Makhana ki kheti: मखाना की खेती कैसे करें? यहां जानें
दुनियाभर में मखाना की खेती (makhana ki kheti) सबसे अधिक भारत में होती है। विश्व का 90 प्रतिशत मखाना (Fox Nut) भारत में होता है।
Makhana ki kheti: मखाना (Fox Nut) अपने बेहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है। दुनियाभर में मखाना की खेती (makhana ki kheti) सबसे अधिक भारत में होती है। विश्व का 90 प्रतिशत मखाना (Fox Nut) भारत में होता है। भारत की बात की जाए तो बिहार में मखाना की खेती (makhana farming) सबसे अधिक होती है।
मखाना (Fox Nut) पौष्टिकता से भरपूर फल है। इसका उपयोग मिठाई, नमकीन और खीर बनाने में भी किया जाता है। इसमें मैग्ननेशियम, पोटेशियम, फाइबर, आयरन, जिंक, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होता है। पुरुषों की यौन स्वास्थ्य में मखाना (Fox Nut) रामबाण दवा की तरह काम करता है। इसका सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है।
तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में मखाने की खेती (makhana ki kheti) को विस्तार से जानें।
इस लेख में आप जानेंगे
- मखाना की खेती के लिए ज़रूरी जलवायु
- खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
- Makhana farming का सही समय
- खेती की तैयारी कैसे करें
- मखाना (Fox Nut) की उन्नत किस्में
- सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
- रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें।
- मखाना की खेती में लागत और कमाई
सबसे पहले मखाना की खेती (makhana farming) के लिए ज़रूरी जलवायु को समझ लेते हैं।
मखाने की खेती के लिए जरूरी जलवायु
भारत में जिस तरह की जलवायु है, उस हिसाब से इसकी खेती आसान मानी जाती है। बिहार की जलवायु मखाने की खेती (makhana farming) के लिए काफी उपयुक्त है। देश का 80 प्रतिशत मखाना बिहार राज्य में होती है। इसके अलावा देश के उत्तर पूर्वी इलाकों में भी इसकी खेती होती है। असम, मेघालय के अलावा ओडिशा में इसे छोटे पैमाने पर उगाया जाता है।
तालाब और पोखर वाले इलाके में इसकी खेती खूब होती है। मखाना उष्ण जलवायु का पौधा है। गर्म मौसम और पानी इस मखाना की फसल (makhana ki phasal) को उगाने के लिए बेहद जरूरी है।
मखाना की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
मखाना की खेती (makhana ki kheti) के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। जलाशयों, तालाबों नीचली जमीन में रूके हुए पानी में इसकी अच्छी उपज होती है। निचली भूमि जिसमें धान की खेती होती है,वहां मखाने का अच्छा उत्पादन होता है।
मखाना उत्पादन के लिए खेती की तैयारी
मखाना तालाब या पोखर की मिट्टी में उगाया जाता है, पहले तालाब या पोखर की पूरी तरह से सफाई की जाती है, फिर बीजों का छिड़काव किया जाता है, बीज एक दूसरे से ज्यादा दूरी पर न रोपे जाएं इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। पौधे की सुरक्षा करनी होती है। अंत में मखाना का बीज निकाला जाता है। जिस पोखर में एक बार मखाना उगाया जा चुका है, उसमें दोबारा बीज डालने की जरूरत नहीं है क्योंकि पिछली फसल से नए पौधे उग आते हैं।
मखाने की खेती का सही समय
- मखाना बीज को तालाब में दिसम्बर के महीने में हाथों से बिखेर दें।
- बीज को लगाने के लिए दिसम्बर से जनवरी के आधे बीत जाने पर यानी 35 से 40 दिन बाद पानी के अंदर बीज का उगना देख लें।
- फरवरी के अंत या मार्च के शुरू में मखाना (Fox Nut) के पौधे जल की ऊपरी सतह पर निकल आते है तो आपकी फसल में कोई रोग नहीं हैं।
मखाना की खेती की तैयारी कैसे करें
- मखाने की खेती (makhana farming) की अब कई विधियां उन्नत हो चुकी हैं। जिसमें तालाब विधि, रोपाई विधि एवं नर्सरी विधि।
- लेकिन इनमें सबसे उपयुक्त, आसान और किफायती तालाब विधि है।
- तालाब विधि में 30 से 90 किलोग्राम स्वस्थ मखाना बीज को तालाब में दिसम्बर के महीने में हाथों से बिखेर दें।
- पौधे से पौधे एवं पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 1 मीटर X 1 मीटर बनाये रखने के लिए अतिरिक्त पौधें को निकाल दें।
मखाना की उन्नत किस्में
मखाने की खेती (makhane ki kheti) की अधिक पैदावार के लिए अच्छे और उन्नत बीजों का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें। अभी तक मखाना (Fox Nut) की देसी किस्मों की खेती होती आ रही है। सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इसके लिए सबौर-1 किस्म विकसित की गई है। इसकी और भी किस्में है जिसके लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या प्रगतिशील किसानों से एक बार जरूर सलाह लें। इसके लिए दरभंगा में स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र से भी सहायता ले सकते है।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
सिंचाई
- जलीय पौध होने की वजह से मखाना की खेती (makhana ki kheti) के लिए निरंतर जल की व्यवस्था अति आवश्यक है।
- इसलिए तालाब में पानी सुखना नहीं चाहिए।
उर्वरक
- मखाना की फसल (makhana ki phasal) में औसतन नाइट्रोजन, स्पफूर एवं पोटाश क्रमशः 100:60:40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए।
- पोषक तत्वों की उपर्युक्त मात्रा को पूरा करने के लिए कार्बनिक 15 टन/ अकार्बनिक दोनों तरह के उर्वरकों का उपयोग करें।
मखाना की खेती में रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें
यूं तो मखाने की खेती (makhana ki kheti) में रोग और कीट न के बराबर ही लगते हैं। फिर भी खरपतवारों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अवांछनीय पौधे
मखाने की शुरुआती अवस्था में अवांछित पौधे हो जाते हैं। इसके लिए आप सिंघाड़े और मछली पालन करके अवांछनीय पौधों को नष्ट कर सकते हैं। इससे आपको दोहरा लाभ होगा।
मखाना की खेती में लागत और कमाई
मखाना की खेती (makhana ki kheti) में बहुत ही कम लागत आती है। यदि आप खुद इसके बीजों की प्रोसेसिंग करते हैं, तो लागत अधिक आएगी। लेकिन मुनाफा भी अधिक होगा।
एक एकड़ की मखाना की खेती (makhana ki kheti) करके आप 3-4 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। बड़ी बात यह है कि मखाना निकालने के बाद स्थानीय बाजारों में इसके कंद और डंठल की भी भारी मांग होती है जिसे किसान बेचकर पैसा कमा सकते हैं।
गौरतलब है कि मखाना (Fox Nut) पौधे का इस्तेमाल दवा के रूप में भी होता है। इस वजह से इसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी खूब है। कच्चे फल की मांग को देखते हुए किसानों को कहीं भटकना भी नहीं पड़ता बल्कि बाजार में आसानी से बिक जाता है। सरकार भी मखाने की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। जिसमें किसानों की आर्थिक मदद दी जाती है।
ये तो थी, मखाने की खेती (makhana ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजना और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।