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Suar palan: सूअर पालन कैसे करें? यहां जानें

सूअर पालन (suar palan) गरीब और सीमांत किसानों के लिए एक मुनाफे का व्यवसाय है। आइए, इस ब्लॉग में सूअर पालन की जानकारी विस्तार से जानें।

suar palan: हमारे देश में सूकर पालन सदियों से चली आ रही है लेकिन इसके पालने का तरीका अब बदल रहा है। किसान शूकर पालन (pig farming) की उन्नत विधि (suar palan kaise kiya jata hai) पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। सूअर पालन (suar palan) गरीब और सीमांत किसानों के लिए एक मुनाफे का व्यवसाय है।

सूअर पालन पर एक नज़र

आपको बता दें, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सूअर की मांस की मांग सबसे ज़्यादा है। कास्मेटिक प्रोडक्ट और दवाओं में भी इसका उपयोग खूब होता है। सूअर साल में 2 से 3 बार बच्चे देती है। शूकर के मांस में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। यही कारण है कि इस व्यवसाय की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

यदि आप भी कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं और सूअर पालन कैसे करें? (suar palan kaise kiya jata hai) इस बारे में जानना चाहते हैं।

तो आइए, ‘द रुरल इंडिया’ के इस ब्लॉग में सूकर पालन व्यवसाय (Pig farming in hindi) को करीब से जानें। 

सबसे पहले सूकर पालन (suar palanके लिए उपयुक्त जलवायु को जान लेते हैं। 

सूअर पालन के लिए जरूरी जलवायु 

शूकर (Pig) पानी पसंद पशु है। इसके पालन के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पालन के लिए 15 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान काफी अनुकूल होता है। हमारे देश में शूकर पालन (suar palan) सभी राज्यों में की जा सकती है। 

सूअर के लिए आवास प्रबंधन (suar farm ki jankari)

  • सूकर पालन (suar palan) खुली और बंद दोनों विधि से की जाती है। यदि आप व्यवसायिक रूप से सूकर पालन करना चाहते हैं, तो बाड़े की व्यवस्था जरूर करें। बाड़े में हवा और रोशनी की व्यवस्था जरूर होना चाहिए। बाड़े में पानी की उचित व्यवस्था जरूर करें। 
  • नर, मादा, और शावकों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाएं। सभी के लिए एक संयुक्त रूप से छोटी तालाबनुमा बाड़े का निर्माण जरूर करें, जहां शूकरों को आसानी से नहलाया जा सके। 

आहार प्रबंधन (diet management)

सूअर (suar) एक ऐसा जानवर है जो बासी और सड़े गले भोजन भी चाव खा लेती है। इसके लिए हमें आहार में बहुत ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। सूअर अनाज, चारा, कूड़ा-कचरा, सब्जियां, सड़े गले भोजन खाते हैं। फिर भी शूकरों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त और संतुलित आहार की जरूरत होती है।

बढ़ते हुए शावकों और गर्भवती मादों को प्रोटीन की अधिक मात्रा आवश्यक होती है। इन्हें खाने में  प्रोटीनयुक्त भोजन जरूर दें। इसके लिए मकई, मूंगफली की खल्ली, गेंहूं के चोकर, मछली का चूरा, खनिज लवण, विटामिन और नमक का मिश्रण दे सकते हैं। 

सूअर के स्टार्टर ,ग्रोअर और फिनिसर आहार  

स्टार्टर राशन

  • मक्का – 60%
  • बादामी खल – 20%
  • चोकर -10%
  • मछली चूर्ण -8%
  • मिनरल मिक्सचर – 1.5%
  • नमक – 0.5%

ग्रोअर राशन

  • मक्का – 64%
  • बादामी खल – 15%
  • चोकर -12.5%
  • मछली चूर्ण -6%
  • मिनरल मिक्सचर – 2.5%

फिनिशर राशन

  • मक्का – 60%
  • बादामी खल – 10%
  • चोकर -24.5%
  • मछली चूर्ण -3%
  • मिनरल मिक्सचर – 2.5%

नोट- ग्रोअर सूअर को प्रतिदिन शरीर वजन का 4% या 1.5-2 किलोग्राम दाना आवश्यकतानुसार दें।

सूकर की नस्लें (pig breeds)

हमारे देश में शूकरों की देसी और संकर दोनों नस्लें पाई जाती है। लेकिन, अधिक लाभ और व्यावसायिक उत्पादन के लिए संकर नस्लों का ही चुनाव करें। 

संकर नस्लों में सफेद यॉर्कशायर, लैंडरेस, हैम्पशायर, ड्युरोक और घुंघरू प्रमुख हैं। 

घुंघरू 

घुंघरू भारत की देसी नस्ल है। यह भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे अधिक पाई जाती है। इस नस्ल के शावक तेजी से विकास करते हैं। इस नस्ल का रंग काला और चमड़ी मोटी होती है। 

सफेद यॉर्कशायर  

यह नस्ल भारत में सबसे अधिक पाई जाती है। इस नस्ल का रंग सफेद होता है। प्रजनन के मामले में, ये उन्नत नस्ल है। ये नस्ल एक बार में 6-7 शावकों को जन्म देती है। इस नस्ल के नर शूकरों का वजन 300-400 किलो और मादा शूकर का वजन 230-320 किलो तक होता है। 

लैंडरेस 

इस नस्ल का रंग सफेद होता है। इसके कान और नाक लंबे होते हैं। प्रजनन के मामले में ये नस्ल भी अच्छी है। एक मादा सूकर एक बार में औसतन 4 से 6 बच्चों को जन्म देती है। इस नस्ल के नर शावकों का वजन 270 से 360 किलो तक होता है, जबकि मादा 200 से 320 किलो तक होती है।

हैम्पशायर

इस नस्ल के शूकर मध्यम साइज के होते हैं। इनका शरीर गठा हुआ और रंग काला होता है। मांस के व्यवसाय के लिए ये नस्ल अच्छी होती है। इस नस्ल के मादा एक बार 5-6 बच्चों को जन्म देती है। 

Pig farming in hindi : सूकर पालन में है लाखों का मुनाफा, सूअर पालन कैसे करें?

मादा सूअर में गर्मी के लक्षण 

  • मादा के गर्मी में आने के 2 से 8 दिन पहले योनि के आकार में वृद्धि हो जाती है।
  • योनि में लालपन सूजन आ जाती है।
  • योनि से साफ तरल पदार्थ बाहर आता है।
  • मादा का बैचेन होना एक दूसरे के ऊपर चढ़ना।
  • मादा मेरूदंड को ऊपर मोड़ती हैं, जिससे पीछे का भाग नीचे की ओर झुक जाता है।
  • कान खड़े करना तेजी से आवाज करना, खाना कम करना प्रमुख लक्षण है।

गर्भाधान का समय

  • मादा के गर्मी शुरू होने के 24-30 घंटे में गाभिन कराएं, देरी से या दूसरे दिन की सुबह।
  • नर सूअर को बदलते रहना चाहिए, जिससे प्रजनन दर और बच्चों की संख्या में कमी न आएं।
  • प्रजनन प्राकृतिक या कृत्रिम विधि से करा सकते हैं।

शूकर पालन के लिए लोन (suar palan ke liye loan)

जनजातीय और निर्धन परिवारों के लिए सरकार द्वारा इस क्षेत्र में कई कार्यक्रम चलाई जा रही है। सूकर पालन (suar palan) के लिए बैंक से ऋण भी लिया जा सकता है। सुअर पालन के लिए सरकार प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ इसके लिए सब्सिडी भी देती है। इसके लिए आप पशुधन अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। 

शूकर पालन में लागत और कमाई

यदि आप व्यवसायिक स्तर पर सूकर पालन (suar palan) करना चाहते हैं, तो इसके लिए शुरू में 2-3 लाख रूपए तक की जरूरत पड़ सकती है। छोटे स्तर पर यानी घरेलू उपयोग के लिए इसका पालन करना चाहते हैं, तो आपको 50 हजार रूपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। 

कमाई की बात करें तो पशुपालन में शूकर पालन (suar palan) सबसे अधिक मुनाफे वाला व्यवसाय है। इसके चर्बी बहुत मंहगे बिकते हैं। इसका उपयोग औषधीय, चिकनाई, क्रीम बनाने में होता है। 2-3 लाख रुपए की लागत में सालभर में शुद्ध 3 लाख रुपए कमा सकते हैं। भारत के गांवों में इसकी खपत ज्यादा है जो समय के साथ शहरों में भी खूब बढ़ रहा है।

शूकर पालन पर जानें एक्सपर्ट की राय

Pig farming in hindi

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न- एक सूअर कितने का बिकता है?

उत्तर- एक सूअर 5 हजार रुपए से लेकर 20 हजार रुपए तक बिकता है। हालांकि यह कीमत सूअर के स्वास्थ और प्रजाति पर निर्भर करता है। 

प्रश्न- सूअर पालन में कितना फायदा होता है?

उत्तर- प्रति सूअर 5 हजार रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक का फायदा होता है। 

प्रश्न- सूअर कितने महीने में बच्चा देती है?

उत्तर- सूअर साढ़े तीन माह (114 दिन) में बच्चा देती है।  

प्रश्न- सूअर पालन कैसे किया जाता है?

उत्तर- सूअर पालन के लिए सबसे पहले बाड़े का निर्माण करना होता है। इसके बाद आपको शावकों की खरीदारी से लेकर उनके लिए आहार और दवाओं की व्यवस्था करनी होगी। 

अगर आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा हो, तो इसे मित्रों तक जरूर पहुंचाए। जिससे अन्य किसान मित्र भी सूअर पालन (Pig farming in hindi) की जानकारी ले सकें।

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