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Agro Tourism: कृषि पर्यटन क्या है? यहां जानें

अगर कृषि और गांव को पर्यटन (Tourism Industry) से जोड़ दिया जाएं तो ग्रामीणों की तस्वीर बदल सकती है। तो आइए, कृषि पर्यटन क्या है? जानें

Agro Tourism in hindi: भारत अपनी भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता के साथ हमेशा से पर्यटकों (Tourists) के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है और ‘अतिथि देवो भव:’ की परंपरा रही है।

भारत के हजारों गांवों में ग्रामीण पर्यटन में अपार संभावना है। यहां के गांव में हरियाली, रोमांच और स्थानीय स्वाद भरा पड़ा है। हमारे देश में कृषि पर्यटन (Agro-Tourism) में भी अपार संभावना है।

अगर कृषि और गांव को पर्यटन उद्योग (Tourism Industry) से जोड़ दिया जाएं तो ग्रामीणों की तस्वीर बदल सकती है। किसानों की आमदनी (Income) के नये स्रोत तो बनेंगे और साथ ही अर्थव्यवस्था (Economy) को भी फायदा होगा। 

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में हम कृषि पर्यटन (Agro Tourism) से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि आप भी कृषि पर्यटन व्यवसाय (Agro-Tourism Business) से जुड़कर फायदेमंद अवसरों का लाभ उठा सकें।

इस लेख में आप जानेंगे-

  • कृषि पर्यटन क्या है? (What is Agro-Tourism?)
  • कृषि पर्यटन का महत्व (Importance of Agro-Tourism)
  • क्या हैं कृषि पर्यटन के मूल सिद्धांत? (What are the basic principles of agro-Tourism?)
  • कृषि पर्यटन के लाभ (Benefit Agro-Tourism)
  • किसानों के लिए लाभ  (Benefit for Farmers)
  • पर्यटकों के लिए लाभ (Benefit for Tourists)
  • स्थानीय समुदाय के लिए लाभ (Benefit for Local Community)
  • अर्थव्यवस्था के लिए लाभ (Benefit for Economy)
  • कृषि पर्यटन में बढ़ोत्तरी के लिए सुझाव (Suggestions for Increasing Agro-Tourism) 
  • और
  • कृषि पर्यटन रोजगार कैसे शुरू करें ? (How to Start Agro-Tourism Business?) 

कृषि पर्यटन क्या है? (What is Agro-Tourism?)

कृषि पर्यटन (Agro Tourism) बहुआयामी और एक उभरता हुआ व्यवसायिक विकल्प है। इसे अक्सर ग्रामीण पर्यटन (Rural Tourism), सांस्कृतिक पर्यटन, (Cultural Tourism), प्रकृति पर्यटन (Nature Tourism), साहसिक और पारिस्थितिक पर्यटन (Adventure and Ecotourism) से भी जोड़ कर देखा जाता है।

वैसे इन सभी का आशय गांव, खेती-किसानी, प्रकृति और परम्पराओं से जुड़े पर्यटन से है। 

विश्व में कृषि पर्यटन (Agro Tourism) की पहल सबसे पहले यूरोप और पूर्वी अमेरिका में हुई और इसके बाद यह अवधारणा (Concept) दूसरे देशों तक पहुंची। 

1985 में इटली में पारित एक कानूनी प्रावधान के तहत किसानों की आय में अन्य साधनों से बढ़ोतरी के लिए कई व्यवस्थाएं बनाई गई थीं। वैसे, कृषि पर्यटन की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है लेकिन विश्व पर्यटन संगठन (World Tourism Organization) के अनुसार फार्महाउस में आवास की पेशकश, भोजन उपलब्ध कराना और विभिन्न कृषि कार्यों में पर्यटकों की भागीदारी का आयोजन और सहायता करना कृषि पर्यटन में शामिल है।

भारत में कृषि पर्यटन की शुरूआत सबसे पहले महाराष्ट्र के बारामती में साल 2004 में कृषि पर्यटन विकास निगम (Agro Tourism Development Corporation) का गठन एक कृषि उद्यमी पांडुरंग तवारे ने किया। 

कृषि पर्यटन क्या है? जानें, ग्रामीण पर्यटन में संभावनाएं

कृषि पर्यटन के मूल सिद्धांत? (basic principles of agro-Tourism?) 

कृषि पर्यटन (krishi paryatan) की अवधारणा बहुत सरल है और यह मुख्य रूप से तीन सिद्धांतों (Principles) पर काम करती है।

  1. अनोखापन अर्थात आगंतुकों के देखने के लिए कुछ खास होना चाहिए। जैसे – पशु, पक्षी, खेत और प्राकृतिक सुंदरता (Natural Beauty)। इसके अलावा फूलों की क्रॉस ब्रीड वैरायटी, फल एवं सब्जियों की मॉडिफाइड किस्में, नई उन्नत कृषि तकनीक (New Advanced Agricultural Technology), स्थानीय संस्कृति, पोशाक, तीज-त्योहार और ग्रामीण खेल कृषि पर्यटकों में पर्याप्त रुचि पैदा कर सकते हैं।
  2. आतिथ्य अर्थात पर्यटकों की सेवा के लिए उचित व्यवस्था । जैसे- कृषि कार्यों और तैराकी में भाग लेना, बैलगाड़ी की सवारी (Bullock Cart Ride), पतंग उड़ाना, ऊंट-घोड़े या ट्रैक्टर की सवारी, मिलकर खाना बनाना, शिकार, मछली पकड़ना और लोक गीतों-नृत्यों का आनंद लें और ऐसी दूसरी गतिविधियां जिसमें पर्यटक (Tourist) भी भाग ले सके और आनंद महसूस करें। 
  3. उत्पाद बिक्री अर्थात अतिथियों के खरीदने के लिए कुछ खास हो । जैसे – ग्रामीण शिल्प (rural craft), ताजा कृषि उत्पाद (Fresh Agricultural Products), प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (Processed Foods) और स्थानीय विशेषताओं से भरी सामग्रियां जो वे एक स्मृति के तौर पर लेना पसंद करें।  

इस तरह, शहरी पर्यटक ग्रामीण परिवेश में रहते हैं, खेत (Farm) से खाने की मेज तक के अनुभव से गुजारते हैं और स्थानीय संस्कृति (Local Culture) को समझते हैं। इसके लिए किसान घर और खेत को उसी हिसाब से तैयार करता है और एक अतिरिक्त आजीविका (Additional Livelihood) का लाभ उठाता है।

यह पूरी तरह बिजनेस मॉडल (Business Model) पर आधारित है जिसे परिवार, स्थानीय समुदाय (Local Community) और प्रशासन (Administration) के सहयोग से चलाया जाता है। 

कृषि पर्यटन के लाभ (Benefit Agro-Tourism)

इस संबंध में महाराष्ट्र के कृषि उद्यमी पांडुरंग तवारे (Pandurang Taware) का यह कथन महत्वपूर्ण है कि “आओ, एक फल तोड़ो, एक फूल को सूंघो, खेतों में दौड़ो, घास पर लेट जाओ और ग्रामीण भारत में खो जाओ।” दरअसल, कृषि पर्यटन (krishi paryatan) महज रोजगार का एक साधन मात्र नहीं है बल्कि इसके कई आयाम हैं। 

किसानों के लिए लाभ  (Benefit for Farmers)

  • खेती के कार्यों का विस्तार करने का मौका और आमदनी में बढ़ोत्तरी 
  • खेती के साथ-साथ पर्यटन के व्यवसाय से आत्मनिर्भरता की प्राप्ति
  • बिजनेस आधारित मॉडल होने से किसानों की नई पीढ़ी का आकर्षण 
  • लगातार देखभाल से खेत के उपजाऊपन व इससे जुड़े अवसरों में वृद्धि
  • स्थानीय स्तर पर प्रबंधन कौशल और उद्यमिता की भावना का प्रसार

पर्यटकों के लिए लाभ (Benefit for Tourists)

  • शहरी प्रदूषण से मुक्त शांत व साफ प्राकृतिक वातावरण का अनुभव 
  • बच्चों में देहात की समझ और सीखने-सिखाने की प्रवृत्ति का विकास
  • पर्यटकों और शहरी व्यवसायियों का कृषि भूमि में निवेश में रुचि लेना
  • रहने-खाने में अपेक्षाकृत कम खर्च से खुलकर आनंद लेने का अवसर
  • भारतीय संस्कृति और परिवेश को करीब से समझने का अवसर मिलना

स्थानीय समुदाय के लिए लाभ (Benefit for Local Community)

  • ग्रामीण क्षेत्रों में नई, वैकल्पिक या पूरक आय से जीवन स्तर में सुधार
  • स्थानीय कृषि उत्पादों के लिए बाजार का विकास व जागरूकता बढ़ना
  • स्थानीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने और आगे संरक्षित करने की भावना
  • वैश्विक संस्कृति को समझने और देश-दुनिया से जुड़ने का अवसर मिलना
  • बेकार पड़ीं संपत्तियों के नवीनीकरण और पुन: उपयोग में सहायता करना

अर्थव्यवस्था के लिए लाभ (Benefit for Economy)

  • रोजगार सृजन, जीडीपी विकास व विदेशी मुद्रा आय की दृष्टि से महत्वपूर्ण
  • आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल जैसी योजनाओं से सीधा नाता
  • ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने के लिए की जाने वाले ढांचागत व्यवस्था से विकास  
  • असंसाधित प्राकृतिक कृषि उत्पादों व हस्तशिल्प के प्रत्यक्ष बाजारों में वृद्धि
  • खेती-किसानी में नवोन्मेष की भावना का विकास व आत्मनिर्भरता की पहल 

कृषि पर्यटन में बढ़ोत्तरी के लिए सुझाव (Suggestions for Increasing Agro-Tourism)  

ग्रामीण भारत के बेहतर बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी से सुधार संभव हैपर्यटकों हेतु होम स्टे और हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट ट्रेनिंग के कार्यक्रम चलानाऐसे पर्यटन केंद्र विशिष्ट और पारंपरिक पर्यटन स्थलों के निकट होने चाहिएसक्रिय दृष्टिकोण के साथ केंद्र-राज्य सरकार को मिल कर काम करना होगाऐसे पर्यटन केंद्रों के आसपास कानून-व्यवस्था व सार्वजनिक सुविधाओं मे वृद्धि बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए ग्राम सभा को पर्याप्त अनुदान दिया जाये

कृषि पर्यटन व्यवसाय कैसे शुरू करें? (How to Start an Agro-Tourism Business?)  

कृषि पर्यटन व्यवसाय (krishi paryatan vyavsay) को शुरू करने के लिए सबसे बड़ी चीज है- मन बनाना, फिर जानकारियां जुटाना, आवश्यक धन का इंतजाम करना और फिर प्रबंधन करना। बस, इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

  • सबसे पहले यह देखना होगा कि आप पर्यटकों के लिए प्रस्तुत क्या करना चाहते हैं जिससे वह आपके यहां आने के लिए आकर्षित हों ? 
  • दूसरा, पर्यटकों के आने-जाने, रुकने, खाने-पीने, क्षेत्र के भ्रमण के लिए आपने कितनी उत्तम व्यवस्थाएं कर रखी हैं ? 
  • तीसरा, पर्यटक जाते वक्त यादगार के तौर पर कुछ स्थानीय सामग्री खरीद कर ले जाते हैं तो इसके लिए आपकी तैयारी क्या है ? इसके बारे में हम ऊपर विस्तार से बता चुके हैं।

एक कृषि फार्म या कुछ एकड़ खेती के भूभाग को कृषि पर्यटन (Agricultural Tourism) स्थल के रूप में संचालित किया जा सकता है। आप चाहें तो रुकने और खाने पीने की सुविधाएं अपने पास रखकर बाकी साइट्स के लिए उनके मालिकों से कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं या पट्टे (Lease) पर ले सकते हैं। 

हरियाली के बीच सारी सुविधाओं से युक्त कमरे या स्थानीय शैली में पारंपरिक झोपड़े (Traditional Huts) बांस-मिट्टी या कंक्रीट के तैयार करने होते है। धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं। इनसे से कुछ वातानुकूलित हों तो बेहतर होता है। 

एक ऐसे स्थान को चुनना जहां हस्त शिल्प (Handicraft), हथकरघा (Handloom) या दूसरे स्थानीय उत्पाद (Local Products) विक्रेता इकट्ठे हो सकें। एक कैंप फायर साइट भी होनी चाहिए।

परिवहन (Transportation) और आसपास के भ्रमण (Visit) के लिए कार, मिनी बस, साइकिल आदि का इंतजाम। जरूरत पड़ने पर ये सब किराये पर भी लिए जा सकते हैं।

पहले से स्थापित किसी फर्म, संस्था या कंपनी के बैनर तले भी किया जा सकता है इसके अतिरिक्त व्यवासायिक फर्म बनाने के लिए कई कागजी औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी जिसमें स्थानीय स्तर पर लाइसेंस (License) से लेकर टैक्स रजिस्ट्रेशन (Tax Registration), फायर सेफ्टी क्लीयरेंस आदि शामिल है। 

राज्य और केंद्र सरकार की स्टार्ट-अप प्रोत्साहन योजनाओं (Start-up Promotion Schemes) का भी लाभ उठाया जा सकता है। खर्च या निवेश (Investment) व्यवसाय के आकार पर निर्भर करता है, जिसकी कोई सीमा नहीं है। छोटे स्तर पर शुरुआत कुछ बेहद जरूरी इंतजाम करके भी हो सकती है। 

इन सबके लिए व्यवसायिक, व्यवहारिक और प्रबंधन कौशल (Management Skills) की आवश्यकता पड़ेगी जो आप करते-करते भी सीख सकते हैं क्योंकि यह एक अनुभव आधारित व्यवसाय है। 

यदि सक्षम हों तो मिनी जू, नर्सरी, मछलीपालन (Fisheries), पशुपालन केंद्र (Animal Husbandry Center), डेयरी (Dairy) जैसे फीचर्स भी जोड़ सकते हैं जो पर्यटकों विशेष रूप से बच्चों को काफी लुभाते हैं। स्कूली बच्चों के शैक्षिक टूर या मांगलिक समारोहों के लिए भी फार्म दिये जा सकते हैं।

संक्षेप में कहें तो भारत में देहात के लोगों के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। ऐसे में ग्रामीण पर्यटन (Rural Tourism) या कृषि पर्यटन (Agro Tourism) रोजगार की संभावनाएं बढ़ रही हैं। 

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