शेयर करें।

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