मशरूम की खेती कैसे करें, यहां जानें | mushroom ki kheti
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है। साथ ही किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

mushroom ki kheti kaise kare: कम लागत, कम जगह एवं कम समय में तैयार होने वाली मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) करके आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। मशरूम की बढ़ती मांग के कारण इसकी खेती में अपार संभावनाएं हैं। मशरूम को छत्रक, खुम्ब और खुम्भी नाम से भी जाना जाता है।
मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, विटामिन डी, सेलेनियम और जिंक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ इसका सेवन पेट की समस्याओं, दिल के बीमारियां, ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड शुगर लेवल, मोटापा, आदि रोगों में भी लाभदायक है।
यदि आप भी कम जगह (10 X 10 वर्गफीट) में अधिक आमदनी करना चाहते हैं, तो मशरूम की खेती किसानों के लिए अच्छा ऑप्शन है।
तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) की संपूर्ण जानकारी जानें।
मशरूम की प्रमुख किस्में (Types of mushrooms)
बटन मशरूम (button mushroom)
हमारे देश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। कुछ वर्ष पहले तक इसकी खेती केवल ठंडे तापमान वाले क्षेत्रों में की जाती थी। लेकिन अब इसकी खेती मैदानी क्षेत्रों में भी की जाती है। मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती ग्रीन हाउस में उचित तापमान तैयार करके की जाती है। कवक को फैलने के लिए 22 से 26 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। बटन मशरूम की वृद्धि के लिए 14 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सबसे उपयुक्त है।
ऑयस्टर मशरूम (oyster mushroom)
इस किस्म को ढींगरी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म की मशरूम को तैयार होने में 2.5 से 3 महीने का समय लगता है। इस किस्म की खेती गेहूं एवं धान के भूसे और दानों का इस्तेमाल करके की जाती है। 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान ऑयस्टर मशरूम के लिए उपयुक्त है। इसके साथ ही 70 से 90 प्रतिशत आर्द्रता की आवश्यकता होती है। इसकी खेती पूरे वर्ष की जा सकती है।
दूधिया मशरूम (milky mushroom)
दूधिया मशरूम आकार में बड़े एवं आकर्षक होते हैं। इसकी खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश में की जाती है। मार्च से अक्टूबर तक का समय इस किस्म के मशरूम की खेती के लिए सर्वोत्तम है।
पैडीस्ट्रा मशरूम (pedistra mushroom)
इस किस्म की खेती के लिए उच्च तापमान बेहतर है। मशरूम को तैयार होने में 3 से 4 सप्ताह का समय लगता है। ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, छत्तीसगढ़, आदि राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। इसकी वृद्धि के लिए 28 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान एवं 60 से 70 प्रतिशत आर्द्रता की आवश्यकता होती है।
शिटाके मशरूम (Shiitake Mushrooms)
इस किस्म को दुनिया में मशरूम के कुल उत्पादन में दूसरा स्थान प्राप्त है। यह अन्य किस्मों की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होता है। यह प्रोटीन और विटामिन बी का अच्छा स्त्रोत है। वसा और शर्करा नहीं होने के कारण यह मधुमेह और हृदय रोग से ग्रसित व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है।
मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त समय (Suitable time for mushroom cultivation)
मशरूम की खेती के लिए मई से अक्टूबर तक का समय सर्वोत्तम है। जबकि कृत्रिम वातावरण में मशरूम की खेती वर्ष भर की खेती की जा सकती है।
मशरूम की खेती कहां करें? (Where to do mushroom cultivation?)
मशरूम की खेती मैदानी क्षेत्रों के अलावा, पहाड़ी क्षेत्रों में भी की जा सकती है। इसके अलावा ग्रीन हाउस में कृत्रिम वातावरण तैयार कर के भी इसकी खेती की जा सकती है।
मशरूम की अच्छी उपज के लिए उपयुक्त वातावरण
मशरूम की अच्छी उपज के लिए 14 डिग्री सेंटीग्रेड से 18 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सर्वोत्तम है। इसके साथ 85 प्रतिशत आर्द्रता होनी चाहिए।
मशरूम में किस खाद का करें प्रयोग?
- खाद में 60 से 65 प्रतिशत नमी की मात्रा होनी चाहिए।
- खाद में करीब 1.75 से 2.25 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा होनी चाहिए।
- खाद का पी.एच स्तर 7.2 से 7.8 के बीच होना चाहिए।
मशरूम की खेती कैसे की जाती है? (how to grow mushroom)
मशरूम की खेती मुख्यतः 3 तरीके से की जाती है।
- लटका कर : जगह के अभाव में या कम स्थान में खेती करने के लिए यह विधि उपयुक्त है। इस विधि में प्लास्टिक के बैग में कंपोस्ट खाद की एक परत डाली जाती है। इसके बाद मशरूम के बीज डालकर कंपोस्ट की परत से ढक दिया जाता है। अंत में प्लास्टिक के बैग के मुंह को धागे से बांध कर किसी लकड़ी के स्टैंड पर लटका दिया जाता है।
- जमीन में क्यारियां बनाकर : इस विधि से मशरूम की खेती करने के लिए सबसे पहले चयनित भूमि में क्यारियां तैयार की जाती हैं। इसके बाद क्यारियों में कंपोस्ट मिलाकर बीज की रोपाई की जाती है। इस विधि में नियमित रूप से देखभाल की आवश्यकता होती है।
- मचान बनाकर : इस विधि से खेती करने के लिए सबसे पहले बांस या किसी अन्य लकड़ी के द्वारा भूमि की सतह से ऊंचाई पर मचान तैयार किया जाता है। मचान पर कंपोस्ट फैलाकर बीज की बुवाई की जाती है।
मशरूम की तुड़ाई कब करें? (mushroom harvest)
- बुवाई के 35 से 40 दिनों बाद या मिट्टी चढ़ाने के 15 से 20 दिनों बाद छोटे मशरूम निकलने लगते हैं।
- 4-5 दिनों बाद छोटे मशरूम आकार में बड़े हो जाते हैं।
- मशरूम को घूमा कर तोड़ें। इसके अलावा आप इसे किसी तेज चाकू से काट भी सकते हैं।
मशरूम की खेती के समय इन बातों का रखें ध्यान
- बीज के अंकुरण के लिए उचित मात्रा में नमी की आवश्यकता होती है। इसलिए 2 से 3 दिनों के अंतराल पर पानी का छिड़काव करते रहें।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस कमरे में मशरूम की खेती की जा रही है वहां धूप न आए। धूप आने से नमी की मात्रा में कमी हो सकती है।
- तापमान बढ़ने पर कमरे की खिड़कियों को गीली चादर से ढकें।
- कंपोस्ट या मशरूम के बीज को स्पर्श करने से पहले हाथ को अच्छी तरह साबुन से साफ करें।
- कमरे में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण कहां से प्राप्त करें? (training for mushroom cultivation)
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। साथ ही कई बार मशरूम की खेती के इच्छुक किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
कृषि विश्वविद्यालयों में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अगर आप भी करना चाहते हैं मशरूम की खेती तो नीचे दिए गए संस्थानों से इसकी खेती के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
- राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार
- बागवानी व कृषि वानिकी अनुसंधान कार्यक्रम, रांची, झारखंड
नरेंद्र देव कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश
- ओडिशा कृषि विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर, ओडिशा
- महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान
- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा
- केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिचूर, केरल