फूलों की खेती कैसे करें? यहां जानें | phoolon ki kheti
आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में फूलों की खेती कैसे करें (phoolon ki kheti kaise karen) और इससे होने वाले मुनाफे को करीब से जानें।

phoolon ki kheti: भारत में समय के साथ-साथ फूलों की खेती (phoolon ki kheti) और इससे जुड़े व्यवसाय आसमान छूते जा रहे हैं। भारत की जलवायु भी फूलों की खेती (Flower farming) के लिए किसानों का भरपूर साथ दे रही है। भारत की मिट्टी भी कोमल फूलों की खेती के लिए पोषणयुक्त और उपजाऊ है। यही कारण है कि भारतीय किसान फूलों की विभिन्न प्रजातियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, भारतीय और वैश्विक बाजारों में फूलों (Flowers) की मांग से प्रोत्साहित होकर भारतीय किसान फूलों की खेती (phoolon ki kheti) के साथ-साथ फूलों के प्रसंस्करण से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में फूलों की खेती कैसे करें (phoolon ki kheti kaise karen) और इससे होने वाले मुनाफे को करीब से जानें।

हमारे देश किसानों की मेहनत के कारण भारतीय फूलों की सुगंध अब विदेशों तक फैल चुकी है। जानकारी के लिए बता दें कि भारत के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात, जापान, कनाड़ा, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड जैसे देश भी फूलों की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं।
आज भारत से फूलों के साथ-साथ इसके उत्पाद जैसे तेल, अगरबत्ती और इत्र बनाकर विदेशों में निर्यात किये जा रहा है। आपको बात दें, पिछले साल भारत ने करीब 16,949.37 मीट्रिक टन फूलों का विदेशों में निर्यात किया, इससे भारत को 541.61 करोड़ रुपए की शुद्ध आमदनी हुई।
किसान भाइयों के लिए फूलों की खेती (phoolon ki kheti) फायदे का सौदा साबित हो सकती है। अगर आप भी फूलों की खेती करना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
फूलों वाली फसलें
- गुलाब
- गेंदा
- जरबेरा
- रजनीगन्धा
- चमेली
- रजनीगंधा
- ग्लेडियोलस
- गुलदाउदी
- एस्टर बेली

ऐसे करें फूलों की खेती की शुरुआत
आधुनिकता के दौर में वैसे तो हर जानकारी इंटरनेट के माध्यम से ही मिल जाती है। फिर भी फूलों की खेती (phoolon ki kheti) शुरू करने से पहले किसान भाईयों को कृषि वैज्ञानिकों-विशेषज्ञों या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से जरूर संपर्क करना चाहिये। फूलों की खेती करने वाले किसानों से भी मुलाकात करें, उनसे अच्छी गाइडेंस मिल सकती है। इसके अलावा, फूलों की खेती करने से पहले राज्य के कृषि विभाग से संपर्क करें। फूलों की खेती से जुड़े प्रशिक्षण में भाग लें। इससे फूलों की खेती के दौरान आने वाली मुश्किलों से निपटने में काफी हद तक आसानी होगी।
मांग और मौसम के अनुसार करें फूलों की किस्म का चुनाव
भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है। यानी फूलों की खेती के लिए भारत की जलवायु और भूमि सबसे अनुकूल है। यही कारण है कि देशभर के किसान आज परंपरागत खेती के स्थान पर फूलों की खेती और बागवानी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अगर आप भी फूलों की खेती करना चाहते हैं तो जलवायु और मिट्टी के आधार पर फूल की किस्मों का चुनाव करें और बाजार में भी फूलों की मांग की जानकारी करें। इसके अलावा फूलों की खेती (phoolon ki kheti) शुरू करने से पहले अपने खेत की मिट्टी का परिक्षण अवश्य करवायें, इससे मिट्टी में पोषक तत्व और खाद-उर्वरकों के प्रयोग की जानकारी मिल सकेगी। किसान चाहें तो बागवानी विभाग से संपर्क करके फूलों की संरक्षित खेती (Integrated Farming) भी कर सकते हैं।
सिंचाई प्रबंधन
जाहिर है कि बागवानी फसलों की खेती में सिंचाई का अलग महत्व है। फूलों की खेती करने से पहले पानी की व्यवस्था का भी ध्यान रखें। अलग-अलग फूलों की किस्में उगाने के लिए पानी की काफी खपत होती है। इतना ही नहीं, अच्छी पैदावार के लिए उचित मात्रा में पानी का उपलब्ध होना बेहद जरूरी है। किसान चाहें तो इस समस्या के समाधान के लिए पॉलीहाउस में खेती कर सकते हैं। पॉलीहाउस में खेती करने से फूलों की पसल में नमी बनी रहती है। जिससे बार-बार सिंचाई की जरूरत नहीं होती।

फूलों की खेती मुनाफा और लागत का लेखा-जोखा
फूलों की खेती (phoolon ki kheti) में उन तकनीकों को अपनायें, जिनसे लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो।
उदाहरण के लिए एक हेक्टेयर भूमि पर फूलों की खेती करने के लिए 25 हज़ार रुपये का खर्च आयेगा। इसमें फूलों के बीज की खरीद से लेकर, खाद-उर्वरक, सिंचाई और निराई-गुड़ाई भी शामिल है। अगर किसानों के पास अपनी जमीन और उपकरण होंगे, तो खाद, बीज, उर्वरक, सिंचाई के साथ ट्रांसपोर्ट और भंडारण में खर्च होगा। हालांकि, शुरूआत में फूलों की खेती (phoolon ki kheti) में परिवारिक लोगों के श्रम से मजदूरी के खर्चे को कंट्रोल किया जा सकता हैं। अगर व्यवसायिक तौर पर फूलों की खेती कर रहे हैं, तो सालाना 75,000 रुपये तक कमा सकते हैं।
शुरूआत से अंत तक का हो स्मार्ट प्लान
खेती-किसानी में लाभ कमाने के लिए चुनौतियां का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हमेशा प्लान-2 तैयार रखें। जाहिर है कि फूलों की खेती (phoolon ki kheti) के दौरान में कई प्रकार के कीट और रोगों के पनपने की संभावना भी रहती है। फसल को कीट-रोगों से बचाने के लिए पॉलीहाउस में खेती करने का विकल्प चुनें। इसके अलावा, फूलों की तुड़ाई के बाद उनका भंडारण करना भी चुनौतपूर्ण काम है। क्योंकि फूलों की उपज को बाजार और मंडियों तक की जिम्मेदारी किसान की होती है। इसलिए फूलों का सही प्रकार भंडारण करना जरूरी है। ताकि जब फूल ग्राहक तक पहुंचे तो फूलों की खुशबू बरकरार रहे और फूल ताजा-गुणवत्तापूर्ण दिखें। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर आप भी फूलों की खेती (phoolon ki kheti) करके सफल किसान बन सकते हैं।

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