Soil Testing: मिट्टी जांच की विधि और इसके लाभ
आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में जानें- मिट्टी की जांच का महत्व और जांच के लिए मिट्टी का नूमना लेने की सबसे सर्वोत्तम विधि क्या है?
Soil Testing Method and Benefits (मिट्टी जांच की विधि और मिट्टी जांच के लाभ): खेत में लगातार रासायनिक पदार्थों और कीटनाशकों के प्रयोग के कारण खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में फसलों की पैदावार एवं गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर होता है। आपको बता दें, किसी भी फसल के उत्पादन के लिए मिट्टी का स्वस्थ्य (healthy) रहना बहुत जरूरी है। पौधें के विकास के लिए 16 पोषक तत्वों आवश्यक होते हैं। फसल की उच्च पैदावार के लिए इनका संतुलित मात्रा में होना बहुत आवश्यक है। इसलिए खेती से पहले मिट्टी की जांच (soil testing) करना बहुत आवश्यक है। मिट्टी की जांच के अनुसार ही खेत में खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें।
तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में जानें-
मिट्टी की जांच का महत्व और जांच के लिए मिट्टी का नूमना लेने की सबसे सर्वोत्तम विधि क्या है?

मिट्टी की जांच का महत्व (importance of soil testing)
मिट्टी में पोषक तत्वों की जानकारी के लिए जांच जरूरी है। क्षारीय एवं अम्लीय मिट्टी के सुधार के लिए मिट्टी की जांच (soil testing) आवश्यक है। फसल के अधिक उत्पादन लेने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। मिट्टी की जांच से मिट्टी जनित रोगों का पता लगता है। इसके अलावा संतुलित व उचित उर्वरकों का उपयोग करने के लिए जांच जरूरी है। बोई जाने वाली फसल का अनुमान पता करने के लिए मिट्टी की जांच काफी मदद करती है।
मिट्टी का नमूना लेने की विधि (Soil Sampling Method)
- मिटटी का नमूना हमेशा फसल की बुआई से एक महीने पहले लें।
- जिस खेत से नमूना लेना है, उसको ‘W’ के आकार में बांट लें।
- अब ‘W’ के पांचो कोनों को चिन्हित कर लें।
- अब इन स्थानों पर उगी हुए घास-फुस को हटाकर साफ सुथरा करें।
- अब खुरपे या फावड़ी की मदद से चिन्हित स्थान पर ‘V’ आकार में गड्ढा खोदें।
- छोटी जड़ की फसल के लिए 15 सेंटीमीटर गड्ढा खोदें।
- गहरी जड़ एवं पेड़ वाली फसल उगानी है तो क्रमश: 30 सेंटीमीटर और 1 मीटर गहरा गड्ढा खोदें।
- अब पांचों गड्ढे में से ‘V’ आकार में 1 से 1.5 सेंटीमीटर मोटाई में मिट्टी का टुकड़ा निकाल लें।
- अब सभी नमूनों की मिट्टी को अच्छी तरह मिला लें।
- अब मिट्टी को फैलाकर ‘+’ आकार में बांट लें।
- इसके बाद विपरीत दिशाओं की दो भागों की मिट्टी को निकाल दें।
- इस प्रक्रिया को तब तक दोहराते रहें जब तक आपके पास 500 ग्राम मिट्टी बचें।
- अब इस मिट्टी को साफ थैले या पॉलीथिन में डालें।
- अब पर्ची में किसान का नाम, गांव, तहसील व खेत का खसरा नंबर, फसल आदि की जानकारी लिखें।
मिट्टी की जांच कहां करवाएं? (Where to get soil test)
- मिट्टी की जांच के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विभाग के दफ्तर में जा सकते हैं।
- अपने जिले की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में नमूना ले जाकर जांच करवा सकते हैं।
मिट्टी की जांच में ध्यान देने योग्य बातें (Things to note in soil testing)
- खेत में ऊंची-नीची जगह से नमूना न लें।
- पेड़ की जड़ के बिलकुल पास से मिट्टी का नमूना न लें।
- हाल ही में छिड़के गए उर्वरक वाले खेत से मिट्टी का नमूना न लें।
- खाद के कट्टे या बोरे में मिट्टी का नूमना न रखें।
- जब मिट्टी में नमी बहुत कम हो तभी मिट्टी की जांच कराएं।
- फसल की बुआई से पहले मिट्टी की जांच करें।
- प्रत्येक 3 से 4 वर्ष के अंतराल पर मिट्टी की जांच अवश्य कराएं।
मिट्टी जांच के फायदे (Benefits of soil testing)
- मिट्टी की जांच कराने से खेत की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के साथ लवणों की मात्रा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- मिट्टी जांच से मिट्टी की (PH) पी.एच स्तर की जानकारी मिलती है।
- जिन पोषक तत्वों की कमी है उनकी पूर्ति की जा सकती है।
- मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के अनुसार फसलों का चयन कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
- मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
- मिट्टी में मौजूद फफूंदों का पता लगाया जा सकता है।
ये तो थी, मिट्टी जांच की विधि और मिट्टी जांच के लाभ (Soil Testing Method and Benefits) की बात। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।