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E-commerce Business: ई कॉमर्स बिजनेस कैसे शुरू करें? यहां जानें

इंटरनेट से जुड़े सभी व्यवसाय को ही ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) कहा जाता है। अब ई-कॉमर्स बिजनेस बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है।

E-commerce Business in hindi: इंटरनेट की दुनिया में व्यवसाय करने का तरीका बदलता जा रहा है। सभी व्यवसाय अब तेजी से इंटरनेट की दुनिया से जुड़ रहे हैं। इंटरनेट से जुड़े सभी व्यवसाय को ही ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) कहा जाता है। ई-कॉमर्स बिजनेस देश दुनिया में बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है।

 

बिल गेट्स ने एक बार कहा था कि अगर आपका बिजनेस इंटरनेट पर नहीं है तो आपका बिजनेस बिजनेस है ही नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अगले 3 साल के अंदर ई-कॉमर्स में दोगुनी तेजी से बढ़ोतरी होगी।

 

अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट ने दिखा दिया है कि आने वाले दिनों में बिजनेस का भविष्य क्या होने वाला है इसलिए आपको भी ई कॉमर्स  से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।

 

अब सवाल यह है कि ई-कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) करने के लिए आपको क्या-क्या करना होगा। 

 

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में ई कॉमर्स बिजनेस कैसे शुरू करें (e commerce business kaise start kare)? और ई-कॉमर्स के सभी बिन्दुओं को आसान भाषा में जानें। 

E-commerce Business: ई कॉमर्स बिजनेस कैसे शुरू करें? यहां जानें

  • ई कॉमर्स क्या है?
  • ई कॉमर्स बिजनेस के प्रकार
  • एक बिजनेस मॉडल कैसे तैयार करें
  • बिजनेस का नाम चुनना
  • बिजनेस को ब्रांड बनाना
  • कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं
  • कंपनी का खाता खोलें
  • ई-कॉमर्स वेबसाइट कैसे बनाएं
  • पेमेंट गेटवे
  • लॉजिस्टिक
  • सही कीवर्ड का इस्तेमाल करें
  • विज्ञापन
  • विज्ञापन के तरीके
  • रिटारगेटिंग

 

ई कॉमर्स क्या है?

ई-कॉमर्स को आसान भाषा में कहें तो जो बिजनेस इंटरनेट से जुड़कर व्यवसाय करता है उसे ई कॉमर्स बिजनेस कहते हैं। 

 

ई कॉमर्स बिजनेस के प्रकार

(ई-कॉमर्स बिजनेस) E-commerce बिनेस 3 प्रकार के होते हैं।

 

1. B2B 

इसमें हम अपने प्रॉडक्ट्स को किसी अन्य बिज़नेस को बेचते है इसको Business to Business (B2B) इसीलिए कहते है।

2. B2C 

इसमें हम अपने प्रॉडक्ट्स को कस्टमर को बेचते है इसको Business to Customer (B2C) इसीलिए कहते है।

3. C2C 

यहां बिजनेस कस्टमर से कस्टमर के बीच होता है Customer to Customer (C2C) इसीलिए कहते है।

 

बिजनेस मॉडल कैसे तैयार करें

ई-कॉमर्स शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले अपने बिजनेस के बारे में अच्छी तरह सोचना होगा कि आप करना क्या चाहते हैं।

 

अब आपको दो विकल्प मिलेंगे। जैसे-

 

एकल वेंडर स्टोर- 

  • अगर आपका बजट कम है तो आप एकल बेंडर या सिंगल वेंडर को चुन सकते हैं इसका मतलब इसमें आप किसी एक ही प्रोडक्ट या सर्विस को अपने कॉमर्स साइट पर बेचेंगे।
  • एकल वेंडर बिजनेस का फायदा है कि एक तो इसमें एडमिनिस्ट्रेटिव लागत कम आती है और पूरा कंट्रोल आपके ही हाथ में होता है

 

एकाधिक वेंडर स्टोर- 

  • इसमें एक से अधिक विक्रेता अपने सामानों को एक ही साइट पर बेचते हैं।
  • स्थिति अपने फायदे हैं कि बड़े प्लेटफार्म पर मुनाफे भी बड़े होते हैं और लोगों को एक ही जगह पर इस्तेमाल में आने वाली सारी चीजें मिल जाती है तो कस्टमर भी बढ़ते हैं।
  • इसका एक फायदा यह भी है कि कभी आप उपलब्ध नहीं है तो आपका सामान किसी और से डिलीवरी करवा दी जाती है ऐसा करने से कस्टमर बने रहते हैं।

 

बिजनेस को ब्रांड बनाना

अपने ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) का मॉडल चुनने के बाद सब लिस्ट बनानी होती है कि आप कितने लोगों को काम में रखना चाहते हैं।

 

बिजनेस का नाम चुनना

बिजनेस का नाम रखने से पहले आप का ध्यान रखना चाहिए कि आपको एक ब्रांड का नाम चुनना है नाम ऐसा हो जो सभी को याद रहे। यूनिक हो और नाम से ही आपके बिजनेस को दर्शाता हो। जिसका किसी दूसरी भाषा में कोई नकारात्मक मतलब ना हो।

 

लोगो बनवाएं

बिजनेस का नाम चुनने के बाद आपको लोगों की डिजाइन करवाना है, जिसे ब्रांड लोगो कहा जाएगा।

कंपनी का प्रकार चुनना होगा

भारत में 4 तरह की कंपनियां होती है।

 

1. Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व) 

इसमें एक ही व्यक्ति व्यवसाय या बिजनेस का स्वामी होता है। व्यापार से संबंधित सभी काम और नियंत्रण एक ही व्यक्ति के हाथ में होता है।

 

2. एक व्यक्ति कंपनी(One Person Company)

यह एक कंपनी के रूप को दर्शात है जिसमें केवल एक ही व्यक्ति कंपनी का मालिक/सदस्य होता है। एक व्यक्ति कंपनी का मतलब ऐसी कंपनी है जिसमें सदस्य के रूप में केवल एक व्यक्ति होता है।

 

3. सीमित दायित्व भागीदारी limited liability partnership

देश में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के कई तरीके हैं। इनमें से ही एक है एलएलपी फर्म। इस तरह की फर्म के नाम के अंत में एलएलपी लिखा रहता है। एलएलपी के स्ट्रक्चर को सिर्फ किसी कंपनी द्वारा ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

कंपनी के रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया बहुत आसान है और इसमें खर्च भी बहुत कम आता है। एलएलपी एक अलग कानूनी इकाई है। यह व्यक्तिगत पार्टनर से अलग है।

कंपनी के रजिस्ट्रेशन के एग्रीमेंट के हिसाब से हर पार्टनर की जिम्मेदारी सीमित है. इसकी वजह यह है कि नियमित पार्टनरशिप फर्म में असीमित जिम्मेदारी होती है, जबकि इसमें शेयर होल्डिंग के हिसाब से ही जिम्मेदारी होती है।

 

4. प्राइवेट लिमिटेड (private limited)

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक संयुक्त स्टॉक कंपनी है, जो भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य पिछले अधिनियम के तहत स्थापित की गई है।

 

यह स्वैच्छिक रूप से बनाए गए व्यक्तियों का एक संघ है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मौजूदा कर्मचारियों की अधिकतम संख्या 200 हो सकती है। हम आपको इन चारों में से कोई एक कंपनी के प्रकार सुनना है कि आप किस तरह की बिजनेस चलाना चाहते हैं।

 

कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं

ई-कॉमर्स पर कैसे शुरू करने का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। सबसे पहले डी आई एन यानी कि डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर के लिए आपको मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स किस साइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना है। और सभी दस्तावेजों को अपलोड करना होगा।

 

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज

  • पैन कार्ड
  • डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट

अपना डीएल नंबर पाने के बाद आपको अपनी कंपनी के नाम की उपलब्धता चेक करनी होगी। इसके बाद आपको r.o.c. यानी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में आवेदन करना है। नाम कंफर्म होने के बाद आपको और भी चीजों के लिए आवेदन करना होगा। 

जैसे-

  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन
  • प्रोविडेंट फंड रजिस्ट्रेशन
  • मेडिकल इंश्योरेंस

 

कंपनी का खाता कैसे खोलें

इस चरण में नाम कंफर्म होने के बाद आपको कंपनी के नाम से ही एक खाता खोलना होगा। आप खाता किसी भी बैंक में खुलवा सकते हैं।

 

अगर आपने एकल स्वामित्व कंपनी के विकल्प को चुना है,तो खाता खुल आने से पहले आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा तभी आप खाता खुलवा सकेंगे।

 

ई-कॉमर्स वेबसाइट कैसे बनाएं

इसके लिए आपको एक ई-कॉमर्स वेबसाइट बना सकते हैं। वेबसाइट लॉन्च करने से पहले कुछ ध्यान रखने वाली जरूरी बातें

  • आपको पहले ही यह सोच लेना है कि आप अपनी वेबसाइट पर खुद ही पोस्ट करेंगे या किसी प्रोफेशनल को इसके लिए रखना चाहेंगे 
  • आपको यह भी ध्यान देना है कि जो पोस्ट हो रहा है उसकी पूरी डिटेल सामान के साफ फोटो है या नही।

 

पेमेंट गेटवे क्या है

आपको अपने एक ई-कॉमर्स बिज़नेस (E-commerce business) को और फायदेमंद बनाने के लिए पेमेंट गेटवे सेट करना होगा जिसमें हर पॉपुलर पेमेंट मेथड रखने होंगे जिससे आपके ग्राहक को पेमेंट करने में आसानी हो। पेमेंट गेटवे बनाने के लिए आपको कुछ दस्तावेज जमा करने होंगे जैसे-

  • आपके बिजनेस के नाम का बैंक अकाउंट
  • पैन कार्ड
  • सर्टिफिकेट आफ इनकॉरपोरेशन
  • मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन
  • आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन
  • पहचान पत्र
  • पता प्रमाण पत्र
  • वेबसाइट प्राइवेसी पॉलिसी

 

लॉजिस्टिक

यह ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) का बहुत ही जरूरी है इसका ताल्लुक ग्राहक तक सामान पहुंचने से है। इसके तहत जब तक सामान ग्राहक तक ना पहुंच जाए तब तक नजर रखना।

इसमें कस्टमर भी अपने ऑर्डर को ट्रैक कर पाते हैं जिससे ग्राहक का भरोसा वेबसाइट पर बाढ़ जाता है।

 

लोगों को अपने बिजनेस से आकर्षित कैसे करें

लोगों को अपनी वेबसाइट की तरफ आकर्षित करने के लिए आपको मार्केट में ट्रैफिक तैयार करना होगा। इसके लिए विज्ञापन सबसे अच्छा तरीका है आप चाहे तो व्हाट्सएप इंस्टाग्राम पर पेड ऐड चला सकते हैं जिससे लोग आपकी वेबसाइट तक पहुंच सके। इस प्रकार भारत में ई-कॉमर्स बिजनेस करने पर आप लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं।

 

ये तो थी, ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce Business in hindi) की संपूर्ण जानकारी। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें। 

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