कृषि

arandi ki kheti: अरंडी की खेती कैसे करें? यहां जानें

किसानों के लिए अरंडी की खेती (arandi ki kheti) बहुत ही फायदेमंद है। अरंडी की खेती किसान अपने बेकार जमीन पर भी आसानी से कर सकते हैं।

arandi ki kheti: भारत अरंडी के तेल (Castor Oil) का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इसकी वैश्विक माँग और घरेलू ख़पत भी लगातार बढ़ रही है।

किसानों के लिए अरंडी की खेती (arandi ki kheti) बहुत ही फायदेमंद है। अरंडी की खेती किसान अपने बेकार जमीन पर भी आसानी से कर सकते हैं। इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है और लागत के मुकाबले करीब डेढ़ गुना ज़्यादा कमाई होती है। 

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में अरंडी की खेती (arandi ki kheti) की संपूर्ण जानकारी जानें। 

 

अरंडी की बुआई का समय 

अरंडी के बीजों की रोपाई के लिए जून और जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। 

फसल अवधि 

अरंडी की उन्नत किस्मों का पौधा 120 से 150 दिन के बाद ही पैदावार देना शुरू कर देता है। 

इन क्षेत्र में होती है खेती 

अरंडी की खेती (arandi ki kheti) मुख्यतः गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में होती है।

अरंडी की उन्नत किस्में

अरंडी की प्रमुख किस्मों में जीसीएच- 4,5, 6, 7 एवं डीसीएच- 32, 177 और 519, ज्योति, क्रांति किरण, हरिता, टीएमवी-6, अरुणा, काल्पी आदि हैं।

अरंडी की खेती की तैयारी 

  • सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर लें। 
  • इसके बाद खेत को खुला छोड़ दें और धूप दें। 
  • इसके बाद खेत में खरपतवार हटा दें। 
  • खेत की पहली जुताई के बाद उसमें प्राकृतिक खाद के रूप में 15 से 20 सड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालें।
  • खाद डालने के बाद जुताई करके मिट्टी में खाद को ठीक तरह से मिला दें। 
  • इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दें। 
  • पानी लगे खेत में जब पानी सूख जाए तब दो से तीन बार तिरछी जुताई कर दें। 
  • इसके बाद खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दें।

ऐसे करें अरंडी की बुआई 

  • बीज रोपाई से पहले उन्हें कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा से उपचारित कर लें। 
  • बीजों की बुआई के लिए ड्रिल विधि का उपयोग करें। 
  • इसके लिए खेत में चार फ़ीट की दूरी रखते हुए पंक्तियों को तैयार कर लें। 
  • इन पंक्तियों में बीजों को दो से ढाई फ़ीट की दूरी पर लगा दें।
  • इसके अलावा आप बीज रोपाई हाथ के माध्यम से भी कर सकते हैं। 

सिंचाई प्रबंधन

बारिश में बुआई होने के कारण अरंडी को पहली सिंचाई की जरुरत नहीं होती। लेकिन बारिश के मौसम के बाद पौधों को 18 से 20 दिन के अंतराल में पानी दें। इसके अलावा जरूरत होने पर ही पौधों को पानी दें।

फसल की कटाई 

जब अरंडी के पौधों पर लगे बीजों का रंग भूरा या पीला दिखाई देने लगे उस दौरान पौधों की कटाई कर लें। कटाई के बाद बीजों को अच्छी तरह से धूप में सूखा लें। इसके बाद मशीन की मदद से बीजों को अलग करें। 

अरंडी की कीमत और उपज

एक हेक्टेयर में लगभग 25 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हो सकता है। इसका बाज़ार भाव 5 हज़ार रूपए प्रति क्विंटल है। इसकी खेती से किसान एक बार की फसल से 1.25 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।

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