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अंगूर की खेती कैसे करें? यहां जानें | angur ki kheti

अंगूर (Grapes) बहुत ही स्वादिष्ट और लोकप्रिय फल है। अंगूर की खेती के लिए शुष्क गर्म जलवायु अच्छी होती है। आइए जानें, अंगूर की खेती कैसे करें?

Angur ki kheti: अंगूर (Grapes) बहुत ही स्वादिष्ट और लोकप्रिय फल है। अंगूर को जितनी लोकप्रियता खाने के लिए लोगों के बीच मिलती है उससे कहीं ज्यादा किसानों के लिए यह बेहतर व्यवसायिक विकल्प है। अंगूर का उपयोग ताजे फल के अलावा किसमिस, मुनक्का, जूस, जेम बनाने में किया जाता है। 

अंगूर (Grapes) में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी और कैलोरी फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। अंगूर में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए अंगूर का सिरका इस्तेमाल किया जाता है।

अंगूर की खेती (angur ki kheti) भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और कर्नाटक आदि राज्य में की जाती है।

अंगूर की खेती कैसे करें? angur ki kheti

अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

अंगूर की खेती (angur ki kheti) के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। जिसमें जल निकास बेहतर हो। जलवायु की बात करें, तो अंगूर की खेती के लिए शुष्क गर्म जलवायु अच्छी होती है। अधिक गर्म जलवायु अंगूर की फसल को नुकसान पहुंचाती है।

खेती की तैयारी

  • किसी भी खेती से पहले उसकी तैयारी करना बहुत जरूरी है। 
  • अंगूर की खेती (angur ki kheti) के लिए सबसे पहले जमीन प्रबंधन और मिट्टी की जांच करना आवश्यक है जिससे किसान को अच्छे पैदावार मिल सके।
  • अंगूर के पौधों की रोपाई कलम विधि से की जाती है। 

अंगूर की कलम कटिंग का तरीका

  • कलम का चुनाव हमेशा स्वस्थ परिपक्व टहनियों करना चाहिए।
  • खास तौर पर 4-6 गांठों वाली 23-45 सेमी. लम्बी कलमों का उपयोग करें।  
  • कलम के नीचे की कटिंग गांठ के ठीक नीचे होना चाहिए।
  • ऊपर का कट तिरछा होना चाहिए। 
  • इन कलमों को जमीन की सतह से ऊंची क्यारियों में लगाएं। 
  • एक वर्ष पुरानी जड़युक्त कलमों को ही बगीचे में लगाएं।

अंगूर की खेती का तरीका

  • सबसे पहले अंगूर की बागवानी (angur ki bagwani) के लिए लगभग 50 x 50 x 50 सेंटीमीटर आकार के गड्ढे खोद लें। 
  • इसके बाद गोबर की खाद, नीम की खली, फॉलीडाल कीटनाशक चूर्ण, सुपर फॉस्फेट पोटेशियम सल्फेट मिलाकर भर दें।
  •  पौध लगाने के करीब 15 दिन पूर्व इन गड्ढ़ों में एक साल पुरानी जड़वाली कलमों की रोपाई करें।

अंगूर की उन्नत किस्में

किसी भी खेती की शुरुआत करने से पहले किसान को उसके उन्नत किस्मों के बारे में अच्छी तरह जान लेना चाहिए। अंगूर की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है-

  • अरका श्याम
  • अरका कृष्णा
  • अरका नीलमणि
  • अरका राजसी
  • गुलाबी

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

  • कलम रोपने के तुरंत बाद खेतों की हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। 
  • उसके बाद ही किसी तरह के उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • कलम की छटाई के बाद फलों के बड़वार को देखते हुए 5 से 7 दिन में एक बार सिंचाई करनी चाहिए।
  • बेलों को एक महीने के अंतराल पर फोस्फेट और यूरिया मिलाकर डाले। इससे शाखाओं का अच्छा विकास होता है। 
  • किसान को अपनी मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए। एक्सपर्ट की सलाह लेकर उर्वरक का इस्तेमाल करें। 

अंगूर के प्रमुख रोग और रोकथाम

पाउडरी मिल्ड्यू- इस रोग से ग्रस्त पौधे की पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे दिखाई पड़ने लगते हैं। इससे ग्रसित पत्तियां मुड़ने लगती हैं और रंग भूरा हो जाता है। इससे बचाव के लिए अंगूर के बेलों पर सल्फर के डस्टिंग समय-समय पर करते रहना चाहिए।

ग्रेप वाइन फैनलीफ रोग- इसमें पत्तियां डंठल से कमजोर हो जाती है। अंगूर के गुच्छे में ज्यादातर फूल झड़ जाते हैं। इससे बचाव के लिए इथेनॉल के के घोल का छिड़काव करना चाहिए।

डाउनी फफूंद रोग- इस रोग से संक्रमित होने पर पत्तों पर तेल के धब्बे जैसा पीला गोलाकार स्पोर्ट्स दिखाई पड़ता है। कुछ दिनों के बाद पत्तियां मुरझा पर गिरने लगती है। इस रोग को डाउनी मिड्यूल के नाम से भी जाना जाता है। इसके नियंत्रण के लिए नीचे गिरे हुए पत्ते और  टहनियों को इकट्ठा करके जला देना चाहिए। इसके अलावा फॉसेटिल-एल और मैंकोजेब  एजोक्सिस्ट्रोबिन या डेमीथरोफ का स्प्रे करना चाहिए। 

अंगूर की खेती में लागत और कमाई

अंगूर की खेती (angur ki kheti) में लागत का हिसाब किताब हम कई तरह से कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अंगूर की कलम की लागत, बीज की लागत और उर्वरक की लागत किसान पर ही निर्भर करता है कि वह किस तरह के चीजों का चुनाव करते हैं। वहीं कमाई की बात करें तो बाजार में अंगूर के बाजार भाव के ऊपर निर्भर करता है। यदि प्रत्येक और आप 20 से 30 हजार की लागत लगाते हैं। तो लगभग आपको प्रति हेक्टेयर 2 से 3 लाख तक का मुनाफा हो सकता है।

ये तो थी, अंगूर की खेती (angur ki kheti) की जानकारी। ऐसे ही खेती की उन्नत जानकारी के लिए द रूरल इंडिया वेबसाइट को विजिट करें। 

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