कृषिग्रामीण उद्योग

mushroom ki kheti: मशरूम की खेती की संपूर्ण जानकारी

बाजार में मशरूम की भारी डिमांड रहती है। मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) यह एक ऐसी खेती है जिसमें खेत की जरूरत नहीं होती है।

मशरूम की खेती कैसे करें

mushroom ki kheti: मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरा मोती… आपने तो सुना ही होगा लेकिन आज हम आपको बिना खेत के सोना उगाने की खेती को बता रहे हैं।

जी हाँ! आज हम बात कर रहे हैं- मशरूम की खेती (mushroom cultivation in hindi) की। यह एक ऐसी खेती है जिसमें खेत की जरूरत नहीं होती है। आप बिना खेत अपने घर में ही सफेद सोना यानी मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

तो आइए, इस ब्लॉग में जानते हैं, मशरूम की खेती के लाभ (mushroom ki kheti ke fayde) के बारे में।

क्यों करें मशरूम की खेती (mushroom ki kheti)

मशरूम पौष्टिकता से भरपूर एक आहार है। इसमें एमीनो एसिड, खनिज-लवण, विटामिन जैसे कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जो मरीजों के लिए एक दवा की तरह काम करता है। डॉक्टर और डाइटीशियन भी मोटापा, हार्ट-डिजीज और डायबिटीज़ के रोगियों को इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। 

मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें सेहत के साथ-साथ किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। इसकी वर्षभर डिमांड रहती है, लेकिन मांग की तुलना में आपूर्ति बेहद कम है। ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

बिना खेत की है खेती (Farming is without field)

मशरूम की खेती एक ऐसी खेती है जिसमें खेत की जरूरत नहीं होती है। आप अपने घरों में ही इसकी खेती कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक या दो कमरों की जरूरत होगी, जहाँ आप मशरूम के कंपोस्ट के बैगों को रख सकते हैं। 

 

मशरूम की खेती है आसान (Mushroom farming is easy)

किसानों के लिए मशरूम की खेती(mushroom ki kheti) करना काफी सरल और आसान है। इसके लिए किसानों को कृषि अवशेषों जैसे- गेहूँ, धान के भूसे की जरूरत होती है जो आसानी से प्राप्त हो जाता है। कंपोस्ट बनाने के लिए उन्हें कहीं से कुछ खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। बस जरूरत होती है तो मशरूम की देखभाल और प्रशिक्षण की। जिसके लिए आप देशभर के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि अनुसंधान केंद्रों या कृषि विज्ञान केंद्र से एक से दो हफ्ते या एक महीने की फ्री प्रशिक्षण ले सकते हैं।

 

ये संस्थान हैं-

  • जीबी पंत युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंत नगर, उत्तराखंड,वेबसाइट: www.gbpuat.ac.in
  • आणंद एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी, आणंद, गुजरात,वेबसाइट: www.aau.in
  • पादप रोग संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली,वेबसाइट: www.iari.res.in
  • राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर, बिहार, वेबसाइट: www.pusavarsity.org.in
  • राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान केंद्र, चम्बाघाट, सोलन, हिमाचल प्रदेश
  • इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीटय़ूट, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
  • हिसार कृषि अनुसंधान, हिसार, हरियाणा
 

इसके लिए आप अपने जिले स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं। 

 

कहां से लें मशरूम की बीज (mushroom seeds)

ज्यादातर किसानों का यही प्रश्न रहता है कि मशरूम का बीज कहां से मिलेगा या कहां मिलता है। क्योंकि ग्रामीण अंचलों में मशरूम की खेती के लिए उत्सुकता तो है लेकिन सही बीज उन्हें नहीं मिल पाता है। 
 

बीज की गुणवत्‍ता का उत्‍पादन पर बहुत असर होता है, इसलिए मशरूम का बीज या स्‍पान अच्‍छी भरोसेमंद दुकान से ही लेना चाहिए। बीज एक माह से अधिक पुराना भी नहीं होना चाहिए।

 

मशरूम का बीज आप कृषि विश्वविद्यालयों और अपने जिले स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं। यहां आपको सस्ते और प्रमाणिक बीज प्राप्त हो जाएगा। बाजार के बीज मंहगे और अप्रमाणिक भी हो सकते हैं। 

 

सरकार द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र में मशरूम उत्पादकों को बीज उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। यहाँ कम कीमत पर किसानों को मशरूम बीज उपलब्ध कराया जाता है।

मशरूम की खेती के लिए सरकारी अनुदान (Government grant for mushroom cultivation)

सरकार मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने वाले उम्मीदवारों को भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा 5 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए आप नाबार्ड की वेबसाइट https://www.nabard.org से इस योजना का बारे में और जानकारी ले सकते हैं। 

 

अगर आप छोटे किसान हैं तो 40 प्रतिशत तक और सामान्य व्यक्ति के लिए 20 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा एससी/एसटी उम्मीदवारों को सरकारी ऋण में राहत की भी व्यवस्था है।

 

लागत कम, कमाएं ज्यादा profit in mushroom farming 

अगर बात करें लागत की तो छोटे किसान इसकी शुरूआत एक कमरे से कर सकते हैं। जिसके लिए आप 25 हजार से 50 हजार रूपए की जरूरत होगी। बड़े किसान व्यावसायिक स्तर पर करने के लिए 5 से 10 लाख रूपए तक की लागत लगा सकते हैं। 

 

हालांकि इस पर लगाई जाने वाली राशि आपकी क्षमता एवं व्यापार के स्तर के अनुसार बदल सकती है। इस व्यापार में आपको इसकी देखभाल और उगाने के स्थान(फसल कक्ष) को बनाने में ही पैसे लगाने पड़ेगें। इसके अलावा कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करने के लिए भी खर्च पड़ता है। यदि आप केवल ठंड के दिनों में या सीज़नल खेती करना चाहते हैं तो इसकी लागत और कम आएगी। 

 

बाजार और मांग (market and demand)

मशरूम की बाजार में सालभर डिमांड रहती है। मशरूम का उपयोग अधिकतर चाइनीज खाने में किया जाता है। इसे आप छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में सप्लाई कर सकते हैं। बड़े होटलों में आप सीधे सप्लाई कर सकते हैं। 

 

इसके अन्य लाभकारी गुणों के कारण इसको मेडिकल के क्षेत्र में भी उपयोग किया जाता है। इसका निर्यात एवं आयात भी कई देशों में किया जाता है। इसके लिए आपको पैकेजिंग और भंडारण पर ध्यान देना होता है। 

 

संक्षेप में कहें तो मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) में आने वाली समस्याओं का खेती से पहले ही अध्ययन कर लिया जाए और समस्याओं को ध्यान में रख कर खेती की जाए तो मशरूम की खेती में निश्चित सफलता मिलेगी।

 

ये तो थी, मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर करें।

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