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तुलसी की खेती कैसे करें? यहां जानें | tulsi ki kheti

देश के कई हिस्सों में तुलसी की खेती (Tulsi ki kheti) होती है। इससे किसानों को अन्य फसलों की तुलना में कई गुना मुनाफा होता है। 

तुलसी की खेती कैसे करेंtulsi ki kheti: यूं तो हमारे देश भारत में तमाम तरह के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। लेकिन इन सब में सबसे गुणकारी और असरकारी तुलसी (basil) का पौधा है।

तुलसी (Tulsi) का जहां धार्मिक महत्व भी है। वहीं तुलसी स्वास्थ्य (health) के लिए भी बहुत लाभकारी है। तुलसी का प्रयोग एलोपैथ, आयुर्वेद और यहां तक यूनानी दवाएं बनाने में भी किया जाता है। 

यही कारण है कि देश के कई हिस्सों में तुलसी की खेती (Tulsi ki kheti) होती है। इससे किसानों को अन्य फसलों की तुलना में कई गुना मुनाफा होता है। 
 
ऐसा माना जाता है कि हमारे ऋषियों को कई साल पहले ही तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था। यही कारण है कि तुलसी कोआज हमारे जीवन में इतना महत्व दिया गया है। आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। 
पौराणिक ग्रंथों में तुलसी को पवित्र और देवी का दर्जा दिया गया है। यही नहीं शास्त्रों और आयुर्वेद में भी तुलसी को गुणकारी माना गया है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे से कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं। तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। 
 
तो आइए ‘द रुरल इंडिया’ के इस लेख में तुलसी की खेती(Tulsi ki kheti) को विस्तार से समझें।

तुलसी के लिए जरूरी जलवायु

अगर औषधीय उपयोग से देखा जाए तो तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं। तुलसी एक ऐसा पौधा है जो हर जलवायु में अनुकूल रहता है। तुलसी के पौधे के सही विकास के लिए गरम जलवायु उपयोगी होती है। भीषण गर्मी का मौसम हो या फिर सर्दी का तुलसी के पौधे को हर मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है। 
 
तुलसी की खेती के लिए कम उपजाऊ जमीन जिसमें पानी की निकासी का उचित प्रबंध हो इसके साथ ही उष्ण कटिबंध और कटिबंधीय दोनों तरह की जलवायु उपयुक्त होती है।

खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

तुलसी के पौधे के लिए बलुई दोमट जमीन व रेतीली मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भुरभुरी उर्वरक मिट्टी में तुलसी लगाने पर कुछ ही दिनों में ही काफी घनी और बड़ी हो जाती है। याद रहे अगर आप तुलसी को लगाते है तो उस समय मिट्टी में कंपोस्ट खाद जरूर मिलाए। इससे तुलसी की वृद्धि तेजी से होती है।

खेती का सही समय

मानसून की शुरूआत में तुलसी की खेती फायदेमंद साबित होती है। बारिश का समय सबसे उपयुक्त समय तुलसी की खेते के लिए माना जाता है। तुलसी के नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते हैं।

खेती की तैयारी कैसे करें

  • सबसे पहले कम से कम दो बार खेत की जुताई करें। 
  • गोबर की खाद डाल कर दुबारा जुताई करें।
  • इससे खाद अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाएगी और खेत को खेती के लिए अनुकूल बनाया जा सकेगा।

तुलसी उन्नत किस्में

पारंपरिक वैद्य तुलसी को ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ कहते हैं। इसकी कई प्रजातियां पाई जाती है।
 
जैसे-ऑसीमम सैक्टम, ऑसीमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) मुन्जरिकी या मुरसा, ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम, आसीमम ग्रेटिसिकम (राम तुलसी / वन तुलसी/अरण्यतुलसी), ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी), ऑसीमम अमेरिकम (काली तुलसी) गम्भीरा या मामरी, ऑसीमम विरिडी है।
इनमें ऑसीमम सैक्टम को प्रधान या पवित्र तुलसी माना गया जाता है। यह एक देसी प्रजाति होती है। व्यावसायिक खेती के लिए तुलसी की इसी किस्म का चयन किया जाता है। 
 
इसकी भी दो प्रधान प्रजातियां हैं- श्री तुलसी, जिसकी पत्तियां हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी (या श्यामा तुलसी) जिसकी पत्तियां नीलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं। 
 
श्री तुलसी के पत्र तथा शाखाएं श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं। गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान है।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

  • गर्मियों में खेत में तुलसी के पौधों को 3-4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है जबकि शेष ऋतुओं की अवधि के दौरान जरूरत के मुताबिक सिंचाई की जा सकती है। 
  • तुलसी के पौधों के रोपण के बाद ही मानसून के अंत में सिंचाई प्रबंधन भी किया जा सकता है। दूसरी सिंचाई से पौधे अच्छी तरह से मिट्टी में जम जाते हैं। 
  • तुलसी के पौधों को कम उर्वरक की आवश्यकता होती है, इसीलिए ज्यादा मात्र में उर्वरक डालने से पौधे को नुकसान हो सकता है। तुलसी के पौधों में कभी भी बहुत गरम और बहुत सर्द मौसम में उर्वरक नहीं डालना चाहिए वरना खराब भी हो सकता है। इसके लिए गोबर की खाद सबसे फायदेमंद होती है।

तुलसी की खेती में लागत और कमाई

तुलसी की खेती(Tulsi ki kheti) करके भारी मुनाफ़ा कमा सकते हैं। बेहद कम लागत में तुलसी की खेती शुरू करके बिजनेस से लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है। तुलसी की कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स के साथ ही दवाई बनाने वाली सभी कंपनियों को जरूरत होती है। 
 
यही वजह है कि इसकी मांग भी तेजी से बढ़ी है। जानकारों के अनुसार तुलसी की खेती के लिए महज शुरुआती 15,000 रुपये खर्च करने की जरूरत है। बुआई के 3 महीने बाद ही तुलसी की फसल औसतन 3 लाख रुपये में बिक जाती है। 
 

ये तो थी, तुलसी की खेती (Tulsi ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर सकते हैं।

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