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मोती पालन कैसे करें? यहां जानें | Pearl farming in hindi

मोती की खेती पानी में की जाती है। इसके लिए तालाब की जरूरत होती है। उत्पादन के हिसाब से आप छोटा या बड़े तालाब का निर्माण कर सकते हैं।

Pearl farming in hindi: मोती की खेती से मालामाल हो रहे हैं किसान, जानें मोती पालन कैसे करें?

Pearl farming in hindi: राष्ट्रीय बाजार और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में मोतियों की मांग हमेशा बनी रहती है। मोती की खेती (moti ki kheti) इन दिनों लोगों को अपनी तरफ खूब आकर्षित कर रही है। भारत में मोतियों का उत्पादन बहुत ही कम होता है। जिसके कारण इसे विदेशों से आयात करना पड़ता है। ऐसे में अभी हमारे देश में मोती की खेती (Pearl farming) में अपार संभावना है। इसकी खेती के लिए कई संस्थानों में सरकार के द्वारा मुफ्त प्रशिक्षण भी दिया जाता है। मोती की खेती की ट्रेनिंग लेकर आप भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि मोती की खेती कैसे करें (Moti Ki Kheti Kaise kare) और सीप में मोती कैसे बनता है? 

तो आइए, आज हम आपको द रुरल इंडिया के इस लेख में मोती की खेती करने का तरीका (how to cultivate pearls in hindi) बता रहे हैं। 

सबसे पहले जानते हैं मोतियों की खेती कैसे की जाती है?

मोती पालन पर एक नज़र (A look at pearl farming)

मोती की खेती पानी में की जाती है। इसके लिए तालाब की जरूरत होती है। उत्पादन के हिसाब से आप छोटा या बड़े तालाब का निर्माण कर सकते हैं। मोती के उत्पादन में सीपों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसे आप नदियों या बाजार से ले सकते हैं। 

 

ऐसे करें मोती पालन की शुरुआत

  • मोती की खेती के लिए ठंड का मौसम सबसे सर्वोत्तम होती है। 
  • मोती की खेती करने के लिए सबसे पहले सीप लेनी होती है।
  • सीप की अधिकतम आयु 6 वर्ष होती है। 
  • सीप 3 वर्ष की होने पर मोती का निर्माण कर सकती है।

सीप को कैसे करें तैयार?

  • सबसे पहले 2 से 3 दिनों के लिए सीप को खुले पानी में डालना चाहिए। इससे सीप के ऊपर का कवच और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाती हैं।
  • अब एक छोटी सी सर्जरी के माध्यम से सीप में 2 से 3 मिलीमीटर का छेद किया जाता है।
  • इस छेद में से रेत का एक छोटा सा कण डाल कर सीप को बंद कर दिया जाता है।
  • रेत के कण से सीप में चुभन होती है और इसके अंदर मोती बनने वाला पदार्थ निकलने लगता है।

डिजाइनर मोती बनाने की प्रक्रिया

  • मोती के निर्माण के लिए प्रत्येक सीप में छोटी सी सर्जरी करनी होती है।
  • डिजाइनर मोती प्राप्त करने के लिए शल्य क्रिया के दौरान सीप में अपनी पसंद के अनुसार आकृति वाली बीड डाली जाती है। आकृतियों को डालने के बाद सीप को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है।
  • इसके बाद सीप को 10 दिनों तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे के साथ नायलॉन के बैग में रखा जाता है।
  • नायलॉन के बैग में डाली गई सभी सीपियों का प्रतिदिन निरीक्षण किया जाता है। मरी हुई सीपियों को अलग करने के बाद सभी सीपियों को तालाब में एक मीटर की गहराई पर डाला जाता है।
  • कुछ समय बाद सीप के अंदर से मोती बनने वाले पदार्थ निकलने लगते हैं।
  • करीब 14 से 20 महीने बाद सीप के अंदर विभिन्न आकृतियों में मोती तैयार हो जाती है।
  • सीप के कवच को तोड़ कर मोती निकाल सकते हैं।

मोती पालन में लागत (cost of pearl farming)

  • एक सीप की कीमत 15 से 30 रुपए होती है।
  • आमतौर पर 3 वर्ष की उम्र के बाद सीप में मोती बनने लगती है।
  • मोती तैयार होने में 14 से 20 महीने का समय लगता है।
  • 500 वर्ग फीट के तालाब में करीब 100 सीपियों को डालकर मोती की खेती की शुरुआत कर सकते हैं।

मोती पालन व्यवसाय में मुनाफा (profit in pearl farming business)

  • असली मोती की कीमत हजारों में होती है।
  • एक मोती की कीमत 300 से 1500 रुपए तक होती है।
  • अच्छी गुणवत्ता की एवं डिजाइनर मोतियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 10,000 रुपए तक मिल सकते हैं।
  • यदि एक मोती की कीमत 1,000 रुपए भी मिले तो 100 सीपियों से हम 1,00,000 रुपए तक कमा सकते हैं।
  • तालाब में सीपीओ की संख्या बढ़ाकर मुनाफे को भी आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
  • सीप से कई सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं। इसके साथ ही सीप से इत्र का तेल भी निकाला जाता है। मोती निकालने के बाद सीप को भी स्थानीय बाजार में बेचकर अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं।

ये तो थी, मोती की खेती (Pearl farming in hindi) की जानकारी। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करें। 

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