Turkey farming: टर्की पालन कैसे करें? यहां जानें
टर्की पालन का व्यवसाय एक मुनाफे का व्यवसाय बनकर उभरा है। देश के किसान पशुपालन मुर्गी पालन के बाद अब टर्की पालन का व्यवसाय भी करने लगे हैं।
Turkey bird farming in hindi: इनदिनों टर्की पालन का व्यवसाय एक मुनाफे का व्यवसाय बनकर उभरा है। देश के किसान पशुपालन मुर्गी पालन के बाद अब टर्की पालन का व्यवसाय भी करने लगे हैं।
टर्की (Turkey) का मांस बहुत ही स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। टर्की का मांस में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह मधुमेह रोगी के लिए बहुत उपयोगी है। इसके मांस में अमीनो अम्ल, नियासिन, विटामिन-बी जैसे विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे मुख्य रूप से मांस और अंडा के लिए पाला जाता है।
टर्की के अवशिष्ट (मल) से खाद भी तैयार की जाती है, जो खेती के लिए उपजाऊ होती है। टर्की पक्षी को आप आसानी से घर या खेत पर कम जगह में पाल सकते हैं। इनका कुछ खास ख्याल भी नहीं रखना पड़ता है। टर्की पालन (Turkey farming) की शुरुआत छोटे से स्तर से भी की जा सकती है।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में टर्की पालन व्यवसाय (turkey farming business) को करीब से जानते हैं।
टर्की पक्षी के प्रमुख प्रजातियां
भारतीय जलवायु के अनुसार बारगोन रेड, ब्रोज, नैरेगनसेट, हवाइट हाजौड़,स्माल हवाइट, बेल्टसबिले, ब्लैक एंड स्बेट आदि किस्में उपयुक्त हैं, इन प्रजातियों का पालन कर सकते हैं। इन्हें खुली जगह जैसे घर, खेत आदि पर आसानी से पाल सकते हैं।
टर्की पालन के लिए जगह का चुनाव
टर्की को मुर्गी या बटेर पालन की ही तरह कम जगह या घर के पास बने शेड में पाल सकते हैं। 250-300 वयस्क टर्की पालन (Turkey farming) के लिए 100 वर्ग फीट की जरूरत होती है।
टर्की पालन में ध्यान रखने योग्य बातें
- रात के आराम के लिए 3-4 वर्ग फीट प्रति पक्षी आश्रय दें।
- बाड़े में छायादार वृक्ष लगाकर पक्षी को ठंडा वातावरण दें।
- छोटे स्तर पर टर्की पालन के लिए 15 वर्ग फीट प्रति पक्षी जमीन रखें।
- इन्हें घर/खेत में खुले स्थान पर छोटे कीड़े, दीमक, घोंघे, केंचुए, घास, रसोई अवशिष्ट और दाने आदि खिला सकते हैं।
- चूजों को 4 सप्ताह के बाद आहार में दूब शामिल किया जा सकता है, जो चेचक होने के साथ रोग प्रतिरक्षा उत्पन्न करने में सहायक है।
टर्की पालन में कमाई और लागत
टर्की का शरीर तेजी से विकसित होता है। मात्र 7 से 8 माह में इसका वजन 10 से 12 किलो तक हो जाता है जो अन्य पक्षियों से काफी अधिक है। इसके अंडे का वजन भी मुर्गी के अंडे से अधिक होता है। टर्की से प्रतिवर्ष 110 से 130 अंडे प्राप्त किए जा सकते है।
मादा एक साल में करीब 50 से लेकर 60 चूजे तक देती है। ये 24 सप्ताह बाद अंडा देने के लायक हो जाते हैं। 14-15 सप्ताह में बेचने योग्य हो जाते हैं। इन दिनों मार्केट में टर्की की मांग बहुत अधिक है। जिसके कारण टर्की पालन से अच्छी कमाई हो जाती है। लागत की बात करें तो 100 टर्की पालन में करीब 5 से 6 हजार रुपए का खर्चा आता है।
ये तो थी, टर्की पालन (Turkey farming) की जानकारी। ऐसे ही कृषि, पशुपालन और ग्रामीण विकास की जानकारी के लिए द रूरल इंडिया वेबसाइट विजिट करें।