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पशुओं को लू से बचाव के उपाय और लक्षण
गर्मियों में लू का प्रकोप बना रहता है। इससे दूधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता, भोजन की मात्रा और व्यवहार में भी बदलाव आता है।
how to protect animals from heat stroke: गर्मियों में लू का प्रकोप बना रहता है। इससे दूधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता, भोजन की मात्रा और व्यवहार में भी बदलाव आता है। ऐसे में हमें दूधारू पशुओं का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है, जिससे दूध उत्पादन प्रभावित ना हो।
आज हम आपको इस ब्लॉग में गर्मियों के दिनों में पशुओं को लू से बचाव और लक्षण के बारे में बता रहे हैं।
तो आइए, सबसे पहले लू लगने के लक्षण को जान लेते हैं।
लू लगने के लक्षण (heat stroke symptoms)
- पशुु को 106 से 108 डिग्री फेरनहाइट तेज बुुखार आना।
- सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देना।
- लू लगने पर पशु की मुंह से जीभ बाहर निकलने लगती है।
- सांस लेने में कठिनाई होना।
- पशु के मुंह के आसपास झाग आ जाना।
- पशु की आंख व नाक लाल हो जाना।
- पशु की नाक से खून आना।
- पशु चक्कर खाकर गिर जाना।
लू से बचाव (heat protection)
- पशु आवास में वायु के आवागमन के लिए रोशनदान रखें।
- पशु को दिन में नहलाए।
- पशु को ठंडा पानी पिलाएं।
- संकर नस्ल के पशु के आवास में पंखे या कूलर लगाएं।
- पशुओं को चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम को देर से भेजे।
लू से ऐसे करें उपचार (heat treatment)
- लू लगने पर पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखकर, ठंडे पानी का छिड़काव करें।
- पशु के शरीर पर बर्फ या ऐल्कोहॉल को रगड़ सकते हैं।
- पशु को प्याज और पुदीने से बना अर्क पिलाएं।
- ठंडे पानी में चीनी, भुने हुए जौ और नमक का मिश्रण पिला सकते हैं।