काम की खबरबागवानी

Polyhouse farming: पॉलीहाउस खेती क्या है? यहां जानें

पॉलीहाउस में खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान मौसम आधारित सब्जियों साथ-साथ ऑफ सीजन में भी सब्जियों की खेती करके अच्छी उपज ले सकते हैं।

Polyhouse farming in hindi: पिछले कुछ दशकों में भारत के किसान खेती करने की नई तकनीकों को खास तवज्जो देने लगे हैं।

खेती-किसानी में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके ना सिर्फ किसान आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रहे हैं बल्कि उन्नत तरीकों का इस्तेमाल करके प्रतिदिन आमदनी में बढ़त दर्ज कर रहे हैं।

किसानों की आय को दोगुना करने की इन्हीं तकनीकों में शामिल है- पॉलीहाउस में खेती (polyhouse farming) 

तो आइए द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में पॉलीहाउस में खेती के लाभ को विस्तार से जानते हैं। 

पॉलीहाउस में खेती (polyhouse farming) एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान मौसम आधारित सब्जियों साथ-साथ ऑफ सीजन में भी सब्जियों की खेती करके अच्छी उपज ले सकते हैं। सरंक्षित खेती (integrated farming) की इस तकनीक से किसानों को सालभर अच्छी आय प्राप्त होता है। 

ग्रामीण युवाओं के लिए पॉलीहाउस में खेती रोजगार का जरिया तो बन ही रही है। साथ-साथ इसके जरिए गांव से युवाओं का पलायन कम हुआ है और युवा किसान खेती-किसानी में बेहतर प्रदर्शन करके आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रोत्साहित भी हुए हैं।

पॉलीहाउस में खेती की पूरी जानकारी (polyhouse farming in hindi)

पॉलीहाउस में खेती (polyhouse farming) को आम भाषा में ग्रीनहाउस में खेती के नाम से भी जानते हैं। यह एक प्रकार की ढंकी हुई संरचना हैं, जिसमें सब्जियों से लेकर फूलों तक का उत्पादन प्लास्टिक की छत के नीचे किया जा सकता है। 

पॉलीहाउस की संरचना स्टील से बनाई जाती है जिसे प्लास्टिक की शीट या हरी नेट से कवर किया जाता है। एक बार बनाई गई पॉलीहाउस की संरचना को 10 सालों तक आपकी फसल को कीट-रोगों से तो दूर रहेगी ही, इसके साथ-साथ मौसम की मार से भी बचायेगी।

इस शानदार तकनीक को अब भारतीय किसान बिना किसी शर्त के और बहुत ही कम खर्चे में अपना बना सकते हैं, जिसमें सरकार आर्थिक अनुदान भी देती है।

फायदे की तकनीक है पॉलीहाउस में खेती

आपको बता दें कि पॉलीहाउस यानी संरक्षित ढांचे में सब्जियों की खेती करने के जितने लाभ गिनाए जाएं उतने कम हैं। 

  • ग्रीनहाउस पद्धति में खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें आप मौसमी और बेमौसमी सब्जियों को बेहद आसानी से उगा सकते हैं।  
  • पॉलीहाउस में खेती करने से फसल में कीट और बीमारियों की संभावना तो कम रहती ही है, साथ ही इसमें रसायनों और उर्वरकों की भी कोई खास जरूरत नहीं होती। सिर्फ गोबर की काद या वर्मी कंपोस्ट जैसी कम लागत के जरियों से भी अच्छी और गुणवत्तापूर्ण  उपज ले सकते हैं। 
  • पॉलीहाउस में उगने वाली फसल सर्दी, गर्मी, तेज हवा, भारी बारिश और ओलों की मार से भी बची रहती है। 
  • इसकी उत्पादन इकाई लगाने से आपका कीटनाशकों का खर्चा तो बचेगा ही, पानी का खर्च भी बेहद कम आयेगा। इसमें खेतों के मुकाबले मानव श्रम की भी काफी बचत होगी। 
पॉलीहाउस में खेती

पॉलीहाउस में क्या उगाएं?

वर्तमान में ज्यादातर किसान पॉलीहाउस में टमाटर, खीरा और शिमला मिर्च की खेती को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं, क्योंकि उनकी मांग सालभर बाजार में बनी रहती है। इनके अलावा, पत्तेदार सब्जियां, कद्दू वर्गीय सब्जियां, गोभी वर्गीय सब्जियां और टमाटर वर्गीय सब्जियां पॉलीहाउस में लगाकर भी आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

पॉलीहाउस में किसान ऑफ सीजन सब्जियों सब्जी के साथ गेंदा, जरबेर, गुलदाउदी, रजनीगंधा, कारनेशन, गुलाब, एन्थूरियम आदि फूलों की खेती भी कर सकते हैं। इस संरक्षित ढांचे में खेती करने से गुणवत्ता और उत्पादकता तो बढेगी ही, साथ ही इसके जरिए खुले खेतों के मुकाबले 5 से 10 गुना ज्यादा पैदावार और आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। 

पॉलीहाउस की खेती में इन बातों का रखें खास ख्याल

घटती जोत और अधिक मुनाफे के चलते किसान भाइयों के लिए पॉलीहाउस (polyhouse farming) आय सृजन का उत्तम स्रोत है। बेशक संरक्षित खेती में लाभ और उपज का प्रतिशत साधारण खेती की तरीकों से ज्यादा है। लेकिन संरक्षित खेती करने वाले किसानों को कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा।

आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।  

  • सर्दियों के समय सुरक्षा ढांचे के शेडनेट यानी पर्दों को दोपहर में 2-3 घंटे के लिए खोल देना चाहिये। ऐसा करने से नमी से पैदा होने वाले कीट-रोगों की संभावना कम होती है और फसल को भी सूरज के प्रकाश से पोषण मिल जाता है।
  • पॉलीहाउस की नर्सरी में नमी के साथ-साथ पोषण की जरूरत होती है, इसलिए टपक सिंचाई के जरिए पानी में उर्वरकों का घोल बनाकर नर्सरी में दें, इससे नमी और पोषण दोनों की कमी पूरी हो जायेगी।
  • पॉलीहाउस या ग्रीन हाउस को कटने-फटने से बचाने का प्रबंधन कार्य भी करते रहना चाहिये, क्योंकि खुली फसल में कीट-रोग जल्दी ही घर कर जाते हैं। कटे-फटे स्थान की सिलाई करें और समय-समय पर पॉलीहाउस की पॉली को बदलते रहें।
  • पॉलीहाउस की गुणवत्ता का अच्छा होना बेहद जरूरी है क्योंकि सस्ते और जुगाड़ साधनों में मरम्मत का खर्चा ज्यादा आयेगा। इसलिए अच्छी गुणवत्ता का ढांचा ही आपको कम खर्च में अच्छा लाभ दे सकता है।
  • संरक्षित खेती से अगर आप अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं, तो अच्छे रखरखाव की भी सख्त जरूरत होती है। ऐसे में सिंचाई के लिए अच्छा पानी, उत्तम भूमि, अच्छी किस्म के बीज, नर्सरी और तकनीक प्रबंधन की भी आवश्यकता होती है।
  • संरक्षित खेती (integrated farming) के लिए ढांचे या नर्सरी को 1-2 फीट ऊपर ही तैयार करें, जिससे वर्षा का पानी फसल को प्रभावित न करें जल निकासी भी सुनिश्चित हो सके।
  • अच्छी आमदनी अर्जित करने के लिए अपने पॉली हाउस में उन्हीं सब्जियों की खेती करें, जिनकी मांग बाजार में अधिक हो या फिर बाजार में आपकी मांग का उचित भाव मिल सके।
  • सबसे जरूरी बात, पॉली हाउस या संरक्षित ढांचे का निर्माण उस स्थान पर करवायें, जहां से मंडी या बाजार निकट पड़ता हो। इससे उपज को बिक्री के लिए बाजार ले जाने में लागत कम आएगी और सब्जियों को सुरक्षित और आसानी से बाजार तक पहुंचाया जा सके।

संरक्षित खेती (integrated farming) के लिए सरकारी मदद

भारत में खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए अब सरकार की कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार है। इसलिए जिन किसान भाइयों ने  संरक्षित खेती के लिए पॉली हाउस या ग्रीनहाउस लगाने की प्लानिंग कर ली है, उन्हें सरकार द्वारा आर्थिक मदद देती है।

भारत सरकार के कृषि से जुड़े उपक्रमों के तहत संरक्षित खेती की संरचना स्थापित करने में सभी राज्य सरकारों की तरफ से 50 प्रतिशत तक की छूट है। हालांकि राज्य सरकारों ने संरक्षित खेती के लिए अलग-अलग सब्सिडी का प्रावधान रखा है। 

हमारे ज्यादातर किसान खेती-किसानी में नई तकनीकों को आर्थिक आर्थिक तंगी के चलते अपना नहीं पाते। लेकिन अब कृषि क्षेत्र में सरकार औऱ कृषि वैज्ञानिकों के योगदान के चलते निश्चिंत होकर खेती करने का समय है। 

इतना ही नहीं, अगर खेती करने के आपके प्रोजेक्ट में जैविक या प्राकृतिक तौर-तरीके और बेमौसमी सब्जियों की खेती भी शामिल है तो आपको 50 प्रतिशत के साथ-साथ 25-30 प्रतिशत का अतिरिक्त राहत भी मिल सकती है।

आर्थिक सहूलियत और राहत के चलते अब हमारे किसान कृषि में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके किसान भाइयों का खेती में प्रदर्शन पहले से बेहतर हो सकेगा। इससे दूसरे किसान भाइयों को भी कृषि तकनीकों की तरफ रुख करने की प्रेरणा मिलेगी।

अधिक जानकारी के लिए यहां संपर्क करें

जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रीय बागवानी विकास बोर्ड ने ही किसानों को संरक्षित खेती या पॉली हाउस फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित करने का बेड़ा उठाया है। अगर आप भी संरक्षित खेती के जरिए रोजगार और बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय में संपर्क करें।

इसके अलावा, संरक्षित खेती के मॉडल में आर्थिक राहत हासिल करने के लिए अपने राज्य के निदेशक या उद्यान और जिला अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, संरक्षित ढांचा स्थापित करने के लिए किसानों को बैंक लोन भी उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। 

ये तो थी, पॉलीहाउस में खेती (polyhouse farming in hindi) की बात। लेकिन, इस वेबसाइट पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर सकते हैं।

Related Articles

Back to top button