आज का मौसमविविध

Lightning Strikes: आकाशीय बिजली कैसे गिरता है? यहां जानें

आकाशीय बिजली को ठनका और वज्रपात (Lightning) भी कहते हैं। इससे धन और जन दोनों की काफी क्षति होती है। आइए जानें, आकाशीय बिजली कैसे गिरता है?

How To Protect Yourself From Lightning Strikes: बरसात के दिनों में आकाशीय बिजली से लोगों की मौत की खबरें अक्सर आती रहती हैं। इससे काफी नुकसान भी होता है। इस आकाशीय बिजली को ग्रामीण इलाकों में ठनका और वज्रपात (Lightning) भी कहते हैं।

आखिर ये आकाशीय बिजली(ठनका) क्या होते हैं और ये क्यों गिरते हैं। इससे बचाव के उपाय (How To Protect Yourself From Lightning Strikes) हम लोग द रूरल इंडिया के इस लेख में जानेंगे। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्रकृति अपने आप में खूबसूरत है। मानवजाति का अस्तित्व ही प्रकृति से है। कृषि कार्यों के लिए किसान पूरी तरह से प्रकृति पर ही निर्भर है। वर्तमान समय में भी अन्न के उत्पादन में प्रकृति का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन उसका ये योगदान आम जन-जीवन के लिए कभी-कभी अभिशाप बन जाता है। इसी कड़ी में आकाशीय बिजली (ठनका) भी एक प्राकृतिक आपदा है। 

तो चलिए सबसे पहले जानते हैं ठनका यानि आकाशीय बिजली (Lightning) क्या होता है?

ठनका (आकाशीय बिजली-Lightning)

ठनका एक प्राकृतिक आपदा है। गर्मी के मौसम में समुद्र, नदियां और तालाब के पानी वाष्प बनकर ऊपर उठ जाते हैं। प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर जाते ही इनके तापमान में 10°C  का भारी गिरावट होता है। वहीं वाष्पित पानी ऊपर जाने पर बर्फ के टुकड़ों में तब्दील हो जाते हैं जिसके कारण कभी-कभी बर्फ के टुकड़े भी गिरते है। बर्फ हवा के कारण आपस में टकराने लगते हैं जिसके कारण एक घर्षण उत्पन्न होता है। उस घर्षण से एस्थेटिक करंट बनता है। उस करंट का पॉज़िटिव चार्ज आसमान में चला जाता है। परन्तु उसका नेगेटिव चार्ज नीचे आ जाता है। ये निगेटिव चार्ज अपने लिए पॉज़िटिव चार्ज की तलाश करता है।

अधिक बारिश के कारण जोरों की हवाएं चलती हैं। जब हवाएं चलती हैं तब ज़मीन पर लगे घास आपस में टकराते हैं। घासों के टकराने पर एक घर्षण पैदा होता है उस घर्षण से चार्ज बनता है। जिसका नेगेटिव चार्ज नीचे चला जाता है लेकिन पॉज़िटिव ऊपर ही रह जाता है। इसी पॉज़िटिव चार्ज की ओर आसमान का नेगेटिव चार्ज आकर्षित होकर चला आता है जिसे आकाशीय बिजली, वज्रपात या ठनका गिरना कहते हैं।

वज्रपात के खतरनाक होने की वजह 

आकाशीय बिजली कितना खतरनाक होता है इसका अंदाजा आप इन निम्नलिखित बातों से लगा सकते हैं।

  • आसमानी बिजली का वोल्टेज 10 करोड़ होता है ।
  • इसमें 10,000का Amp होता है .जबकि घर में फ्रिंज, टीवी,कूलर और एसी का इस्तेमाल मात्र 5 Amp  से होता है।
  • इसका तापमान 27,000° C से 30,000° C होता है जो सूर्य के तापमान से भी अधिक है।
  • हालांकि इसकी समयावधि बहुत कम होती है 0.0005, यही कारण है कि ये ज़्यादा खतरा उत्पन्न नहीं कर सकता है।

क्यों आती है आवाज़?

गिरने वाली बिजली का तापमान 27,000°C होता है। इसकी तुलना में हवा में मौजूद बारिश की बूंदे बहुत ठंडी होती है। जब ये बिजली ज़मीन की ओर गिरती है उस दरम्यान बिजली की गर्मी के कारण हवा में मौजूद बारिश की बूंदे वाष्प में परिवर्तित हो जाती है। बिजली की रफ्तार उसे चिड़ती हुए ज़मीन पर आती है जिसके कारण वो वाष्प इधर उधर हटने लगते हैं। इन वाष्प का दूर हटने से ही आवाज़ निकलती है।

बिजली गिरते वक्त आवाज पहले क्यों आती है?

बिजली गिरते वक्त आवाज बाद में सुनाई देती है मगर दिखाई पहले देती है। इसके पीछे का कारण है- बिजली की रफ्तार, बिजली की रफ्तार ज़्यादा होती है आवाज़ की तुलना में। इस कारण जब बिजली गिरती है तब दिखाई पहले देती है मगर सुनाई बाद में देती है।

कहां-कहां गिर सकती है बिजली?

1. पेड़ पौधों के पास खास करके जिन पौधों से तरल पदार्थ निकली है

2. मोबाइल के पास

3. मोबाइल टॉवर के पास

4. लोहे के खिड़की के पास

5. तालाब,समुन्द्र, नहर या नदी में

6. छतरी पर

7. समूह में खड़े लोगों पर

8. ऊंची इमारतों पर

वज्रपात से बचने के लिए क्या करें (How To Protect Yourself From Lightning Strikes) 

रास्ते में आप कहीं जा रहे हैं और अचानक जोरो की बारिश होने लगे ऐसी परिस्थिति में अगर आपके आस-पास कोई पेड़ पौधा है तो भूलकर भी वहां न जाएं। अक्सर हम खुद को बचाने के लिए पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।

चलिए इसके पीछे की वजह जानते हैं।

  • पेड़ पौधे जमीन से जुड़े होते हैं खास करके जिन पौधों में तरल पदार्थ होते हैं जैसे बरगद का पेड़। ये पौधे ज़्यादा ज़मीन के अंदर होते हैं यही कारण होता है कि बिजली ज़मीन पर गिरने के बजाय पेड़ पर गिर जाता है जिसकी चपेट में उसके छांव में खड़ा व्यक्ति भी आ जाता है।
  • बिजली कड़कने पर मोबाइल का इस्तेमाल न करें। क्यूंकि मोबाइल टॉवर से जुड़ा होता है जिसका पीछा करती हुए आसमानी बिजली उस पर गिरती है।
  • खाली मैदान में भी बिजली काफी तेजी से गिरती है। इसलिए जब आप खाली मैदान में हो और बिजली कड़के तो भागने के बजाय सिर नीचे करके बैठ जाएं।
  • खिड़कियों से न झांके खासकर जब उस खिड़की में लोहा हो।
  • ऊंची इमारत वाले क्षेत्र में आश्रय न लें।
  • अगर आप समूह में जा रहें तब अलग अलग बैठ जाएं ,एकत्रित होकर न रहें ।
  • बारिश के मौसम में खुले छत वाले वाहन का प्रयोग न करें।
  • उस वक़्त धातू से बने वस्तु का प्रयोग न करें जैसे छतरी। छतरी में लोहा होता। जब हम उसे लेकर चले रहे होते हैं तब हम ज़मीन से जुड़े होते है और छतरी का लोहा हमारे हाथ में होता है। लोहा और जमीन आपस में ग्राउंड हो जाते हैं। जिसके कारण बिजली गिर जाती है।
  • तालाब, समुन्द्र या ऐसी जगह पर जाने से बचे जहां पानी हो।
  • आखिरी बार बिजली कड़कने के 30 सेकंड बाद ही घर से निकलें।

ठनका (वज्रपात) गिरने के लक्षण

1. अधिक बारिश

2. बिजली का कड़कना

3. रोंगटे खड़े हो जाना

4. शरीर में झनझनाहट महसूस होना

अगर ऐसे लक्षण आपको महसूस होते है तो समझ जाइए बिजली गिरने वाली है।

बिजली गिर जाने पर क्या करें उपाएं?

भारतीय मौसम विज्ञान के अनुसार

  • सर्वप्रथम जान लें कि आकाशीय बिजली जिस व्यक्ति पर गिरी है, उसे छूना सुरक्षित है या नहीं।
  • बिजली गिरने की वजह से व्यक्ति की हार्ट अटैक आने से मौत होती है। इसलिए सबसे पहले जांच करें कि पीड़ित की धड़कन और सांस चल रही है या नहीं।
  • अगर व्यक्ति की सांसे नहीं चल रही हैं तो अपने मुंह से सांस दें (सीपीआर) दें।
  • धड़कन रुक जाने पर सीपीआर देने के साथ छाती जोर-जोर से दबाएं।
  • बिजली गिरने पर व्यक्ति की हड्डियां टूट जाती हैं या फिर उसे दिखना या सुनना बंद हो सकता है इसलिए जांच करवा लें।
  • एक ही जगह पर बिजली गिरने की आशंका ज़्यादा रहती है। इसलिए मरीज को उस जगह से तुरंत हटा लें।
  • जितनी जल्दी हो सके, मरीज को चिकित्सीय मदद उपलब्ध कराएं।

आकाशीय बिजली से मृत्यु पर सरकारी मुआवजा

किसी भी व्यक्ति की मौत अगर बिजली गिरने की वजह से होती है तो उसे सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता के अलावा स्थानीय सरकारों और प्रशासन की तरफ से भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

जैसे- उत्तर प्रदेश में बिजली से जान गवाने वाले के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। वहीं राजस्थान में 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राज्य सरकार की ओर से दी जाती है। अन्य राज्य सरकारें भी वज्रपात से मृत्यु होने पर आर्थिक मदद करती है। 

संक्षेप में कहें तो जागरूकता न होने की वजह से कई लोग ठनका (वज्रपात – Lightning Strikes) से अपनी जान गवां बैठते हैं खास करके अन्नदाता किसान जो देर रात तक खेतों में काम करते हैं। सही जानकारी और सावधानी से हमें इस आपदा से बचा सकती है।

Related Articles

Back to top button