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राजमा की खेती कैसे करें? यहां जानें | Rajma Ki Kheti

राजमा (Rajma) एक दलहनी फसल है। इसे पोषण का राजा भी कहा जाता है। राजमा की खेती (Rajma ki kheti) किसानों की आर्थिक सेहत का भी ख्याल रखती है।

राजमा की खेती

Rajma ki kheti: राजमा (Rajma) में केवल स्वाद ही नहीं बल्कि इसके अंदर सेहत के ढेरों राज छुपे होते हैं। राजमा के साथ चावल खाने का मजा ही कुछ अलग है। राजमा की खेती (Rajma ki kheti) किसानों की आर्थिक सेहत का भी ख्याल रखती है। 

राजमा (Rajma) एक दलहनी फसल है। इसे पोषण का राजा भी कहा जाता है। राजमा में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखती है। राजमा खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति भी ठीक कर सकता है। 

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस ब्लॉग में राजमा की खेती (Rajma ki kheti) को विस्तार से जानें।  

राजमा की खेती के लिए जरूरी जलवायु

राजमा(beans) के लिए ठंडी जलवायु की जरूरत होती है। राजमा की खेती पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, परन्तु इसकी नई किस्मों के विकसित होने के बाद इसे उत्तर भारत के मैदानी भागों में भी सफलतापूर्वक उगाया जाने लगा है। 

पौधरोपण का समय 

पहाड़ी क्षेत्रों में राजमा खरीफ की फसल है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों में रबी के मौसम में भी इसकी खेती होती है। सिंचाई की सुविधा होने पर इसे फरवरी में भी बोया जाता है।

राजमा की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी

राजमा हल्की दोमट मिट्टी से लेकर भारी चिकनी मिट्टी तक में उगाया जा सकता है। जब भी इसकी खेती करें, मिट्टी में गोबर की खाद और कंपोस्ट जरूर मिला लें। इसकी खेती के लिए 6-7 पीएच मान वाली मिट्टी अच्छी होती है।

राजमा की खेती के लिए तापमान

राजमा की अच्छी पैदावार हेतु 10 से 27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता पड़ती है। खरीफ के मौसम में राजमा की पैदावार अच्छी होती है। 

उर्वरक प्रबंधन

राजमा के लिए प्रति हेक्टेयर 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश की जरूरत होती है।

इसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय और बची हुई आधी नाइट्रोजन खड़ी फसल में देनी चाहिए। 

राजमा की उन्नत किस्में

राजमा की उन्नत किस्मों में पीडीआर-14 मालवीय-137, बीएल-63, अम्बर, आईआईपीआर 96-4,
उत्कर्ष, आईआईपीआर 98-5, एचपीआर-35, बीएल-63 प्रमुख
हैं।
  

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फसल उत्पादन 

राजमा की फसल (rajma ki phasal) 90 से 115 दिनों के बीच में तैयार हो जाती है। इसकी प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 12 से 30 क्विंटल तक होती है। 

राजमा की खेती में लागत और कमाई

अगर किसान भाई उन्नत तरीकों का प्रयोग करके राजमा की खेती करें तो उन्हें काफी फायदा हो सकता है। राजमे की खेती में कुशल फसल प्रबंधन की आवश्यकता होती है। आपको बता दें, बुआई से लेकर फसल की तुड़ाई तक राजमे की फसल में प्रति हेक्टेयर 50-60 हजार रुपए की खर्च आता है।

राजमा बाजार में दाने और दाल के रूप में बिकता है। बाजार में इसकी दाल की कीमत 120-140 रुपए और दाना की 100-120 रुपए प्रति किलोग्राम तक है। इस हिसाब से किसान भाई एक बार में एक हेक्टेयर से 2-3 लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। 

ये तो थी, राजमा की खेती (Rajma ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी शेयर करें।

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