Kakdi ki kheti: ककड़ी की खेती की संपूर्ण जानकारी
ककड़ी की खेती (kakdi ki kheti) में काफी कम लागत आती है। यह फसल 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है।
kakdi ki kheti: ककड़ी जायद ऋतु की फसल है। ककड़ी की डिमांड गर्मियों में काफी बढ़ जाती है। ककड़ी में पर्याप्त मात्रा में पानी और विटामिन्स पाई जाती है जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है।
ककड़ी की खेती (kakdi ki kheti) में काफी कम लागत आती है। यह फसल मात्र 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे किसानों को गर्मियों के दिनों में अच्छी आय प्राप्त हो जाती है।
तो आइए, आज इस ब्लॉग में ककड़ी की खेती (kakdi ki kheti) के बारे जानें।
मिट्टी और जलवायु
ककड़ी की खेती (kakdi ki kheti) के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएचमान 6.5 से 7.5 अच्छी होती है। बुआई के समय 20 डिग्री और बढ़वार के लिए 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है।
खेत की तैयारी
फसल बुआई के 20 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दें। जिससे खेत में मौजूद खरपतवार व कीट-पतंगे नष्ट हो जाएं। बुआई से पहले प्रति एकड़ 10-12 टन गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डाल दें। खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके समतल कर लें।
बीज की बुआई और बीजोपचार
- हाइब्रिड बीज पहले से उपचारित आती है लेकिन बीज घर पर तैयार की गई है तो इसे कार्बेंडाजिम 2 ग्राम + थिरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित कर लें।
- बीज की बुआई 60 से 100 सेंटी मीटर की दूरी करनी चाहिए, इससे फसल की निगरानी करनी में आसानी होती है।
- ध्यान रखें कि एक जगह पर 2 बीज की बुआई करें, ताकि बीज जमाव के बाद एक स्वस्थ पौध छोड़कर दूसरा पौध निकालकर दूसरी जगह लगा सकें।
- ककड़ी की एक एकड़ फसल तैयार करने के लिए 400 से 500 ग्राम बीज की जरूरत होती है।
ककड़ी की उन्नत किस्में
ककड़ी की उन्नत किस्मों में अर्का शीतल, पंजाब लांगमीलन-1, दुर्गापुरी ककड़ी प्रमुख हैं।
उर्वरक प्रबंधन
- ककड़ी की बुआई के समय एक एकड़ खेत में 200 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद डालें। इसके साथ ही 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा, 10 किलो कार्बोफुरान, 50 किलोग्राम पोटाश, 25 किलो ग्राम यूरिया, 100 किलो ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 5 किलोग्राम जायम और 5 किलोग्राम सल्फर का उपयोग करें।
- बीज बुआई के 25 से 30 दिनों बाद 10 ग्राम NPK 0:52:34 और 10 मिली Dhanzayam gold को 1 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर पौधों पर स्प्रे करें।
सिंचाई प्रबंधन
- ककड़ी की फसल में पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए।
- दूसरी सिंचाई के 4 से 5 दिन बाद कर दें, जिससे बीज अच्छी तरह पौध का स्वरुप ले लें।
- मिट्टी में नमी के आधार पर 7-8 दिनों में भरपूर सिंचाई करते रहें।
- फसल की तुड़ाई और फूल निकलते समय 2-3 दिनों में सिंचाई कर दें ताकि फसल ताजी, चमकदार और अच्छी हो।
फसल की कटाई
जब ककड़ी के फल हरे और मुलायम हो, तब ही तुड़ाई करके बाजार में बेच दें। आपको बता दें, ककड़ी की तुड़ाई 40 से 45 दिनों बाद शुरु हो जाती है। फलों की साइज के अनुसार ही तुड़ाई करें।