अच्छी कमाई के लिए करें सौंफ की खेती

यहां जानें तरीका

सौंफ(Fennel) एक बहुत ही स्वादिष्ट और खुशबूदार मसाला है। इसे पकवान, अचार और माउथ फ्रेशनेस के तौर उपयोग में लाया जाता है।

भारत में सौंफ की खेती मुख्यतः राजस्थान, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश में होती है। लेकिन इसकी खेती आप 20-30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाले क्षेत्र में बड़े आराम से कर सकते हैं।

सौंफ की खेती के लिए जलवायु

सौंफ समशीतोष्ण जलवायु की फसल है। सौंफ की खेती को रबी और खरीफ दोनों मौसम में किया जा सकता है।

मिट्टी

सौंफ की खेती रेतीली-दोमट, चूनायुक्त दोमट और काली मिट्टी में की जाती है। भारी और चिकनी मिट्टी की अपेक्षा दोमट मिट्टी सौंफ की खेती के बेहतर होती है।

खेती का तरीका

बुआई के पहले 2-3 बार गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। खेत में पर्याप्त नमी होने पर सौंफ की बुआई छिड़काव विधि हो या कतार-बद्ध तरीके से करें।

सौंफ की उन्नत किस्में

S7-2, PF-35, गुजरात सौंफ-1, CO-1, RF 125, RF 143 और RF 101

खाद और उर्वरक प्रबंधन

सौंफ की फसल की अच्छी बढ़वार के लिए मिट्टी में पर्याप्त जैविक पदार्थ का होना आवश्यक है। इसके लिए प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में डालना चाहिए।

बीज की मात्रा और बीजोपचार

सौंफ की खेती के लिए छिटकवा विधि में प्रति हेक्टेयर 8 से 10 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है, जबकि रोपण विधि में 3 से 4 किलो बीज पर्याप्त होता है। बुआई से पहले कारबेंडेजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करना ज़रूर करना चाहिए।

सिंचाई

सौंफ की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। बुआई के समय खेत में नमी कम हो तो 3-4 दिन बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें। ध्यान रखें कि फूल आने के बाद फसल को पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।

निराई-गुड़ाई

सौंफ के पौधे जब 8-10 सेंटीमीटर के हो जाए तब गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें। गुड़ाई के वक़्त जहां पौधे ज्यादा हों, वहां से कमज़ोर पौधों को निकालकर अन्य स्थान पर लगा दें।

कटाई

सौंफ के गुच्छों के पकने पर इसकी कटाई सुबह के समय करनी चाहिए क्योंकि इस समय बीज कम झड़ते हैं।

ऐसे ही खेती-किसानी और ग्रामीण विकास की जानकारी के लिए आज ही द रूरल इंडिया वेबसाइट विजिट करें।