कभी कड़कनाथ का अस्तित्व था खतरे में, आज दुनियाभर में झाबुआ की पहचान, जानिए कैसे?

कड़कनाथ (Kadaknath) मुर्गी की प्रजाति मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की एक खास पहचान बन गई है।

यहां के कट्ठीवाड़ा और आलीरापुर के घने जंगलों से निकलकर मुर्गी की इस खास ब्रीड ने देश-विदेश में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है।

आदिवासियों के बीच कालामासी के नाम से विख्यात कड़कनाथ (Kadaknath) का मांस खाने में बेहद स्वादिष्ट, पौष्टिक और आसानी से पचने वाला होता है।

मुर्गे के इस ख़ास ब्रीड की कलंगी, चोंच, चमड़ी, टांगे, नाखुन के साथ-साथ मांस भी एकदम काला होता है।

कड़कनाथ के मांस में मेलानिन पिगमेंट (Melanin Pigment) की अधिकता होती है, इस कारण यह डायबिटीज और हार्ट पेशेंट के उत्तम आहार माना जाता है।

आपको बता दें, संख्या में बेहद कम एवं आनुवांशिक विकृतियों के कारण एक समय कड़कनाथ का अस्तित्व खतरे में आ गया था।

लेकिन झाबुआ के कृषि विज्ञान केंद्र के पिछले 10 सालों के प्रयासों के बाद आज देशभर में इसका पालन किया जा रहा है।

वहीं, यह लघु और सीमान्त किसानों की आजीविका का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।

सी-फूड की तरह पौष्टिक होता है कड़कनाथ

कड़कनाथ में अन्य नस्लों के मुर्गों की तुलना में अधिक मात्रा में प्रोटीन तत्व पाए जाते हैं। कड़कनाथ में सी फूड की तरह ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। जो हेल्थ के काफी फायदेमंद होता है।

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