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Millets Farming: बाजरा की खेती [जलवायु, मिट्टी और उन्नत किस्में]

मोटे अनाज में रागी, कोदो, मडुआ, बाजरा, कुटकी और कंगनी प्रमुख हैं। आज हम इस ब्लॉग में बाजरा की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

Millets Farming: इनदिनों एक बार फिर से मोटे अनाज की मांग बढ़ने लगी है। मोटे अनाज स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ किसानों को अधिक आमदनी देती है।

केंद्र और राज्य सरकारें द्वारा इस वर्ष मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों की घोषणा हुई है। बजट भाषण में वित्तमत्री ने मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ (shri anna) का नाम से जिक्र किया है। 

ऐसे में किसान इन मोटे अनाज की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इन मोटे अनाज में रागी, कोदो, मडुआ, बाजरा, कुटकी और कंगनी का नाम प्रमुख हैं। 

आज हम इस ब्लॉग में इन मोटे अनाज में बाजरा की खेती (Millets Farming) के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

सबसे पहले बाजरा की औषधीय गुणों पर एक नज़र डाल लेते हैं। 

बाजरा की खेती (Millets Farming)

बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

बाजरे की खेती (bajra ki kheti) शुष्क और कम बारिश वाले इलाकों में खूब होती है। बाजरा के लिए गर्म जलवायु काफी उपयुक्त होता है। 40 से 50 सेंटीमीटर बारिश वाले क्षेत्र में भी इसकी खेती हो जाती है। बाजरा की फसल में सूखा सहन करने की क्षमता होती है। बाजरा की अच्छी बढ़वार के लिए 22 से 28 सेन्टीग्रेट तक का तापमान उपयुक्त रहता है।

बाजरा की खेती (Millets Farming) राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में खूब होती है।  

मिट्टी

बाजरा की खेती (bajra ki kheti) लाल, काली और दोमट सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। जलजमाव वाली मिट्टी में इसकी खेती नहीं हो पाती है। 

बाजरा की उन्नत किस्में

बाजरा की उन्नत किस्मों में के.वी.एच. 108 (एम.एच. 1737), जी.वी.एच. 905 (एम.एच. 1055), कवेरी सुपर वोस (एम.एच.1553), जवाहर बाजरा प्रमुख हैं। 

खेत की तैयारी

बाजरा की फसल लगाने से पहले खेत की 2 से 3 बार अच्छी तरह से जुताई कर लें। इसके बाद गोबर की खाद या कंपोस्ट डालकर खेत को समतल कर लें। इसके बाद छिटकावां या ड्रील मशीन से बीज की बुआई करें। 

बुआई का समय

बाजरा खरीफ की फसल है। इसकी बुआई जून से लेकर जुलाई के महीने में की जाती है। इसकी बुआई 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर एवं 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में करें। 

उपज और कमाई

बाजरा की खेती (bajra ki kheti) में लागत बहुत ही कम होती है क्योंकि इसकी बुआई बारिश के मौसम में की जाती है। अतः सिंचाई पर खर्च नहीं करना पड़ता है। प्रति हेक्टेयर बाजरा की फसल से 40-45 क्विंटल दाना मिल जाता है। इससे आप खर्च निकालकर प्रति फसल 2-4 लाख का मुनाफा होता है। 

ये तो थी, बाजरा की खेती (Millets Farming) की बात। ऐसी ही उन्नत खेती की जानकारी के लिए हमारा वेबसाइट विजिट करते रहें।

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