ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में अंतर | Gram Sabha and Gram Panchayat
ग्राम पंचायत का प्रमुख सरपंच (sarpanch) होता है। सरपंच के अलावा प्रत्येक वार्ड से वार्ड पंच चुने जाते होते हैं।
Gram Sabha and Gram Panchayat in Hindi: ग्राम पंचायत हमारे देश में चली आ रही सदियों पुरानी ‘स्वशासन’ प्रणाली का ही संस्थागत एवं विकसित रूप है।
आज इसे पंचायती राज अधिनियम में ‘गाँव की सरकार’ कहते हैं और इसे ग्रामसभा के आमने-सामने हो कर जवाब देना पड़ता है। ग्राम पंचायत को अधिकांश कार्यों के लिए ग्रामसभा की सहमति भी लेनी होती है।
आसान भाषा में कहें तो ‘ग्राम पंचायत’(gram panchayat) हमारे पंचायती राज की सबसे अनोखी संस्था है जिसके सदस्यों का निर्वाचन ग्रामसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
यह एक स्थानीय स्वशासन की संस्था है जो अपने आप में विधायिक भी है, कार्यपालिका भी और न्यायपालिका भी। जिसे ‘स्वशासन’ के अंतर्गत ‘ग्रामसभा’(gram sabha) के लिए काम करना होता है।
ग्राम पंचायत का गठन (Formation of Gram Panchayat)
ग्राम पंचायत का प्रमुख सरपंच (sarpanch) होता है। सरपंच के अलावा प्रत्येक वार्ड से वार्ड पंच चुने जाते होते हैं। ग्राम पंचायत के संचालन हेतु पंचायत सचिव/ग्राम सेवक की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष के बाद लोकतांत्रिक ढंग से जनता द्वारा चुना जाता है। वर्तमान में पंचायत सदस्यों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उन्हें चुनने का तरीका बदल गया है।
वार्ड पंचों की संख्या गाँव की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित किया जाता है। वर्तमान में लगभग पाँच सौ की आबादी पर एक वार्ड के गठन का प्रावधान है और इन्हीं वार्ड से एक पंचायत सदस्य(वार्डपंच) निर्वाचित किया जाता है।
पंचायती राज-व्यवस्था के नियमों के अनुसार ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या उस ग्राम पंचायत की आबादी पर निर्भर है।
जैसे-
Ø 500 तक की जनसंख्या पर – 05 सदस्य/वार्डपंच
Ø 501 से 1000 तक की जनसंख्या पर – 07 सदस्य/वार्डपंच
Ø 1001 से 2000 तक की जनसंख्या पर – 09 सदस्य/वार्डपंच
Ø 2001 से 3000 तक की जनसंख्या पर – 11 सदस्य/वार्डपंच
Ø 3001 से 5000 तक की जनसंख्या पर – 13 सदस्य/वार्डपंच
Ø 5000 से अधिक की जनसंख्या पर -15 सदस्य/वार्डपंच
सरपंच और इसके वार्ड सदस्यों के निर्वाचन के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा ग्राम पंचायत को गठित घोषित कर दिया जाता है।
इस प्रकार सरपंच, उपसरपंच और सभी वार्ड पंचों को मिलाकर ग्राम पंचायत का गठन (Formation of Gram Panchayat) होता है। ग्राम पंचायत अधिकारी/पंचायत सचिव ग्राम पंचायत का सचिव होता है जो ग्राम पंचायत के सभी कार्यों का लेखा-जोखा और रिपोर्ट सरकार तक पहुँचाने का काम करता है।
ग्रामसभा और ग्राम पंचायत में अंतर (difference between gram sabha and gram panchayat)
ग्राम पंचायत का कार्य (gram panchayat ke karya)
ग्राम पंचायतों का कार्य ग्रामसभा के कार्य से अलग होता है क्योंकि पंचायतों को गाँव का विकास कराने के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता और कई प्रकार के अनुदान दिए जाते हैं। पंचायती राज अधिनियम-1992 के तहत पंचायतों को 29 कार्य सौपें गए हैं। जिसे संविधान के अनुच्छेद 243 (छ) में अंकित किया गया है।
पंचायतों को सौपें गए 29 कार्यों में से वार्षिक बजट बनाना ग्राम पंचायत एक प्रमुख काम है। वार्षिक बजट पर विचार-विमर्श कर सिफारिश करना ग्रामसभा का काम निर्धारित किया गया है।
ग्राम पंचायत के प्रमुख कार्य
- गाँव के सड़कों को पक्का करना, उनका रख-रखाव करना और गंदे पानी की नालियों की व्यवस्था करना
- घरेलू उपयोग के लिए पानी और पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना और तालाबों का रख-रखाव करना
- सिचाई के साधन की व्यवस्था करने में ग्रामीणों की मदद करना
- गाँव में मेले, दंगल, कबड्डी, व बाजार के लिए सार्वजनिक जगहों की व्यवस्था करना
- पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दूध बिक्री केंद्र की व्यवस्था करना और पशुओं को बीमारी से बचाव के उपाय करना व फैलने वाली बीमारी से बचाना
- गाँव के सार्वजनिक जगहों जैसे- ग्राम-चौपाल, गली व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाश का प्रबंध करना
- दाह-संस्कार और कब्रिस्तान का रख-रखाव करना
- गाँव में सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना करना
- प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना और जरुरी हो तो उच्च स्तर के स्कूल की स्थापना के लिए जरुरी कार्यवाही करना
- बच्चों और युवाओं के लिए खेल के मैदान का इंतजाम करना व खेल कूद से सम्बंधित सामान की व्यवस्था करना
- गाँव में सार्वजनिक शौचालय बनवाना व शौचालय बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करना
- जन्म-मृत्यु, विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना
- गाँव की भलाई के लिए सरकार से अनुदान और गरीबों के मदद के रास्ते तलाशना
- आँगनवाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करना
- गरीबों के लिए ग्राम पंचायत की जमीन को पट्टे पर देना
ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में संबंध (Relationship between Gram Sabha and Gram Panchayat)
पंचायती राज प्रणाली में ग्रामसभा और ग्राम पंचायत में अटूट संबंध हैं। ग्राम पंचायत के सदस्य और सरपंच ग्रामसभा के सदस्यों द्वारा ही निर्वाचित किए जाते हैं। पंचायत राज प्रणाली में जहाँ एक ओर ग्राम सभा निगरानी की भूमिका में होती है तो वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत कार्यपालिका की भूमिका में होती है।
ग्राम पंचायत की सफलता के लिए आवश्यक है कि पंचायतें ग्रामसभा के साथ मिलकर काम करें। ग्रामवासियों की भी जिम्मेदारी है कि ग्रामसभा की सभी बैठकों में सक्रिय रूप से हिस्सा लें। बैठकों में अपनी बातों और मुद्दों को रखें। पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि के माध्यम से ग्राम पंचायत के कामों पर नजर रखें और गाँव में आने वाली सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सहायता कर उसको ठीक ढंग से लागू करवाएं।
आपके गाँव में ग्रामसभा की निगरानी समितियाँ जितनी सक्रिय होंगी उतनी ही अधिक और अच्छी तरह से ग्राम पंचायत के कार्य कलापों पर नजर रखी जा सकेगी और ग्रामसभा में उन पर चर्चा की जा सकेगी।
अतः ग्राम पंचायत की निर्वाचित सदस्यों की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है कि वे अधिक-से-अधिक संख्या में अपने क्षेत्रों के ग्रामसभा के सदस्यों(मतदातों) को ग्रामसभा की बैठक में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
ग्रामसभा और ग्राम पंचायत दोनों गाँव के विकास के रीढ़ है। ग्राम पंचायतें ही मूलरूप से प्रजातांत्रिक स्वरूप के परिचायक हैं। अतः दोनों में परस्पर समन्वय और सहयोग अति आवश्यक है।
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