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Palak ki kheti: पालक की खेती कैसे करें? यहां जानें

पालक कम समय में अधिक पैदावार देने वाली फसल है। पालक की खेती (palak ki kheti) से किसान सालभर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।

Palak ki kheti: हरी सब्जियों में पालक (spinach) का महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें आयरन, प्रोटीन, खनिज-लवण और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह एक ऐसी सब्जी है, जिसे कम समय में और कम खर्च में उगाकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। यह कम समय में अधिक पैदावार देने वाली फसल है। पालक की खेती (palak ki kheti) से किसान सालभर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में पालक की खेती की संपूर्ण जानकारी (palak ki kheti kaise karen) जानते हैं। 

पालक की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

भारत की जलवायु पालक की खेती (palak ki kheti) के बहुत ही उपयुक्त है। वैसे तो इसकी खेती पूरे साल की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती करने का सही समय फरवरी से मार्च और नवंबर से दिसंबर का महीना होता है। 

 

मिट्टी की बात करें तो पालक की खेती (palak ki kheti) के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का पीएचमान 6 से 7 से बीच में हो तो बहुत ही अच्छा होता है।

 

पालक के लिए खेत की तैयारी (palak ki kheti kaise karen) 

इसके लिए सबसे पहले खेती गहरी जुताई करें। उसके बाद 2 से 3 बार देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करें। फिर खेत में पाटा लगाकर मिट्टी भुरभूरी कर लें। जुताई से पहले प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद डाल दें। बुआई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर खेत में मिला देनी चाहिए। 

 

पालक की खेती में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • एक एकड़ के लिए 8 से 10 किलो बीज पर्याप्त होता है। 
  • प्रति किलो बीज को 2 ग्राम कार्बेंडाजिम + 2 ग्राम थिरम से उपचारित करें।
  • बुआई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.5 सेंटीमीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें। 
  • बीज को 2.5 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं। 
  • रोपाई करने के तुरंत बाद सिंचाई करें। 
  • इसके बाद 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। 

 

पालक की उन्नत किस्में

कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से पालक की कई अच्छी किस्में विकसित की गई हैं। इसमें पूसा हरित, जोबनेर ग्रीन, ऑल ग्रीन, हिसार सलेक्शन-23, पूसा ज्योति, पंजाब सलेक्शन, पंजाब ग्रीन प्रमुख हैं। 

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पूसा हरित

पालक की इस किस्म की पत्तियां गरे हरे रंग की होती हैं। पत्ते बड़े और चमकीले होते हैं। इसे पहाड़ी इलाकों में साल भर उगाया जा सकता है। पालक की यह किस्म अधिक उपज देने के लिए जानी जाती है। एक बार बुआई करने पर इस किस्म को 6-7 बार कटाई की जा सकती है। इस किस्म की पालक की पैदावार प्रति एकड़ 8-10 टन हो जाती है। 

 

जोबनेर ग्रीन

इसके पत्ते हरे, बड़े और मोटे होते हैं। इसकी बुआई क्षारीय मिट्टी में भी की जा सकती है। इस किस्म की भी आप एक फसल में 5-6 बार कटाई कर सकते हैं। इसके पत्ते काफी मुलायम होते हैं। यह किस्म बुआई करने के 40 दिन के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 10-12 टन प्रति एकड़ हो जाती है। 

 

ऑल ग्रीन 

इसके पत्ते हरे और काफी मुलायम होते हैं। इसकी 6 से 7 कटाई आसानी से की जा सकती है। यह किस्म बुआई के 35 दिन बाद ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 10 से 12 टन प्रति एकड़ होती है। 

 

पालक में लगने वाले रोग और उनका रोगथाम

पत्ता काटने वाली सुंडी कीट

यह पत्तियों के हरे पदार्थ को खा जाती है, जिसके कारण पत्तियां पर छिद्र बन जाते हैं। 

 

रोकथाम

  • उपचारित बीज की बुआई करें। 
  • फसल में समय से कीटनाशक का छिड़काव करें। 
  • कीट लगने पर 50 मिली क्लोरेट्रानिलिप्रोएल 18.5 प्रतिशत एससी या 80 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत SG को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। 

 

धब्बा रोग

पालक की फसल में इस रोग के कारण पत्तों पर छोटे गोलाकार भूरे और सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। 

 

रोकथाम

  • बुआई से पहले ही बीज को उपचारित कर लें। 
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों की ही बुआई करें। 
  • रोग लगने पर नियंत्रण के लिए मेंकॉजैब 75% डब्ल्यूपी 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 

 

ये तो थी, पालक की खेती (palak ki kheti) की संपूर्ण जानकारी। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें। 

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