पुदीना की खेती कैसे करें? यहां जानें, Pudina ki kheti
पुदीना (Pudina) एक औषधीय फसल है, जिसे मिंट भी कहते हैं। इसका प्रयोग तेल, टूथपेस्ट, दवाइयों और कई व्यंजनों में स्वाद लाने के लिए किया जाता है।
Pudina ki kheti: आजकल आयुर्वेदिक दवाओं की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इसके लिए कई कंपनियां को कच्चे माल की जरूरत होती है। ये कच्चे माल औषधीय पौधों होते हैं। जिसे कंपनियों में नहीं बनाया जा सकता है। ये पूर्णतः प्राकृतिक उत्पाद होते हैं।
किसान भाइयों, आज हम आपको एक ऐसे ही पौधे के बारे में बता रहे हैं, जिसकी खेती करके आप अपनी आमदनी में इज़ाफा कर सकते हैं। इस औषधीय पौधे का नाम है पुदीना है।
पुदीना (Pudina) एक औषधीय फसल है, जिसे मिंट भी कहते हैं। इसका प्रयोग तेल, टूथपेस्ट, दवाइयों और कई व्यंजनों में स्वाद लाने के लिए किया जाता है। एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है, जिसे मिंट भी कहते हैं। इसका प्रयोग तेल, टूथपेस्ट, दवाइयों, माउथ वॉश और कई व्यंजनों में स्वाद लाने के लिए किया जाता है। पुदीना ज्यादातर अंगोला, थाइलैंड, चीन, अर्जेंनटीना, ब्राज़ील, जापान, भारत और
पारागुए आदि देशों में पाया जाता है। भारत में उत्तर प्रदेश और पंजाब प्रमुख पुदीना उत्पादक राज्य हैं।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में पुदीना की खेती (Pudina ki kheti) को करीब से जानें।
पुदीना की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
पुदीने को मिट्टी की कई किस्मों जैसे- गहरी उपजाऊ मिट्टी, जिसमें पानी को सोखने की क्षमता ज्यादा हो, में उगाया जाता है। इसको जल-जमाव वाली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है।
उच्च नमी वाली मिट्टी में पुदीने की खेती (Pudina ki kheti) अच्छी होती है। इस फसल के लिए मिट्टी का pH 6 से 7.5 के बीच होना आवश्यक है। हाइब्रिड 77, शिवालिक, EC-41911, गोमती, हिमालया, कोशी और कौशल पुदीने की कुछ प्रसिद्ध किस्में हैं। इनसे आपको बढ़िया पैदावार प्राप्त हो सकती है।
फसल की बुआई से पहले ध्यान रखने वाली बातें
- पुदीने की बुआई के लिए सुविधाजनक आकार के बैड तैयार करें।
- खेत की तैयारी के समय खेत की अच्छी तरह जुताई करें।
- इसके बाद जैविक खाद जैसे रूड़ी की खाद 100 से 120 क्विंटल प्रति की दर से डालें।
- रूड़ी की खाद के बाद खेत में हरी खाद भी डालें। जहाँ तक पुदीने की बिजाई का सवाल है तो इसके लिए दिसंबर से लेकर जनवरी तक का समय अनुकूल होता है।
- सही समय पर आप पौधों के जड़ वाले भाग को मुख्य खेत में ज़रूर बो दें। अच्छी पैदावार के लिए 160 किलोग्राम भागों का प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
पुदीने की जड़ें पिछले पौधों से दिसंबर और जनवरी के महीने में प्राप्त की जाती हैं। बिजाई से पहले पौधे की बारीक जड़ 10-14 से.मी. के आकार में काटें। पुदीने की जड़ को आकार और जड़ के हिसाब से बोएँ। पौधे की बारीक जड़ की रोपाई 40 से.मी. के फासले पर की जाती है। कतार से कतार का फासला 60 से.मी बरकरार रखना भी आवश्यक है।
सिंचाई गर्मियों में मॉनसून से पहले जलवायु और मिट्टी के आधार पर पुदीने की 6-9 सिंचाइयां जरूर करनी चाहिए। मॉनसून के बाद पुदीने की फसल को 3 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई सितंबर महीने में, दूसरी अक्तूबर में और तीसरी नवंबर महीने में की जानी चाहिए।
सर्दियों में इस फसल को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यदि सर्दियों में बारिश ना हो तो फसल को एक सिंचाई जरूर देनी चाहिए।
किसान भाइयों आपको बता दें, पुदीने के पौधे 100-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जब निचले पत्ते पीले रंग के होने शुरू हो जाएँ, तब फसल की पहली कटाई करें। इसके बाद अगली कटाई 80 दिनों के बाद करें।
पुदीना की खेती में लागत और कमाई
पुदीने की खेती में अन्य औषधीय पौधों की तुलना में लागत बहुत कम आती है। इसके जड़ें ही खेत में लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पुदीने की फसल ढाई महीने में तैयार हो जाती है। इस फसल से आप प्रति हेक्टेयर 1-2 लाख रुपए की आमदनी हो सकती है।