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मधुमक्खी पालन कैसे करें, यहां जानें | madhumakhi palan

आज के दौर में मधुमक्खी पालन कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो रहा है। यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त होता है।

मधुमक्खी पालन कैसे करें

madhumakhi palan: आज के दौर में कम लागत वाला मधुमक्खी पालन कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो रहा है। यह एक ऐसा कृषि व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त होता है। मधुमक्खी पालन बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का बेहतर साधन बन सकता है। इस व्यवसाय में अपार संभावनाएं हैं।

अधिकांश किसानों और युवाओं के सामने यही प्रश्न रहता है कि मधुमक्खी पालन कैसे करें (madhumakhi palan kaise kare)?

तो आइए द रूरल इंडिया के इस लेख में मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan in hindi) को विस्तार से जानें।

मधुमक्खी पालन पर एक नजर

गौरतलब है कि हमारे देश में मधुमक्खी पालन प्राचीन काल से हो रहा है। इतिहास में शहद के उपयोग का कई जगह जिक्र है। प्राचीन काल मधुमक्खी पालन जंगल के पेड़-पौधों तक ही सिमित था। लेकिन आज के समय में इसकी व्यावसायिक खेती बड़े पैमाने की जा रही है। शहद के उत्पादन के मामले में भारत का विश्व में पांचवा स्थान है। 

शहद के लिए इन मधुमक्खियों का होता है उपयोग

◼️ रानी मधुमक्खी 

यह मधुमक्खी अंडे देने का काम करती है और बाकी सभी मधुमक्खियां इसके अंडों की रक्षा करते हैं। 

◼️ श्रमिक मधुमक्खियां

यह मधुमक्खियां छत्ते में भारी संख्या में मौजूद होती हैं। इस मक्खी के पेट पर कई तरह की समानांतर धारियां पाई जाती हैं। इसी को डंक मारने वाली मधुमक्खी कहा जाता है। इन मधुमक्खियों में सबसे ज्यादा शहद एकत्रित करने की क्षमता होती है। 

◼️ नर मधुमक्खी

नर मधुमक्खियों का काम रानी मधुमक्खियों को गर्भाधान करना होता है। नर मधुमक्खी छत्तों में जमा शहद को खाता है। आकार में नर मधुमक्खी श्रमिक मधुमक्खी से कुछ बड़ा और रानी मधुमक्खी से छोटा होता है। 

ऐसे बनता है मोम

मधुमक्खी से मिलने वाले शहद के बाद मोम को भी मूल्यवान माना जाता है। मोम से ही मधुमक्खी अपना छत्ता बनाती है। इसलिए के लिए मधुमक्खी पहले शहद को खाती है और फिर उससे गर्मी पैदाकर अपनी ग्रंथियों के द्वारा छोटे-छोटे मोम के कुछ अंश बाहर निकालती है। इस प्रकार छत्तों में मोम बनता है।  

मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan) में इन बातों का रखें ध्यान

  • जिस जगह पर आप मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, वहां आसपास की जमीन को हमेशा साफ-सुथरी रखें। 
  • मधुमक्खी कीड़े चींटे, मोमभक्षी कीड़े, छिपकली, चूहे, गिरगिट तथा भालू आदि यह सब इनके दुश्मन होते है। इसलिए इससे बचाव के पूरे इंतजाम करें। 

मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त वातावरण

मधुमक्खी के लिए सबसे अहम उपयुक्त वातावरण होता है। मधुमक्खियों को किसी बाग या जहां पेड़-पौधे अधिक हो वहां पालें। मधुमक्खी पालन फूलों की खेती के साथ और भी अधिक फायदेमंद साबित होती है। मधुमक्खियां फसलों में परागण में काफी मदद करती हैं। जिससे 20 से 80 फीसदी तक फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। सूरजमुखी, गाजर, मिर्च, सोयाबीन, पॉपी लेनटिल्स ग्रैम, फलदार पेड़ में जैसे नींबू, कीनू, आंवला, पपीता, अमरूद, आम, संतरा, मौसमी, अंगूर, यूकेलिप्टस और गुलमोहर जैसे पेड़ वाले क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन आसानी से किया जा सकता है। 

मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त समय

जनवरी से लेकर मार्च तक मधुमक्खी पालन (bee farming) करने का सबसे उत्तम समय होता है। लेकिन नवंबर से लेकर फरवरी का समय इस व्यवसाय के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस दौरान अधिक लाभ मिलता है। 

मधुमक्खी में लागत और कमाई

जिन डिब्बों में मधुमक्खी का पालन (madhumakhi palan) किया जाता है उनका खर्च लगभग 2 लाख रुपए तक आता है। एक किलो हनी(शहद) से आप 400 से 700  रुपए  आसानी से मिल जाते हैं। 50 बक्सों से आप आसानी से प्रति वर्ष 2-3 लाख कमा सकते हैं। 

मधुमक्खी पालन के लिए लोन 

सरकार के द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों से लोन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। चूंकि यह व्यवसाय एक लघु उद्योग श्रेणी के अंतर्गत आता है। लोन या सब्सिडी के लिए आप उद्यान विभाग और जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। 

शहद खाने के फायदे

  • शहद को लोग कई तरह से अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं। 
  • शहद शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। 
  • शहद से धमनियों और खून साफ करने में काफी मदद मिलती है। 
  • गले के संक्रमण के लिए शहद किसी वरदान से कम नहीं है। 
  • शहद के एक चम्मच के साथ मक्खन खाने से व्यक्ति को बुखार नहीं होता है।
  • बच्चों को प्रतिदिन एक चम्मच शहद खिलाने से उनकी याददाश्त में बढ़ोत्तरी होती हैं
  • साथ ही खांसी, जुकाम, पाचन क्रिया, नेत्र विकार और सौंदर्य प्रसाधनों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • शहद शरीर की थकान दूर करने में मदद करता है। 
  • नींबू पानी के साथ शहद को मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है। 

मधुमक्खी पालन के लिए योग्यता

आज के समय में मधुमक्खी पालन के लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती है। कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी इस व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है।

प्रशिक्षण की फीस भी ज्यादा नहीं होती है। केवल 400-500 रूपए में किसी संस्थान से प्रशिक्षण ले सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग से आपको फ्री में प्रशिक्षण मिल जाएगी। इन प्रशिक्षण शिविरों में आपको शहद उत्पन्न करने के लिए उचित वातावरण, नए-नए उपकरण एवं प्रबंधन की सही जानकारी और नई तकनीक, अधिक शहद देने वाली मधुमक्खियों की प्रजाति, नस्ल सुधार व रोगों से बचने की जानकारी और वैज्ञानिक विधि  के बारे में सही तौर प्रशिक्षण दिया जाता है। इन सभी ज्ञान से आप अपने व्यवसाय को और भी बढ़ा सकते हैं। 

एक्सपर्ट की राय

मधुमक्खी पालन

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न- मधुमक्खी पालन का सही समय कौन सा है?

उत्तर- मधुमक्खी पालन (bee farming) करने का सही समय जनवरी से लेकर मार्च तक होता है।

प्रश्न- मधुमक्खी का पालन कैसे किया जाता है?

उत्तर- मधुमक्खी पालन छत्ते, लकड़ी या लोहे से बने बॉक्स में किया जाता है। 

प्रश्न- मधुमक्खी पालन में कितना खर्च आता है?

उत्तर- मधुमक्खी पालन में खर्च की बात करें तो यह बॉक्स पर निर्भर करता है। प्रति बॉक्स 2 हजार से लेकर 3 हजार तक का खर्च आता है। 

प्रश्न- मधुमक्खी का शहद कितने दिन में तैयार हो जाता है?

उत्तर- मधुमक्खी का शहद 15 से 30 दिनों में तैयार हो जाता है। 

प्रश्न- एक किलो शहद की कीमत कितनी होती है?

उत्तर- एक किलो शहद की कीमत 350 रुपए से लेकर 400 रुपए तक होती है। 

ये तो थी, मधुमक्खी पालन (madhumakhi palan) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजना और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर सकते हैं।

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