तिल की खेती कैसे करें? यहां जानें | til ki kheti
तिल (sesame seed) एक बहु उपयोगी तिलहन फसल है। तिल की खली का उपयोग पशुओं के लिए एक बेहतर आहार के तौर पर किया जाता है।
til ki kheti: तिल (sesame seed) एक बहु उपयोगी तिलहन फसल है। इसमें करीब 20 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है। मुख्य रूप से इसका उपयोग तेल निकलने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका प्रयोग कई तरह के व्यंजनों को बनाने में भी किया जाता है। तिल की खली का उपयोग पशुओं के लिए एक बेहतर आहार के तौर पर किया जाता है।
तिल की खेती (til ki kheti) गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में खूब होती है। खरीफ मौसम में इसकी खेती के लिए जून-जुलाई का महीना सर्वोत्तम है। अगर आप भी करना चाहते हैं तिल की खेती की तैयारी और बुआई की विधि की जानकारी होना आपके लिए बहुत जरूरी है।
तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में तिल की खेती (til ki kheti) की संपूर्ण जानकारी जानें।
तिल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सर्वोत्तम है। तिल की खेती (til ki kheti) 25 से 27 सेंटीग्रेड तापमान में की जाती है। इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सहन कर सकते हैं। तिल की खेती उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि में की जाती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 8 से अधिक नहीं होना चाहिए।
बीज की मात्रा एवं बीज उपचारित करने की विधि
- प्रति एकड़ खेत में 1.2 से 1.6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
- प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।
- इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडरमा से उपचारित करें।
बुआई का सही समय
खरीफ मौसम में खेती के लिए जून-जुलाई में इसकी बुआई करनी चाहिए। यदि आप गर्मी के मौसम में तिल की खेती (til ki kheti) करना चाहते हैं जनवरी-फरवरी में बुआई कर सकते हैं।
खेत की तैयारी एवं बुआई
अच्छे अंकुरण के लिए खेत की 1 गहरी जुताई और 2-3 हल्की जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरा बना लें। जुताई के बाद खेत में करीब 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर क्यारियां बना लें। बीज की बुआई 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी और लगभग 3 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ जमीन में 200 किलोग्राम गोबर की खाद मिलाएं। अच्छी फसल के लिए प्रति एकड़ खेत में 12 किलोग्राम नत्रजन, 16 किलोग्राम फॉस्फोरस और 8 किलोग्राम पोटाश मिलाएं। अच्छी पैदावार के लिए बुआई के 30-35 दिनों बाद प्रति एकड़ भूमि में 12 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें।
सिंचाई प्रबंधन
खरीफ के मौसम में इसकी खेती करने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। रबी और गर्मी के मौसम में खेती करने पर फूल और फल लगते समय सिंचाई करें। वर्षा नहीं होने पर 1 से 2 बार सिंचाई करनी चाहिए। उचित जल निकासी का प्रबंध करें। अधिक वर्षा होने पर खेत में जल जमाव न होने दें।
खरपतवार नियंत्रण
बुआई के 15-20 दिनों बाद निराई – गुड़ाई कर के खरपतवार को निकालें। बुआई से पहले प्रति एकड़ खेत में 400 लीटर पानी में 400 ग्राम बेसालिन मिला कर खेत में डालें। इससे खरपतवार पर नियंत्रण होता है।
तिल की प्रमुख किस्में
तिल को रंगों के अनुसार मुख्यतः 3 किस्मों में बांटा गया है। जिनमें काला तिल, सफेद तिल एवं लाल तिल शामिल है।
तिल की कुछ उन्नत किस्में
आर. टी. 346
यह किस्म राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं बिहार में खेती के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। यह किस्म सूखा के प्रति सहनशील है। बीज की बुआई के बाद फसल को पक कर तैयार होने में करीब 80 दिनों का समय लगता है। इस किस्म के दानो में 50 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2.8 से 3.6 क्विंटल तक पैदावार होती है।
टी.सी. 25
यह जल्दी पक कर तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। इस किस्म के पौधों की लम्बाई करीब 90 सेंटीमीटर होती है। पौधों में 4 से 6 शाखाएं होती हैं। बीज में करीब 48 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। बुआई के 90 से 100 दिनों बाद फसल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 1.6 से 2 क्विंटल तक पैदावार होती है।
आर.टी. 46
इस किस्म के पौधों की लम्बाई 100 से 125 सेंटीमीटर होती है। पौधों में 4 से 6 शाखाएं होती हैं। इस किस्म के दानो में 49 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। बुआई के बाद फसल को पकने में 70 से 80 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2.4 से 3.2 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।
टी. 13
इस किस्म के पौधों की लम्बाई 100 से 125 सेंटीमीटर होती है। बुआई के करीब 1 महीने बाद पौधों में फूल आने शुरू हो जाते हैं। बुआई के 90 दिनों बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस किस्म के दानो में 48 से 49 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2 से 2.8 क्विंटल तक पैदावार होती है।
इन किस्मों के अलावा हमारे देश में तिल की कई अन्य किस्मों की खेती भी प्रमुखता से की जाती है। जिनमें आर. टी. 125, टी 78, आर. टी. 127, गुजरात तिल 4, पंजाब तिल 1, सूर्या, हरियाणा तिल 1, बी 67, सी ओ 1, टी एम वी- 4, वी आर आई 1, तरुण, आदि किस्में शामिल हैं।
ये तो थी, तिल की खेती की संपूर्ण जानकारी (Sesame farming in hindi)। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।