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chakbandi kya hai: चकबंदी क्या है? चकबंदी के फायदे, यहां जानें

छोटे खेत होने से मशीनीकरण (mechanization) में बाधा आती है। इन्हीं समस्याओं दूर करने के लिए सरकार समय-समय पर चकबंदी (chakbandi) करवाती है।

chakbandi in hindi: हमारे देश में खेत छोटे और बिखरे हुए हैं। जिससे किसानों को खेती करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। छोटे खेत होने से मशीनीकरण (mechanization) में बाधा आती है। इन्हीं समस्याओं दूर करने के लिए सरकार समय-समय पर चकबंदी (chakbandi) करवाती है। जबकि चकबंदी से किसानों को नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होता है। 

लेकिन चकबंदी (chakbandi) का नाम सुनते ही किसानों के चहरों की हवाइयां उड़ने लगती हैं। चकंबदी से अनजान किसान चकबंदी (chakbandi) रुकवाने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय तक का चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं। 

आमतौर पर किसानों को यही सवाल होता है कि चकबंदी क्या है? chakbandi kya hai?

तो आइए द रूरल इंडिया के इस लेख में चकबंदी को आसान भाषा में समझें। 

चकबंदी क्या है(chakbandi kya hai)?

चकबंदी (chakbandi) के तहत गांव में किसान के मौजूद कई चकों (खेतों) को मिलाकर एक या दो चक (खेत) बनाने की होती है। बिखरे हुए खेतों को एक बड़ी खेत बनाकर किसानों की दी जाती है।

इस प्रक्रिया में किसानों की आम सहमति जरूरी होती है। इसमें खेत का क्षेत्रफल, मूल्य और अन्य चीजों का ध्यान रखा जाता है। बिखरे हुए खेतों को एक खेत के रुप में संयोजित करना ही चकबंदी(chakbandi) कहलाता है। 

चकबंदी की प्रक्रिया (chakabandi ki prakriya)

चकबंदी(chakbandi)
  • चकबंदी के लिए सरकार चकबंदी अधिनियम की धारा 4(1), 4(2) के तहत गांवों में चकबंदी कराने के लिए अधिसूचना जारी करती है। 
  • इसके बाद चकबंदी आयुक्त द्वारा धारा 4क (1), 4क (2) के तहत चकबंदी प्रक्रिया शुरू करने की सूचना देते हैं।
  • चकबंदी प्रक्रिया में गांव को लेने से लेकर चक आवंटन तक कई प्रक्रियाएं होती हैं। 
  • इस पूरी प्रक्रिया में  सामान्यत: दो से तीन साल का समय लग जाता है 
  • गांव की जमीनों को निर्धारण राजस्व विभाग के लेखपाल(lekhpal) या कानूनगो करते हैं। 
  • इसमें चैनमैन, भूलेख अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर भी शामिल होते हैं। 
  • इनके सर्वे के बाद लेखपाल(lekhpal) गांव के हर नंबरों के साथ खेत मालिकों के नाम लिखते हैं। 
  • फिर कानूनगो गांव में जाकर नंबर में मौजूद बोरिंग, पेड़, मकान, खड़ी फसल आदि की पड़ताल करते हैं।
  • फिर मकान, बाग और सड़क के किनारे की जमीनों को चकबंदी से बाहर कर देते है। 
  • इसके बाद सहायक चकबंदी अधिकारी गांव में जाकर ग्रामीणों के सामने जमीन की कीमत का मूल्यांकन करते हैं। 
  • इसमें गांव के सबसे अच्छे चक(खेत) को 100 अंक दिए जाता है। बाकी के सभी चकों का उसी अनुपात में मूल्यांकन होता है। 
  • गांव में अगर कोई चक और उसी के बराबर मूल्य का निकल जाता है तो उसकी भी मालियत 100 ही लगाई जाती है। 
  • इसके बाद सहायक चकबंदी अधिकारी, लेखपाल और कानूनगो की मौजूदगी में पूरे गांव के लोगों के सामने चकों(खेतों) का आवंटन होता है और सबको उनके खेत नापकर दे दिए जाते हैं।

चकबंदी से लाभ (benefit from consolidation)

  1. चकबंदी होने से बिखरे हुए खेत एक जगह हो जाती है। 
  2. छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है।
  3. खेत बड़े हो जाने से मशीनीकरण आसान हो जाता है। 
  4. खेत का आकार अधिक हो जाने से लागत घट जाती है।
  5. कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती है।
  6. किसान के रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है।

चकबंदी में होने वाली दिक्कतें (problems with consolidation)

  • चकबंदी के समय भाइयों के बंटवारें के विवाद होने पर चकबंदी नहीं हो पाती है।
  • किसानों का पैतृक भूमि के प्रति लगाव और मोह इस दिशा में अनेक अवरोध खड़े करता है।
  • चकों की पैमाइश में हेरफेर करने के कारण किसान इससे दूर भागते हैं।
  • जिस गांव में 40 फीसदी जमीन खेती लायक होती है वहां ही चकबंदी होती है।
  • अधिकारियों का पक्षपात और अविवेकपूर्ण रवैया से चकबंदी में बाधा आती है। 
  • अधिकांश किसानों को उनके बिखरे हुए खेतों के बदले 2 या 3 चक आवंटित किए जाते हैं, तो चकबंदी उद्देश्यों के विपरीत है।
  • किसान की बिखरी हुई भूमि भिन्न-भिन्न उर्वरता वाली होती है जिनका स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न मूल्य होता है। इससे किसानों को उनकी भूमि का उचित मूल्य नहीं मिलता और प्राय: भूमि की कम उर्वरता की समस्या चकबंदी के कार्य में आड़े आती है।

ये तो थी, चकबंदी (chakbandi) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

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