जानिए 'काला सोना' कहे जाने वाले मुर्रा भैंस की पहचान और विशेषताएं

मुर्रा नस्ल की भैंस 'काला सोना' के नाम से जाना जाता है।

यह नस्ल की मादा भैंस अधिक दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

मुर्रा नस्ल एक ब्यात में 2000 से 2500 लीटर तक दूध देती है।

वहीं नर भैंस भारी सामान को ढोने के काम आते हैं।

इस नस्ल की भैंसों का मूल स्थान हरियाणा का रोहतक, जींद एवं हिसार है।

इसके अलावा यह नस्ल पंजाब, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी पाई जाती हैं।

मुर्रा भैंस की नस्ल की पहचान मुर्रा भैंस की नस्ल का शरीर गहरे काले रंग का होता है। इस नस्ल की कुछ भैंस के चेहरे एवं टांगों पर सफेद रंग के धब्बे भी देखे जा सकते हैं।

मुर्रा भैंस की नस्ल की पहचान मुर्रा भैंस की नस्ल कूबड़ रहित होती हैं लेकिन कूबड़ वाला भाग हल्का उभरा हुआ रहता है। मुर्रा भैंस का सिर लम्बा, पूंछ घुटने तक लम्बे एवं पैर छोटे और मजबूत होते हैं।

मुर्रा भैंस की नस्ल की पहचान इस नस्ल की भैंस का औसत वजन 450 किलोग्राम एवं ऊंचाई करीब 132 सेंटीमीटर होती है। वहीं नर भैंस का औसत वजन 550 किलोग्राम एवं ऊंचाई करीब 142 सेंटीमीटर होती है।

मुर्रा भैंस की विशेषताएं इस नस्ल की भैंसों की गर्भ अवधि 310 दिनों की होती है। मुर्रा भैंस प्रति दिन 10 से 12 किलोग्राम दूध उत्पादन करती है। विशेष देख-रेख में यह प्रतिदिन 20 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन कर सकती है।

मुर्रा भैंस की विशेषताएं मुर्रा भैंस के दूध में करीब 7 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है। 45 से 50 महीने की आयु होने पर इस नस्ल की भैंस पहले बछड़े/बछिया को जन्म देने में सक्षम हो जाती है।

पशुपालन और ग्रामीण विकास संबंधित ब्लॉग पढ़ने के लिए द रूरल इंडिया बेवसाइट आज ही विजिट करें।