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पंचायती राज

सरपंच के अधिकार और कार्य, यहां जानें | sarpanch ke karya

स्थानीय स्वशासन में सरपंच (sarpanch) पद बहुत ही महत्वपूर्ण है। सरपंच ग्रामसभा द्वारा निर्वाचित ग्राम पंचायत का सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है।

सरपंच के कार्य और उसके अधिकार

sarpanch ke karya: प्राचीन काल से ग्रामीण भारत के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक जीवन में पंचायतों का महत्वपूर्ण स्थान है। इन पंचायतों की प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी खुद ग्रामवासियों को दी गई है। जिसे हम ‘स्वशासन’ कहते हैं। इसी स्वशासन के मुखिया को सरपंच (sarpanch) कहते हैं।

स्थानीय स्वशासन में सरपंच (sarpanch) पद बहुत ही प्रतिष्ठित और गरिमापूर्ण है। सरपंच ग्रामसभा द्वारा निर्वाचित ग्राम पंचायत का सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है।

आपको बता दें, सरपंच पद को अधिकांश राज्यों में ग्रामप्रधान, सरपंच, मुखिया, ग्राम्य प्रमुख या अन्य नामों से भी जाना जाता है।

सरपंच पद की महत्ता (importance of sarpanch post)

पंचायती राज अधिनियम-1992 बाद सरपंच पद का महत्व और भी बढ़ गया है। केंद्र और राज्य सरकार ग्राम्य विकास की तमाम योजनाएं इन्हीं पंयायतों के जरिए संचालित करती है। आपको भी पता होगा कि वर्तमान समय में पंचायतों में हर साल लाखों रूपये ग्राम्य-निधि में आती है। सरकार हर साल लाखों करोड़ों रुपए एक ग्राम पंचायत को देती है।

इसके लिए संविधान के अनुच्छेद-243 के तहत पंचायती राज व्यवस्था में ग्रामसभा और ग्राम पंचायत की गठन का प्रावधान है।

जिस तरह से हमारे देश में मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं उसी प्रकार ग्रामसभा और पंचायत का प्रमुख सरपंच होता है। सरपंच ग्राम पंचायत के सभी वार्ड पंचों की सहायता से गाँव के विकास कार्यों का संचालन करता है।

अतः सरपंच और ग्राम पंचायत की भूमिका गाँव के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

आइए, अब जानते हैं कि हमारे देश में सरपंचों का चुनाव कैसे होता है?

हमारे देश में लगभग 2 लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं जिनके तहत करीब छह लाख गाँव आते है। इन ग्रामीण ईलाकों में पंचायत चुनाव कराकर स्थानीय शासन स्थापित करने की व्यवस्था है।

ग्राम पंचायत जनसंख्या के आधार पर बनाई जाती है। इन ग्राम पंचायत के लिए प्रत्येक राज्य में अलग-अलग जनसंख्या तय की गई है। इन ग्राम पंचायतों में कई वार्ड भी होते हैं जिनके प्रतिनिधि को वार्ड पंच कहा जाता है।

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सरपंच का चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष के बाद ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट में शामिल मतदातों के द्वारा किया जाता है। सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को राज्य चुनाव आयोग सरपंच घोषित करती है।

इसी प्रकार वार्डों में भी जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलता है, वह उस वार्ड का वार्ड-पंच हो जाता है।

सरपंच चुनाव में कैसे होता है सीटों का निर्धारण

आपके मन में हमेशा यह प्रश्न रहता होगा कि ग्राम पंचायत में सीटों का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है। तो बता दें, पंचायत चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग गाँव की जनसंख्या के अनुपात और रोस्टर व्यवस्था के आधार पर SC/ST और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए सीट निर्धारित करती है। महिलाओं के लिए पंचायती राज अधिनियम में 50% सीटें आरक्षित है।

गाँव में उसी वर्ग का सरपंच बनता है, जिस वर्ग के लिए पंचायत में सीट आरक्षित की गई है।

जैसे-

महिला सीट निर्धारित है, तो वहाँ सिर्फ महिला ही सरपंच बन सकती हैं। इसी प्रकार SC/ST और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित सीट पर उसी वर्ग की महिला या पुरूष चुनाव के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं। यही व्यवस्था वार्ड पंचों के लिए भी अपनाई जाती है।

यह आरक्षण प्रणाली चक्रानुक्रम/रोस्टर के अनुसार आवंटित की जाती है। जो प्रत्येक 5 वर्ष बाद बदल दिए जाते हैं।

सरपंच बनने की योग्यता

👉 सरपंच पद के उम्मीदवार का नाम उस ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में होना अनिवार्य है।

👉 उसकी उम्र 21 साल से कम नहीं होना चाहिए।

👉 वह राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून के अधीन पंचायत का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।

👉 सरकारी कर्मचारी सरपंच/वार्ड पंच का चुनाव नहीं लड़ सकता।

👉 सरपंच बनने के लिए कई राज्यों में 8वीं पास या साक्षर होना जरुरी है। लेकिन यह बाध्यता सभी राज्यों में नहीं है।

सरपंच बनने के लिए जरूरी कागजात(डाक्यूमेंट्स)

सरपंच या वार्ड पंच का चुनाव आप तभी लड़ सकते हैं जब आपके पास नामांकन के दौरान जरूरी कागज़ात हो।

जैसे-

1.    आधार कार्ड या पैन कार्ड 

2.    मतदाता पहचान-पत्र

3.    पासपोर्ट साइज फोटो

4.    मूल निवास प्रमाण पत्र

5.    आरक्षित श्रेणी का जाति प्रमाण पत्र 

6.    पुलिस-प्रशासन द्वारा निर्गत चरित्र प्रमाण पत्र

7.    शौचालय का शपथ-पत्र  

8.    सरकारी कर्मचारी नहीं होने का शपथ पत्र

9.    अभ्यर्थी के परिवार की आर्थिक स्थिति, चल-अचल सम्पति, शैक्षणिक योग्यता आदि के बारे में शपथ-पत्र जो 50 रुपए के स्टॉम्प पर प्रस्तुत करना होगा और शपथ-पत्र नोटरी से प्रमाणित होना भी अपेक्षित है।

Note- 👉आपको बता दें, अलग-अलग राज्यों में कुछ दस्तावेज अलग भी हो सकती है जिसके लिए आप पंचायत चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद ब्लॉक/खंड कार्यालय में संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

सरपंच के अधिकार और शक्तियां

  • सरपंच ग्रामसभा तथा ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और अध्यक्षता करने की शक्तियाँ प्राप्त है।
  • ग्राम पंचायत के कार्यकारी और वित्तीय शक्तियाँ सरपंच को प्राप्त होती है।
  • ग्राम पंचायत के अधीन कार्यरत कर्मचारियों के कार्यों पर भी प्रशासकीय देखरेख और नियन्त्रण रखने का अधिकार सरपंच को है।

सरपंच की जिम्मेदारी

गाँव का प्रमुख होने नाते सरंपच ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है। पंचायत राज अधिनियम-1992 के अनुसार सरपंच ग्रामसभा की बैठक आयोजित करने के लिए बाध्य भी है। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो ग्रामसभा द्वारा इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जा सकती है।

👉 प्रतिवर्ष ग्रामसभा की कम से कम 4 बैठकें आयोजित करना सरपंच का अनिवार्य दायित्व है। सरपंच को चाहिए कि गाँव में सर्वांगीण विकास के लिए कई कदम उठाए।

👉 सरपंच को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्रामसभा की बैठकों में दिए गए सुझावों पर प्राथमिकता के साथ चर्चा की जाए।

👉 ग्राम सभा की बैठकों में लोगों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरपंच को उपाय करने चाहिए। सरपंच को सभी वर्गों के लोगों, खासकर SC/ST, पिछड़े वर्गों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अलावा सभी कोअपनी शिकायतों को दर्ज करने और ग्रामसभा में सुझाव देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

सरपंच के कार्य (sarpanch ke karya)

सरपंच गाँव का मुखिया होता है उसे गाँव के मुखिया के रूप में गाँव की भलाई के लिए फैसले लेने होते हैं। मुख्य रूप से सरपंच निम्नलिखित कार्य करता है।

जैसे-

  • गाँव में सड़कों का रखरखाव
  • पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना
  • सिंचाई के साधन की व्यवस्था
  • दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना
  • प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना
  • खेल का मैदान वा खेल को बढ़ावा देना
  • स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाना
  • गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा व्यवस्था
  • आँगनवाड़ी केंद्र को सुचारु रूप से चलाने में मदद करना

सरपंच को पद से हटाने की प्रक्रिया

पंचायती राज अधिनियम के तहत सरपंच के खिलाफ दो साल पहले तक अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता। वार्डपंचों के 2/3 बहुमत मिलने पर सरपंच को पदमुक्त किया जा सकता है।

अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस

सरपंच के अविश्वास प्रस्ताव की लिखित नोटिस जिला परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी/जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जानी चाहिए, जिसमें ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं। नोटिस में पदमुक्त करने के सभी कारण का उल्लेख होना चाहिए।

हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य होगा। सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाएगा

इसके बाद ‘अविश्वास-प्रस्ताव’ पर चर्चा कराने के लिए किसी अधिकारी को नियुक्त किया जाता है। अविश्वास-प्रस्ताव की सूचना, अधिकारी द्वारा 15 दिन पहले सरपंच को दे दी जाती है।

इसके बाद ग्राम पंचायत की बैठक आहूत कर इस पर निर्णय किया जाता है। बैठक में सरपंच को बहुमत  नहीं मिलने पर सरपंच को पदमुक्त कर दिया जाता है।

अविश्वास प्रस्ताव के नियम

👉Note

  • पंचायती राज अधिनियम के अनुसार कुछ राज्यों में अविश्वास प्रस्ताव सरपंच के निर्वाचित होने के बाद दो वर्षों तक और कार्यकाल के अंतिम छ: महीनों के शेष रहने के दौरान नहीं लाया जा सकता है।
  • यदि सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होता है तो अगले एक वर्ष तक पुन: अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।

संक्षेप में कहें तो सरपंच का पद बहुत ही महत्वपूर्ण और जिम्मेदारियों वाला है। यदि ग्राम पंचायत किसी गाँव के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी है, तो सरपंच या गांव का मुखिया उस रीढ़ की हड्डी को अपने अच्छे कामों से मजबूती देता है।

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