औषधीय पौधेकृषि

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती | oyster mushroom ki kheti

ढींगरी (ऑयस्टर, oyster) मशरूम में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसकी खेती भारत के कई राज्यों में होती है। 

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती कैसे करें? यहां जानिए उत्पादन का उन्नत तरीका

oyster mushroom ki kheti: हमारे देश में ज्यादातर 4 से 5 प्रकार के मशरूम की खेती की जाती है। जैसे- बटन मशरूम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम, दूधिया मशरूम और पुआल मशरूम आदि।

इसमें ढींगरी यानी ऑयस्टर की खेती (oyster mushroom ki kheti) भी भारत के कई राज्यों में खूब होती है। 

आपको बता दें, ढींगरी (ऑयस्टर oyster) मशरूम में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम भी अन्य मशरूमों की तरह एक शाकाहारी पौष्टिक भोजन है। 

तो आइए, the rural india के इस ब्लॉग में जानें, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती कैसे करें? (oyster mushroom ki kheti kaise kare?)

इस ब्लॉग में आप जानेंगे

  • ढिंगरी मशरूम की खेती पर एक नज़र
  • ऑयस्टर(Oyster) मशरूम की खेती कैसे करें
  • ढिंगरी(Oyster)मशरूम के लिए उपयुक्त जलवायु
  • उत्पादन की विधि
  • बीजाई की विधि
  • ढिंगरी मशरूम के प्रकार
  • कीड़े एवं रोग
  • विशेष ध्यान रखने वाली बातें
  • तुड़ाई 
  • भंडारण, उपयोग और मुनाफा

ढिंगरी मशरूम की खेती पर एक नज़र (A look at Dhingri mushroom cultivation)

  • भारत में ढिंगरी मशरूम की खेती (oyster mushroom ki kheti) तमिलनाडु और उड़ीसा, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, हरियाणा और गुजरात में खूब होती है। 
  • इसकी खेती के लिए राज्य सरकारें प्रशिक्षण के साथ ही खेती करने हेतु 50% अनुदान भी देती है।

ऑयस्टर(ढिंगरी) मशरूम की खेती कैसे करें (oyster mushroom ki kheti kaise kare?)

इसकी खेती किसी भी फसल के अवशेष जैसे- पुआल, भूसा तथा पत्ते जो कि गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना और सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी के अपशिष्ट से की जा सकती है 

ढिंगरी मशरूम के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Dhingri mushroom)

ऑयस्टर मशरूम की खेती (oyster mushroom ki kheti) के लिए सितंबर से नवंबर तक का समय उपयुक्त होता है क्योंकि इस मशरूम को नमी और ठंडक की अधिक जरूरत होती है। इसकी अच्छी उपज के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान आवश्यक होता है

उत्पादन की विधि

इसके लिए आपको उत्पादन कक्ष की जरूरत पड़ती है। जो बांस, कच्ची ईटों, पॉलीथीन तथा पुआल से बना हो। इन उत्पादन कक्ष में खिड़की और दरवाजों पर जाली लगी होनी चाहिए। कमरे में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि हवा के उचित व्यवस्था के लिए खिड़कियां और दरवाजें जरूर हों। 

ऑयस्टर मशरूम की खेती (oyster mushroom ki kheti) के लिए भूसे अप वालों को भिगो देना चाहिए ध्यान रहे कि भूसा या पुआल कोई भी बहुत ज्यादा पुराना ना हो 

बीजाई की विधि

ध्यान रहे कि मशरूम का बीज एक महीने से अधिक पुराना ना हो। भूसा तैयार करने से पहले ही बीज खरीद लेना चाहिए एक क्विंटल सूखे भूसे के लिए 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बिजाई करने से पहले दूसरे को अच्छी तरह गीला कर ले और उसमें बीच में ला दें उसके बाद अखबार बिछाकर अखबार को समय-समय पर गिला करते रहे।

ढिंगरी मशरूम के प्रकार (Types of Dhingri Mushrooms)

गर्मी के मौसम हेतु ढिंगरी मशरूम की प्रजातियां 

  • प्रजाति प्लूरोटस साजोर काजू
  • प्लूरोटस फ्लेबीलेटस
  • प्लूरोटस सेपीडस,
  • प्लूरोटस जामोर 
  • प्लूरोटस साईट्रीनोपीलीएटस को उगाना चाहिए।

ठंडी की मौसम हेतु ढिंगरी मशरूम की प्रजातियां

  • प्लूरोटस फलोरिडा
  • प्लूरोटस कोर्नुकोपीया 

ढिंगरी मशरूम में लगने वाले कीड़े एवं रोग (Insects and diseases of Dhingri mushroom)

फफूंद

फफूंद उत्पादन कक्ष में तापमान की मात्रा कम और नमी अधिक होने पर लगती होती है। जिससे कीड़े-मकोडे पनपने लगते हैं इसलिए उत्पादन कक्ष में साफ-सफाई का ध्यान देना चाहिए।

ढिंगरी मशरूम उत्पादन में विशेष ध्यान रखने वाली बातें (Things to keep in mind in Dhingri mushroom production)

  • मशरूम के लिए बीज की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए।
  • हमेशा ताजा बीज खरीदें जिससे उपज भी अधिक प्राप्त होती है और कीट, बीमारियां भी कम आती हैं।
  • ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम खेती (oyster mushroom ki kheti) हेतु भूसे का उपचार अच्छे से किया जाना चाहिए।
  • ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती के लिए भूसे में नमी की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • सिंचाई के लिए लिया जाने वाला पानी शुद्ध व मीठा होना चाहिए, एक जगह ठहरा हुआ पानी काम में नहीं लेना चाहिए। 
  • यदि पानी टैंक का हो तो, उसे समय-समय पर 0.15 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर से उपचारित करना चाहिए।
  • यदि किसी बैंग में कोई दूसरी फफूदी काली, हरी, पीली दिखाई दे तो उस जगह से पॉलीथिन काटकर, सक्रमित भाग को चिमटी की सहायता से अच्छी प्रकार से हटा दें।
  • फिर बाविस्टिन + केल्शियम कार्बोनेट 1 + 10 ग्राम के मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए।

ढिंगरी मशरूम में लगने वाले कीट (Pests in Dhingri Mushroom)

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम फसल में डिप्टेरियन फोरोइड और स्प्रिंग टेल्स मक्खियां का प्रकोप अधिक होता हैं। अगर कमरे में नमी अधिक हो और वायु का आवागमन कम हो और फसल उत्पादन कक्ष, में अधिक व्यक्तियों का आना-जाना हो या कक्ष में कहीं पानी भरा हो तो इनका प्रकोप होने की सम्भावना अधिक रहती है।

रोकथाम

फसल कक्ष में समय-समय कीटनाशी का छिडकाव 7 दिन के अन्तराल में फर्श तथा दिवारों पर करना चाहिए, दवाई का छिड़काव शाम को करके खिड़की, दरवाजे बंद कर देना चाहिए, सुबह खिड़की, दरवाजे खोल दे और स्वच्छ वायु का आवागमन होने दें। ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम फसल कक्ष के आसपास भी उपरोक्त छिड़काव 7 दिन के अन्तराल पर करें।

मशरूम की कटाई (mushroom harvesting)

जब ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम पूरी तरह से तैयार हो जाए हो जाए, तब इनकी तुड़ाई करनी चाहिए। ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की छतरी के बाहरी किनारे ऊपर की तरफ मुड़ने लगे तो समझिए कि मशरूम तोड़ने लायक हो चुकी है। ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की तुड़ाई हमेशा पानी के छिडकने से पहले करनी चाहिए।

मशरूम तोड़ने के बाद डंठल के साथ लगे हुए भूसे को चाकू से काटकर हटा देना चाहिए। ऑयस्टर मशरूम पहली तुड़ाई के 8 से10 दिन बाद दूसरी तुड़ाई करनी चाहिए।

भंडारण, उपयोग और मुनाफा (Storage, use and profits)

भंडारण 

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम तोड़ने के बाद उसे लगभग दो घंटे कपड़े पर फैलाकर छोड़ देना चाहिए जिससे की उसमें मौजूद नमी निकल जाए। ताजा ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम को एक छिद्रदार पॉलीथीन में भरकर रेफ्रिजरेटर में 2 से 4 दिन तक रखा जा सकता है। 

ढिंगरी मशरूम का उपयोग 

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे- ढींगरी मटर, ढींगरी आमलेट, पकोड़ा और बिरयानी आदि बनाई जा सकती है| सूखी हुई ढींगरी (ऑयस्टर) का प्रयोग भी सब्जी के लिए किया जा है।इसे थोड़ी देर गर्म पानी में डालकर प्रयोग किया जा सकता है। ताजा ढींगरी का अचार तथा सूप भी बहुत स्वादिष्ट बनाया जाता है।

ढिंगरी मशरूम से आमदनी 

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम का व्यवसाय एक अच्छा विकल्प है, जिसमें लागत बहुत कम आती है, इसके लिए उत्पादन कक्ष कम लागत पर बनाए जा सकते हैं। एक किलोग्राम ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम का लागत मूल्य लगभग 10 से 15 रूपये तक होती है और इसे 150 से 300 रूपये की कीमत पर बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है।

ये तो थी ढिंगरी (ओयस्टर) मशरूम की खेती कैसे करें? (oyster mushroom ki kheti kaise kare) की पूरी जानकारी। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें। 

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