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Kela ki kheti: केला की खेती की संपूर्ण जानकारी

केला की खेती (kela ki kheti) किसानों के लिए एक बेहतर व्यवसाय है। नकदी फसल होने के कारण किसानों को बाजार में इसका बेहतर दाम मिलता है। 

kela ki kheti: केला एक बहुत ही पौष्टिक फल है। केले में शर्करा खनिज लवण फास्फोरस आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। केला में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो शारीरिक दुर्बलता दूर करने में काफी मददगार होती है।

केले में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट, आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन-A, C और B-6, शरीर को भरपूर पोषण देते हैं। 

केला की खेती (kela ki kheti) किसानों के लिए एक बेहतर व्यवसाय है। नकदी फसल होने के कारण किसानों को बाजार में इसका बेहतर दाम मिलता है। 

kela ki kheti: केला की खेती की संपूर्ण जानकारी

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में केला की खेती (kela ki kheti) की बारे में विस्तार से जानते हैं। 

केला की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

केला की खेती (kela ki kheti) के लिए गर्म जलवायु अच्छी होती है। 15 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान केले की पैदावार के लिए काफी अच्छा होता है। भारत में इसके लिए दक्षिण राज्यों की जलवायु काफी अनुकूल है। यही कारण है कि सबसे अधिक केला की खेती (kela ki kheti) दक्षिण भारत में होती है। 

केला की खेती के लिए जीवांश युक्त दोमट मिट्टी और बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती  है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होनी चाहिए। 

खेत की तैयारी 

  • सबसे पहले खेत की 3 से 4 बार गहरी जुताई करें।
  • आखिरी जुताई के समय मिट्टी में गोबर खाद मिला लें। 
  • इसके बाद लेवलर और हैरो ब्लेड की मदद से मिट्टी को बराबर करें।

केला की उन्नत किस्में

हमारे देश में लगभग 20 से ज्यादा किस्म के केले की खेती की जाती है।

  • G-9 (सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले किस्मों में एक है)
  • ड्वार्फ कैवेंडिश (Dwarf Cavendish)
  • रॉबस्टा(Robusta)
  • रेड बनाना (Red banana)
  • मोनथन (Monthan) 
  • पूवन (Poovan)
  • न्याली (Nyali) 
  • सफेद वेलची (Safed velchi)
  • बसाराई (basarai) 
  • अर्धपुरी (Ardhapuri)
  •  रसथली (Rasthali)
  • कर्पूरवल्ली (karpuravalli) 
  • ग्रैंड नैन (Grand naine)

पौधे लगाने का तरीका

  • गड्ढे की लम्बाई, चौड़ाई और गहराई लगभग 60x 60x 60 सेंटीमीटर रखें।
  • पौधों और कतार की  दूरी लगभग 1.5x 1.5 मीटर रखें
  • ज्यादा गहराई में पौधे की रोपाई ना करें।
  • संक्रमण रहित पौधों का चुनाव करें
  • रोपाई से पहले पौधे की जड़ों को अच्छी तरह धोएं।

सिंचाई प्रबंधन

केला एक गर्म पौधा है। केले की खेती (kela ki kheti) के लिए पानी की आवश्यकता अधिक होती है। सर्दी के दिनों में लगभग केले के खेतों में 7 से 8 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। वहीं गर्मी के दिनों में 4 से 5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

उर्वरक एवं खरपतवार नियंत्रण

  • गोबर खाद के साथ-साथ रोपाई से पहले जड़ों को क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी  2.5 पानी में 6 घंटे तक दबाकर रखें उसके बाद रोपाई करें।
  • यूरिया और म्यूरेट ऑफ पोटाश 350 ग्राम (म्यूरेट ऑफ पोटाश) को 5 भागों में बांटकर डालें।
  • रोपाई से पहले जोताई करके खरपतवार को निकाल दें। 
  • इसके बाद बीज के अंकुरण से पहले ड्यूरॉन डब्ल्यू पी को पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

कीट एवं रोकथाम

पत्ती विटिल– यह किट ताजे पत्तों और फूलों को खाता है। इसके रोकथाम के  लिए लिएइन्ड़ोसल्फान 2 मि.ली. और कार्वरिल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पहला छिड़काव फूल आने के तुरन्त बाद और दूसरा 15-20 दिन बाद करना चाहिए।

बनाना विविल (घुन)- केले में  बरसात के दिनों में  यह  कीट लगता है। तने में छेद बनाकर मादा विविल(घुन) अंडे देती है। इनसे सुंडियां निकलकर तने में छेद करके खाती हैं। जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। इससे बचाव के लिए समय-समय पर फास्फेमिडान घोल का छिड़काव करें।

तना गलन (सूडोहर्ट राट)- यह रोग फफूंदी के कारण होता है। इसके प्रकोप से निकलने वाली नई पत्ती काली पड़कर सड़ने लगती है। इसके रोकथाम के लिए डाइथेन एम.- 45 के बावेस्टीन के पानी में मिलाकर 2-3  बार छिड़काव करना चाहिए।

पनामा बिल्ट- इस के प्रकोप से पत्तियां पीली होकर नीचे की ओर झुक जाती है। रोकथाम के लिए बावेस्टीन का गोल बनाकर पौधों के चारों तरफ डालना चाहिए।

लीफ स्पाट- इस रोग में पत्तियों पर पीले भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। पौधे की वृद्धि रुक जाती है। इससे बचाव के लिए डाईथेन एम-45 के  और कापर आक्सीक्लोराइड का छिड़काव 10-15 दिन  में एक बार करना चाहिए। इसके अलावा अपने पौधों को किसी कीट रोग से बचाने के लिए समय-समय पर एक्सपर्ट की सलाह लेते रहें।

केला की खेती में लागत और कमाई

केले की खेती (kela ki kheti) में अगर लागत और कमाई की बात करें तो लगभग एक हेक्टेयर जमीन में केले की खेती करने के लिए लगभग डेढ़ लाख तक की लागत आती है। वहीं बात अगर मुनाफे की की जाए तो एक हेक्टेयर की पैदावार लगभग 3 से साढ़े तीन लाख रुपए की कमाई हो जाती है। इस तरह से केले की खेती करने वाले किसान को लगभग एक से डेढ़ साल में डेढ़ से दो लाख तक का मुनाफा हो सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न- केला लगाने का सही समय क्या है?
उत्तर- केला गर्म जलवायु का पौधा है। इसकी खेती का सही समय जून से लेकर अगस्त का महीना होता है।
प्रश्न- 1 केले का पेड़ कितनी बार फल देता है?
उत्तर- एक केले का पेड़ एक बार में एक बार ही फल देता है।
प्रश्न- केले का पेड़ कितने महीने में फल देता है?
उत्तर- केले का पेड़ 10 से 12 महीने में फल देता है।
प्रश्न- 1 एकड़ में कितने केले के पौधे लगते हैं?
उत्तर- एक एकड़ में 1000 से 1200 पौधे लगते हैं।

ये तो थी, केला की खेती (kela ki kheti) की जानकारी। ऐसे ही खेती की उन्नत जानकारी के लिए द रूरल इंडिया वेबसाइट को विजिट करें।

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