लौकी की खेती कैसे करें, यहां जानें | louki ki kheti
लौकी को घिया और दूधी के नाम से भी जाना जाता है। लौकी की खेती (louki ki kheti) भारत में लगभग सभी राज्यों में की जाती है।

louki ki kheti: हरी सब्जियों की बात हो और उसमें लौकी (louki) की बात ना हो ये मुम्किन ही नहीं। लौकी मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। इसे घिया और दूधी के नाम से भी जाना जाता है। लौकी की खेती (louki ki kheti) भारत में लगभग सभी राज्यों में की जाती है।
आपको बता दें, लौकी में प्रचुर मात्रा में विटमिन बी, सी, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और सोडियम पाया जाता है। इसमें कई ऐसे गुण होते हैं, जो कुछ गंभीर बीमारियों में औषधि की तरह काम करते हैं। मधुमेह, वजन कम करने, पाचन क्रिया, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और नेचुरल ग्लो के लिए लौकी (louki) बहुत ही फायदेमंद है।
तो आइए, The Rural India के इस लेख में लौकी की खेती (louki ki kheti) को विस्तार से जानें।
सबसे पहले लौकी की खेती के लिए आवश्यक जलवायु के बारे में जान लेते हैं।
लौकी की खेती के लिए ज़रूरी जलवायु
लौकी की खेती (lauki ki kheti) के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की जरुरत होती है। बीज अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री सेन्टीग्रेड और पौधों की बढ़वार के लिए 32 से 38 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान सबसे अच्छी होता है। उत्तरी भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, प्रदेश और हरियाणा राज्य के मैदानी इलाकों में लौकी की सबसे ज्यादा पैदावार होती है।
लौकी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
लौकी की फसल के लिए बलुई दोमट और जीवांश युक्त चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी होती है। जिसमें जल धारण क्षमता ज्यादा और पीएच की मात्रा 6.0 से 7.0 के बीच हो, वहां लौकी की खेती अच्छी होती है। ऐसे खेत जहां पानी निकासी की कोई व्यवस्था न हो, तो वहां इसकी खेती नहीं करें।
लौकी की खेती का सही समय
लौकी की खेती (lauki ki kheti) का सही समय जायद (ग्रीष्मकालीन) के लिए जनवरी से मार्च, खरीफ (वर्षाकालीन) के लिए मध्य जून से जुलाई की शुरुआत तक और रबी के लिए सितंम्बर-अक्टूबर है।
लौकी के लिए खेती की तैयारी कैसे करें
लौकी की खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी की अच्छी तरह से जुताई कर लें। इसके लिए मचान विधि से खेती सबसे अच्छी होती है। बीज की बुआई 1 मीटर से 2 मीटर की दूरी पर करें, जिससे पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सकें।
लौकी की उन्नत किस्में
काशी गंगा
- इस किस्म की लौकी की बढ़वार मध्यम होती है।
- यह लौकी करीब 30 सेंटीमीटर लंबा और 6-7 सेंटीमीटर चौड़ी होती है।
- इसके तनों पर गाठें पास-पास उगती है।
- लौकी का वजन लगभग 800 से 900 ग्राम को होता है।
- गर्मियों में यह 50 और बरसात में 55 दिनों बाद इसकी पहली तुड़ाई की जाती है।
- काशी गंगा किस्म लौकी 44 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है।
काशी बहार
- यह 30 से 32 सेंटीमीटर लंबे और 7-8 सेंटीमीटर व्यास वाले होते है।
- इसका वजन 780 से 850 ग्राम का होता है।
- इसकी पैदावार 52 टन प्रति हेक्टेयर है।
- इस किस्म की लौकी गर्मी और बरसात दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है। उन्हें नदियों के किनारे भी उगाया जा सकता है।
पूसा नवीन
- पूसा नवीन बेलनाकार की होती है।
- इन लौकियों का वजन 550 ग्राम होता है।
- इसकी उत्पादन क्षमता 35 से 40 टन प्रति हेक्टेयर है।
अर्का बहार
- हल्के हरे रंग की यह लौकी मध्यम आकार की और सीधी होती है।
- इसका वजन एक किलोग्राम तक होता है।
पूसा संदेश
- इस किस्म की फल गोलाकार होता है।
- इन लौकियों की वजन 600 ग्राम होता है।
- गर्मी में 60से 65 दिन और बरसात में 55 से 60 दिनों में यह किस्म तैयार हो जाती है।
- इसकी पैदावार 32 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
पूसा कोमल
- लौकी की यह किस्म 70 दिनों में तैयार हो जाती है। यह किस्म लंबे आकार की होती है।
- इसकी पैदावार 450 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
नरेंद्र रश्मि
- इन लौकियों का वजन 1 किलोग्राम होता है।
- ये छोटे और हल्के हरे रंग के होते है।
- इस किस्म की औसत पैदावार 30 टन प्रति हेक्टेयर है।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
लौकी की खेती में लागत और कमाई
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न- लौकी की खेती कौन से महीने में करें?
उत्तर- लौकी की खेती आप खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में कर सकते हैं। लौकी की बुआई के लिए जून-जुलाई, सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च का महीना काफी उपयुक्त होता है।
प्रश्न- लौकी कितने दिन में फल देता है?
उत्तर- लौकी 50 से लेकर 60 दिनों में फल देने लगता है।
प्रश्न- लौकी की नर्सरी कितने दिन में तैयार होती है?
उत्तर- लौकी की नर्सरी 10-15 दिनों में तैयार हो जाती है।
प्रश्न- लौकी में कौन सा खाद देना चाहिए?
उत्तर- लौकी की खेती करने से पहले खेती की तैयारी करते समय प्रति पौधे 2-3 किलोग्राम गोबर की खाद देनी चाहिए। इसके बाद फूल लगने से पहले यूरिया, पोटाश आवश्यकतानुसार दे सकते हैं।
ये तो थी लौकी की खेती (lauki ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे।