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मानसून के दौरान पशुओं का टीकाकरण है बेहद जरूरी, जानें इसके फायदे

आइए, इस लेख में जानें- मानसून के दौरान पशुओं को रोग से बचाने के लिए कौन से टीके लगवाने चाहिए और किस तरह पशुओं को रोग से बचाकर रखना चाहिए। 

pashu ka tikakaran: बारिश के सीजन में मानसून के दौरान पशुओं को कई तरह के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से पशुपालन में कई चनौतियों का सामना करना पड़ता है। दरअसल बारिश के दौरान मौसम में नमी रहती है। जिसके चलते बहुत से परजीवी पैदा हो जाते हैं जो पशुओं को न केवल बीमार कर देते हैं। बल्कि कई रोगों की वजह से तो पशुओं की मौत तक हो जाती है।

 

पशुओं को इन्हीं रोगों से बचाने के लिए और पशुपालकों की इस समस्या को दूर करने के लिए पशुओं का टीकाकरण (vaccination of animals) जरूरी हो जाता है। 

 

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में जानें- मानसून के दौरान पशुओं को रोग से बचाने के लिए कौन से टीके लगवाने चाहिए और किस तरह पशुओं को रोग से बचाकर रखना चाहिए। 

 

मानसून में पशुओं को होने वाले रोग (animal diseases in monsoon)

मानसून के दौरान पशुओं को कई रोग होने की संभावना होती है। जिसके कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। 

 

बंद पड़ना

मानसून में पशु जब अधिक गीला चारा खा लेते हैं तो इसकी वजह से पशु मल का त्याग नहीं कर पाते। जिसकी वजह से वह खाना पीना भी बंद कर देते हैं। ऐसे में पशुओं की उत्पादकता भी कमजोर पड़ जाती है। 

 

थनैला रोग

थनैला रोग अक्सर दुधारू पशुओं में ही होता है। इसमें पशु के थनों में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से उनका आकार बढ़ जाता है और पशु के थनों से दूध की जगह खून और पस आने लगता है। 

 

गलघोंटू रोग

गलाघोंटू रोग सबसे खतरनाक रोगों में से है। इसकी वजह से पशुओं की मौत 1 से 2 दिन के अंदर ही हो जाती है। 

 

लंगड़ा बुखार 

पशुओं को होने वाला लंगड़ा रोग पशु को गीली मिट्टी में पैदा होने वाले जीव की वजह से या किसी संक्रमित पशु की चपेट में आने की वजह से होता है। इस रोग का उपचार लगभग नामुमकिन ही है। 

 

मानसून सीजन में बीमारियों का टीकाकरण जरूरी 

मानसून से पहले पशुओं को गलघोंटू, थनैला और लंगड़े बुखार का टीकाकरण करवा लेना चाहिए। ये टीके पशु को इन रोगों की चपेट में आने से बचाते हैं। इन टीकाकरण को कराने के लिए आप अपने राज्य या क्षेत्र के पशुपालन विभाग में संपर्क कर सकते हैं। 

मानसून में पशुओं को रोगों से बचाव के तरीके 

  • मानसून के दौरान पशु को सही मात्रा में आहार दें, ताकि पोषक तत्वों की कमी पूरी हो सके। 
  • पशुओं के आस पास साफ सफाई रखें ताकि लंगड़े बुखार की चपेट में न आ जाएं। 
  • पशुओं को दूषित आहार पानी न पिलाएं। इसकी वजह से पशु गंभीर रोग की चपेट में आ सकता है। 
  • पशु के शेड में नमी न होने दें और कच्चे फर्श पर तो बिल्कुल भी न छोड़ें। आपको बता दें कि बारिश के दौरान गिली मिट्टी में बहुत से परजीवी पैदा हो जाता हैं, जो पशु को अपनी चपेट में ले सकते हैं। 

 

ये तो थी, मानसून में पशुओं को लगने वाले टीके (pashu ka tikakaran) की जानकारी। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, पशुपालन, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों के लिए भी फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करें।

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