स्ट्रॉबेरी की खेती की संपूर्ण जानकारी | strawberry ki kheti
भारत में पहले स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry ki kheti) ठंडे प्रदेश में होती थी। अब इसकी खेती उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार में भी होती है।
strawberry ki kheti: स्वाद और फ्लेवर के लिए स्ट्रॉबेरी (strawberry) का नाम ही काफी है। इसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। चटक लाल रंग की दिखने वाली स्ट्रॉबेरी (strawberry) जितनी स्वादिष्ट होती है, उतनी ही सेहतमंद भी है। इसका उपयोग जैम, चॉकलेट, आइसक्रीम, मिल्क-शेक आदि बनाने में खूब किया जाता है। इसमें काफी मात्रा में विटामिन C, विटामिन A और K पाया जाता है। इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण होता है जो रूप निखारने और चेहरे में कील मुंहासे हटाने, आंखों की रोशनी और दांतों की चमक बढ़ाने का काम करता है।
बाजार में भी स्ट्रॉबेरी की डिमांड काफी ज्यादा है। इसके दाम भी बाजार में अच्छा मिलता है। किसानों के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry ki kheti) फायदे का सौदा है। इसकी खेती से किसान प्रति एकड़ 10-15 लाख रुपए तक आसानी से कमा सकते हैं।
तो आइए, इस ब्लॉग में स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry ki kheti in hindi) को विस्तार से जानें।
सबसे पहले स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जरूरी जलवायु को जान लेते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जलवायु
स्ट्रॉबेरी ठंडी जलवायु का पौधा है। इसकी अधिकांश खेती अभी तक ठंडे प्रदेशों में होती रही है। परन्तु अब इसकी खेती मैदानी इलाकों और पालीहाउस में भी होने लगी है। इसकी खेती के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है।
भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry cultivation in India)
भारत में पहले स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry ki kheti) ठंडे प्रदेश में होती थी। लेकिन अब इसकी खेती उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार में भी होती है। देशभर के किसानों का रुझान अब स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर बढ़ रहा है।
भारत में इसका उत्पादन पर्वतीय भागों में नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाबलेश्वर, महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जलिंग आदि की पहाड़ियों में व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाण, सिक्किम, मेघालय आदि स्ट्रॉबेरी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
स्ट्राबेरी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी में की जाती है। इसके लिए अच्छी जलनिकासी वाली खेत उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। स्ट्रॉबेरी की खेत जब भी करें मिट्टी की जांच अवश्य करा लें। इससे आपको खाद और उर्वरक की सही मात्रा का प्रयोग करने में आसानी होगी। मिट्टी की जांच आप अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र या किसी मान्यता प्राप्त मिट्टी जांच केंद्र से ज़रूर करा लें।
ऐसे करें स्ट्राबेरी खेत की तैयारी
यदि आप पॉलीहाउस में स्ट्राबेरी की खेती करना चाहते हैं, तो गर्मी के दिनों में ही खेत की 2-3 बार जुताई कर पॉलीहाउस लगाएं। इसकी खेती आप ग्रीनहाउस में भी कर सकते हैं। पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस में इसकी खेती सालभर की जा सकती है। हाइड्रोपोनिक तकनीक से भी आप स्ट्रॉबेरी की खेती कर सकते हैं।
यदि आप खुले में इसकी खेती कर रहे हैं तो बरसात खत्म होते और ठंडी की शुरूआत में इसके पौधे लगा दें। इसके लिए आप टिशु कल्चर से नर्सरी तैयार कर सकते हैं।
खेती की जुताई कर मिट्टी में कंपोस्ट की खाद अच्छे मिला लें। पोटाश और फास्फोरस भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेत तैयार करते समय मिला लें।
खेत में आवश्यक खाद और उर्वरक देने के बाद 1.5 फीट की ऊंचाई वाली बेड बना लें। बेड की चौड़ाई 2 फिट रखें और बेड से बेड की दूरी डेढ़ फिट रखें। बेड तैयार होने के बाद उस पर ड्रिप इरिगेशन(टपक सिंचाई) की पाइपलाइन बिछा लें।
इसके बाद बेड प्लास्टिक मल्चिंग बिछाकर 20 से 30 सेमी की दूरी पर छेद करके पौधे लगाएं। स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने का सही समय 10 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक है। पौधे लगाने के बाद ड्रिप इरिगेशन विधि से सिंचाई कर लें।
स्ट्रॉबेरी की किस्में
स्ट्रॉबेरी भारत की बागवानी के लिए एक नया फल है। गौरतलब है कि स्ट्रॉबेरी की अधिकांश किस्में दूसरे देशों से आयात की गई है। हमारे देश में मुख्य रूप से विंटर डाउन, स्वीट चार्ली, ब्लैक मोर, एलिस्ता, सिसकेफ़, विंटर स्टार, ओफ्रा, कमारोसा, चांडलर, फेयर फाक्स आदि किस्मों की खेती की जाती है। इसके लिए देशी किस्में काफी कम है।
कीट एवं रोग प्रबंधन
स्ट्रॉबेरी को कई तरह के कीट एवं रोग नुकसान पहुंचाते हैं। स्ट्रॉबेरी की फसल में लगने वाले रोग में थ्रिप्स, लाल मकड़ी, चेफर, झरबेरी,काला धब्बा, ग्रे मोल्ड, रस भृग प्रमुख है।
- रोगों से बचाव के लिए नीम की खली पौधों की जड़ों में डालें।
- समय-समय कृषि विशेषज्ञों से जरूर सलाह लें।
- खुली खेत में पाले से बचाने के लिए प्लास्टिक का प्रयोग करें।
सिंचाई प्रबंधन
- पौधे लगाने के बाद तुरंत सिंचाई करें
- समय-समय पर नमी को ध्यान में रखकर सिंचाई करें।
- स्ट्रॉबेरी में फल आने से पहले सूक्ष्म फव्वारे विधि से सिंचाई कर सकते हैं।
- फल आने के बाद टपक विधि से ही सिंचाई करें।
- फसल में आवश्यकता से ज्यादा सिंचाई न करें।
स्ट्रॉबेरी की खेती में लागत और कमाई
एक एकड़ स्ट्रॉबेरी की फसल में 3-4 लाख की लागत आती है। स्ट्रॉबेरी की खेती से कमाई, खर्च निकालकर 10-12 लाख का मुनाफा हो जाता है। यदि आप पॉलीहाउस में इसकी खेती कर रहे हैं, तो यह मुनाफा प्रति एकड़ 12-15 लाख रुपए तक हो सकता है।
बाजार में स्ट्रॉबेरी की मांग ज्यादा है। यह बहुत जल्दी बिक जाने वाला फल होता है क्यों की इसकी मांग अधिक है व पूर्ति कम है। यह चार सौ रुपए किलो से लेकर छह सौ रुपए किलो तक बिक जाती है।
स्ट्रॉबेरी की पैकिंग और ब्रांडिंग भी मुनाफे को बढ़ा देती है। पैकिंग करके आप इसे बड़े महानगरों में बिक्री के लिए भेज सकते हैं। यदि आप ज्यादा खेती करते है तो इसके विदेशों में भी सप्लाई कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी खाने के फायदे
- स्ट्रॉबेरी का 40 ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है जो काफी कम है। इसे डायबिटीज़ के मरीज़ भी खा सकते हैं।
- स्ट्रॉबेरी में उपस्थित फोलिक और विटामिन सी शरीर को कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारियों से बचाने में मदद करती है।
- स्ट्रॉबेरी में मौजूद पोषक तत्व शरीर में कैंसर को जन्म देने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है और कैंसर को बढ़ने से रोकती है।
- स्ट्रॉबेरी में उपस्थित पोटैशियम शरीर को हार्ट अटैक से बचाने में मदद करता है।
- इसमें फोलिक एसिड होता है जो दांत से दाग को साफ कर के उन्हें चमकदार बनाती है।
- इसका सेवन करने से चेहरे की सुन्दरता बनी रहती है। इससे स्किन की कई समस्या से छुटकारा भी पाया जा सकता है।
- इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होता है।
- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जो आंखों को मोतियाबिंद से बचाता है।
संक्षेप में कहें तो स्ट्राबेरी की खेती में अपार संभावनाएं हैं। यदि आप ज़्यादा मुनाफे की खेती करना चाहते हैं, तो स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry farming) आपके लिए बेहतर विकल्प है।
ये तो थी स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।