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संतरा की खेती कैसे करें? यहां जानें | santra ki kheti

संतरा विटामिन सी से भरपूर फल है। संतरा की खेती (santra ki kheti) किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है। 

Orange farming in Hindiभारत में नागपुर संतरे की खेती (santra ki kheti) के लिए मशहूर है। महाराष्ट्र में लगभग 80 प्रतिशत संतरे का उत्पादन होता है। लेकिन इसके कई ऐसी उन्नत किस्में विकसित की जा चुकी है जिसकी खेती दूसरे राज्यों में भी संभव है। 

आज हम इस लेख में बागानी फसल संतरा (Orange farming in Hindi) की बात करेंगे। 

आपको बता दें, नारंगी रंग का दिखने वाला संतरा जितना स्वादिष्ट होता है, उतनी ही सेहतमंद भी है। किसानों के लिए संतरा की खेती (santra ki kheti) फायदे का सौदा है। 

संतरा में कई औषधीय गुण होते हैं जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में काफी मदद करते हैं। संतरा विटामिन सी से भरपूर फल है। संतरा की खेती किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है। 

तो आइए, जानें संतरे की खेती (santre ki kheti) कैसे करें?  

संतरे की खेती पर एक नजर 

  • भारत में आम और केले के बाद संतरा(Orange) सबसे ज़्यादा उगाया जाने वाला फल है।
  • इसके पौधे 3-4 साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं,  20-25 साल तक फल देते हैं।
  • भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में की जाती है।

आइए अब संतरे की खेती के लिए आवश्यक जलवायु, मिट्टी, खेती का सही समय, लागत और कमाई के बारे में जान लेते हैं।

संतरा की खेती के लिए ज़रूरी जलवायु

किसी भी किसान के लिए जलवायु खेती का बहुत अहम हिस्सा होता है। फसल अच्छी होगी या नहीं। यह जलवायु से ही पता चलता है। संतरे की बागवानी (Orange farming) के लिए 17 से 20 डिग्री तापमान अनुकूल माना गया है। इस फसल में 40 डिग्री अधिकतम और 27 डिग्री न्यूनतम तापमान सहने की क्षमता होती है।

संतरा की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

किसी भी फल की बागवानी के लिए मिट्टी में उपजाऊपन होना  बहुत ज़रूरी होता है। बगीचा लगाने से पहले मिट्टी परीक्षण कर लेने से हम भविष्य में आने वाली समस्याओं से बच सकते हैं। संतरे की बागवानी के लिए मिट्टी की उपरी तथा नीचे की सतह की संरचना और गुणवत्ता पर ध्यान देने की बहुत ज़्यादा आवश्यकता होती है।

इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.0 से 8.0 उपयुक्त होता है।

संतरा की खेती का सही समय

खेती का अपना समय होता है अगर उसे उस समय से पहले या बाद में करते हैं तो फसल बर्बाद होने का ख़तरा बढ़ जाता है। अगर संतरे की बागवानी की बात करें तो इसके पौधारोपण का उपयुक्त समय गर्मी के में जून- जुलाई तथा ठंड के समय में फरवरी से लेकर मार्च तक का महीना सबसे अच्छा होता है।

संतरे के पौधे लगाने से एक महीने पहले खेत में गढ्डे खोद लेना बहुत ज़रूरी होता है। ये गढ्डे एक दूसरे से 8 मीटर की दूरी पर होना चाहिए तथा उन गढ्डों में गोबर और खाद डालकर सिंचाई कर देने से मिट्टी नीचे बैठ जाती है, जिससे संतरे में रस की मात्रा भरपूर होती है।

संतरा के लिए खेत की तैयारी कैसे करें

बागान में एक बार लगाए गए पौधे कई सालों तक फल देता है। पौधा लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए खेत में दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई कर लेना चाहिए जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है।

जुताई करने के बाद खेत को समतल बना लेना चाहिए ताकि पौधरोपण में आसानी हो। पौधा लगाने के एक महीने पहले खेतों में गढ्डे कर उसमें खाद-पानी डालकर मिट्टी को उर्वरक बनाना चाहिए।

 

संतरा की उन्नत किस्में

संतरे की किस्मों की बात करें तो यह भारत में अलग-अलग राज्यों के हिसाब से मिलती हैं। उत्तर प्रदेश में किन्नू सबसे अधिक उगाया जाता है वहीं कर्नाटक में कुर्ग किस्म सबसे बढ़िया मानी जाती है। हरियाणा, पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश में संतरे की बुटबल को ज़्यादा महत्ता दी जाती है। इसके साथ ही कुल 182 किस्में प्रमुख हैं। आइए, संतरा के कुछ प्रमुख किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं।-

नागपुरी संतरा 

नागपुरी किस्म के संतरे की सुगंध और स्वाद में स्वादिष्ट होते है। इसका सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र के मराठवाडा, विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र में किया जाता है। देश के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत संतरा सिर्फ महाराष्ट्र में होता है। देश में यह काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सेवन अच्छा माना गया है। वहीं अब इसकी खेती अन्य दूसरे राज्यों में भी होने लगी है।

 

किन्नू 

किन्नू संतरे की एक हाइब्रिड किस्म है। यह किस्म मुख्य तौर पर पंजाब में उगाई जाती है। इसके पौधे बढ़े आकार के होते हैं। वहीं इसके एक सामान होने के साथ ही इसके पत्ते घने और फैले हुए होते हैं। पकने पर इसके फल पीले रंग के होते हैं। इसकी फसल मध्यम आकार की होती हैं। यह काफी रस भरे होते हैं। इसमें 12 से लेकर 24 बीज होते हैं।

 

खासी संतरा 

खासी किस्म सिक्किम के नाम से भी जानी जाती है। आसाम और मेघालय में इसकी व्यावसायिक तौर पर खेती की जाती है। इसका फल संतरी-पीले से गहरे संतरी रंग का होता है और नर्म भी होता है। इसके किस्म के पेड़ सामान्य से बड़े आकार के होते हैं। इसके पत्ते घने ओर कांटों वाले होते हैं। इसमें 9 से लेकर 25 बीज होते हैं। 

 

दार्जिलिंग संतरा 

दार्जिलिंग किस्म अधिकतम दार्जिलिंग में उगाई जाती है। यह अच्छा उत्पादन देने वाली किस्म मानी जाती है। इस किस्म के संतरे खाने में काफी स्वादिष्ट और रसीली होते है। 

 

कुर्ग संतरा 

कुर्ग किस्म वृक्ष काफी अधिक घना होता है। इसके फल चमकीले संतरी रंग, माध्यम से बड़े आकार के होते हैं। इन्हे आसानी से छिल जा सकता हैं। इसे छिलने पर 9-11 फाड़ियां होती है। इसमें 15-25 बीज होते है। यह काफी रसदार भी होते हैं। 

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

फसल या बागवानी के लिए खाद एवं उर्वरक का उचित मात्रा में उपयोग बहुत आवश्यक होता है। संतरे की खेती के लिए पोटाश और फॉस्फोरस 500 ग्राम हर पेड़ को देना चाहिए वहीं 800 ग्राम नाइट्रोजन प्रतिवर्ष देना आवश्यक होता है। जिंक तथा सल्फ़ेट का उपयोग अप्रैल और जून के महीने में करना चाहिए जिससे पेड़ों के मृत होने का खतरा ना के बराबर रहता है।

सिंचाई सीजन के हिसाब से किया जाता है, पौधरोपण के तुरंत बाद अच्छी तरह से पूरे खेत में सिंचाई करनी चाहिए जिससे पौधा मुरझाये ना। जाड़े के दिनों में 25 दिन के अंतराल में एक बार सिंचाई करना चाहिए वहीं गर्मी के मौसम में 10 दिन के अंदर सिंचाई अवश्य कर देनी चाहिए।

संतरा की खेती में लागत और कमाई

संतरे की खेती (santra ki kheti) में कमाई पौधे की देखरेख पर निर्भर करती है। जितनी अच्छी पौधों की देखरेख होगी, उतनी अधिक उपज प्राप्त होती है। आपको बता दें, पूर्ण विकसित पौधे से 100 से 150 किलोग्राम पैदावार मिल सकती है। एक एकड़ खेत में लगभग 100 पौधे लगाकर 10000 से 15000 किलो तक उपज प्राप्त किया जा सकता है।

 

संतरे का बाज़ार में थोक भाव करीब 10 से 30 रूपये प्रति किलो के आसपास होता है। यानी 1 लाख 50 हज़ार से लेकर 4 लाख तक की कमाई एक खेप में हो सकती है। इसे 5 से 7 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 85 से 90 प्रतिशत आपेक्षिक आद्रता पर 3 से 5 सप्ताह तक आराम से स्टोर किया जा सकता है।

 

सही तरीके से संतरे की खेती (santra ki kheti) करने से लाखों का मुनाफा हो सकता है। इसके लिए खाद से लेकर मौसम तक की उचित जानकारी होना आवश्यक है। 

 

ये तो थी, संतरा की खेती (santra ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजना और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी शेयर कर सकते हैं।

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